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 बीसीएम ग्रुप : 3590 करोड़ का कालेधन का व्यापार

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धनकुबेरों की वजह से कुकुरमुत्तों की तरह पनप चुका भ्रष्टाचार एवं कालेधन का व्यापार

इंदौर। नगर के विकास क्रम में नई कॉलोनियों का बनना और नई मल्टियों, टाउनशिप का बनना या निर्मित भवनों में अतिरिक्त निर्माण सामान्य प्रक्रिया है। भवनों के निर्माण के नक्शों की स्वीकृति तथा निर्माण हेतु सर्विस सर्टिफिकेट देकर नगर निगम एवं पंचायतों के अधिकार क्षेत्र में आता है… साथ ही टीएनसी की परमिशन भी। लेकिन ऐसी परमिशन देने के लिए निगम आयुक्त के अलावा क्षेत्र विशेष के लिए नियुक्त भवन अधिकारी की अपनी मर्जी के अनुसार नियम कायदों को तोड़मरोड़ नहीं सकता। इस मामले में पूर्व में हुई गड़बड़ियों के कारण प्रशासन नगर निगम ने फरवरी 92 में एक आदेश जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि निगम का कोई भी इंजीनियर या अधिकारी (बिल्डिंग ऑफिसर) यह सर्टिफिकेट जारी नहीं करेगा। केवल आयुक्त ही इसके लिए अधिकृत है।

अस्सी के दशक से शुरू होकर

आज बहुमंजिला एवं हाईराइज मल्टियों का निर्माण बहुत तेजी पर है कि बीसीएम ग्रुप ने अपनी थैलियों के बल पर अनियमितताओं के साथ ही अपनी मर्जी के नक्शे पास करवाये। यह बात भी आईने की तरह साफ है कि प्रशासकीय अधिकारियों से भी चोली-दामन का साथ किए…इस ग्रुप का काला धन्धा पनप नहीं सकता था। इस दौर में कुछ मीडियावालों ने मामला उछाला, पर नवीन मेहता ने उन्हें भी साध लिया। यह इस बात से स्पष्ट होता है कि शहर के एक प्रमुख अखबार ने खबर एक बार ही छापकर इतिश्री कर दी। बाद में फालोअप नहीं दिया और नवीन मेहता ने आयकर अफसरों से साठगांठ कर सारे मामलों को रफा-दफा कर दिया।

कि नगर निगम जानकारी भी देने को तैयार नहीं है। सूचना अधिकार के तहत भी जानकारियां मांगने पर फाइल बन्द कर देता है। आयकर विभाग को भी इनकी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त करने का आवेदन देते हैं तो सूचना अधिकारी बीसीएम का पेन नं. की मांग करता है।

बीसीएम ग्रुप की निर्माणधीन कॉलोनियों एवं बहुमंजिला भवनों में काफी अनियमितताओं का जोर है, पर कोई भी अधिकारी थैलियों के बल पर जांच करने को तैयार नहीं है। यहां तक

पिछले दिनों स्विफ्ट ने इस ग्रुप की एक कॉलोनी शांतिकुंज में 1140 करोड़ का कालेधन का खुलासा किया था एवं करोड़ों रुपया कालाधन कृषि जमीन में

बीसीएम ग्रुप के पास कहां से आई इतनी सम्पत्ति?

इस ग्रुप के प्रमुख कर्ता-धर्ता नवीन मेहता के हथकंडों से यह अकूत सम्पत्ति अर्जित की गई है। सम्पत्ति के विवरणों पर गौर करें तो साफ जाहिर होता है कि एक मामूली दाल मिलर्स के पास किसके बलबूते पर इतनी सम्पत्रता आई। कई जगहों पर नामी-बेनामी सम्पत्तियां है। इस ग्रुप की आयकर विभाग सुक्षमता से जांच करें तो सारी स्थितियां सामने आ सकती है। इस कालेधन के व्यापार के तरीके पर कलेक्टर की भी जवाबदारी बनती है कि वह इस कालेधन के कृत्य पर अंकुश लगाकर नगर के कालेधन के व्यापार पर रोक लगाये, पर क्या ऐसा हो पायेगा। यह सम्भव नहीं दिखता। कारण की बीसीएम तराना कॉलोनी में बहुत सी परमिशनों प्राप्त नहीं हुई है। डेवलपमेन्ट प्रारम्भ नहीं हुआ फिर सोशल मीडिया एवं कुछ दलालों के माध्यम से भूखण्डों की बुकिंग कैसे जारी है।

दिया गया किसानों को... इस प्रकार से देखा जाए या जांच की जाए तो 1590 करोड़ का कालेधन का लेन-देन हुआ। इसी प्रकार बीसीएम तराना-उज्जैन रोड़ पर प्रस्तावित है।

इस कॉलोनी में अभी तक किसी प्रकार का डेवलपमेन्ट नहीं हुआ है और बुकिंग जारी है भाव 1801 एवं 2011 के रेट पर इस पर अभी निर्माण की परमिशन भी नहीं… फिर भी दलालों द्वारा बड़े-बड़े प्रलोभन देकर बुकिंग जारी है। इस प्रोजेक्ट पर भी करीब 1500 करोड़ का कालेधन का व्यापार होगा… बिक्री पर एवं खरीदी पर 500 करोड़ का व्यापार हुआ। इस प्रकार 2000 करोड़ का व्यापार होगा। क्या प्रदेश प्रशासन एवं आयकर विभाग सक्रिय होकर इस कालेधन के व्यापार को बंद कर बीसीएम ग्रुप को शिकंजे में ले पाएगा। बीसीएम के तराना-उज्जैन रोड़ प्रोजेक्ट की पूरी जानकारी के लिए हमारा संवाददाता किसानों एवं खरीददारों से सम्पर्करत है।

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