रीवा। रीवा कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली को लेकर उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश के द्वारा लगाई गई फटकार को संज्ञान में लेते हुए उन्हें तत्काल प्रभाव से कलेक्टर पद से हटाए जाने के संबंध में समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने मध्यप्रदेश के राज्यपाल मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव को ईमेल ज्ञापन भेजा है। श्री खरे ने कहा कि यह बात काफी गंभीर है। इस घटना से संघ लोक सेवा आयोग की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े हुए हैं ?
सम्बोधित ज्ञापन में कहा गया कि कलेक्टर रीवा प्रतिभा पाल की कार्यप्रणाली अत्यंत बेहूदा एवं गैर जिम्मेदाराना है। इससे मध्य प्रदेश सरकार की छवि भी धूमिल हुई है जिसने रीवा जिला कलेक्टर के महत्वपूर्ण पद पर उन्हें बैठा रखा है। आखिरकार मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने उन्हें अच्छी खासी डांट लगाई है। जमीन मुआवजा देने के संबंध में बढ़ती गई लापरवाही को लेकर मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के माननीय जज विवेक अग्रवाल के द्वारा रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को लगाई गई फटकार प्रशासनिक अमले की मनमानी पर बहुत बड़ा सवाल है जिसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। यह देखने को मिल रहा है कि लोक सेवकों की भूमिका अत्यंत गैर जिम्मेदाराना है जिसके चलते भ्रष्टाचार पर कोई रोक-टोक नहीं और लोकतंत्र का भविष्य असुरक्षित है। लोगों को अपने वाजिब हक लेने के लिए लंबे समय तक भटकाया जाता है। यह भी देखने को मिलता है कि यदि कोई व्यक्ति अपने हक लेने शासन प्रशासन से भिड़ जाता है तो प्रशासन उसे नीचा दिखाने के लिए सारे नियमों को ताक पर रखकर उसकी संपत्ति की बर्बादी के साथ उसे झूठे मामले में फंसाकर जेल भिजवाने से भी बाज नहीं आता । लोग अपने कागज के पीछे सालों दौड़ते रहते हैं लेकिन उनके साथ न्याय नहीं होता है। हर पीड़ित व्यक्ति न्याय की लंबी लड़ाई नहीं लड़ सकता। न्यायिक प्रक्रिया बेहद खर्चीली उबाऊ और लंबा समय लेने वाली है जिसके चलते नौकरशाही के गलत हौसले बुलंद रहते हैं।
इधर माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल को नसीहत देते हुए कहा है कि एक अच्छी स्टेट वह होती है जो अपनी गलती को स्वीकार करती है और अपने सब्जेक्ट या सिटीजन को बकाया लाभ दिलवाती है। अदालत ने कलेक्टर प्रतिभा पाल से कहा कि आपको कलेक्टर इसलिए नहीं बनाया गया कि आप लोगों का वाजिब हक का उल्लंघन और शोषण करें। लोगों को आदेश के पीछे-पीछे घुमाने की बात पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कलेक्टर प्रतिभा पाल से मसूरी और कलेक्टर पद पर कार्यरत रहते हुए उनकी कानूनी पढ़ाई पर भी सवाल खड़े किए। उच्च न्यायालय ने यहां तक कहा कि हाई कोर्ट को हल्के में ना लिया जाए।
ज्ञापन में कहा गया कि सारे अधिकारी ऐसे नहीं है लेकिन वर्तमान दौर में अधिकांश अधिकारियों की कार्य प्रणाली बेहद आपत्तिजनक है। एक मछली सारे तालाब को गंदा करती है की कहावत पढ़ी और सुनी है लेकिन यहां तो कई मछलियां गंदगी फैला रही हैं। देखने में आ रहा है कि संबंधित अधिकारी अपने संवैधानिक दायित्व का पालन करने की जगह पद में बने रहने के लिए राजनीतिक चाटुकारिता में लगे रहते हैं जिसके चलते जीवन मूल्य प्रभावित हो रहे हैं और जनता को समय रहते न्याय नहीं मिल पाता है। उच्च न्यायालय के द्वारा रीवा कलेक्टर पर की गई टिप्पणी से प्रदेश सरकार की कार्य प्रणाली पर बहुत बड़ा सवाल है जिसके चलते जनसाधारण को समय रहते न्याय नहीं मिल पा रहा।
ज्ञापन के अंत में श्री खरे ने अनुरोध किया कि जनहित में श्रीमती प्रतिभा पाल को तत्काल प्रभाव से रीवा जिला कलेक्टर पद से कार्य मुक्त किया जाए।
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