मध्यप्रदेश अब बीमरू राज्य नहीं रहा. देश के टॉप-10 धनी राज्यों में इसकी गिनती होने लगी है. 13.87 लाख करोड़ रुपए की GDP के साथ अर्थव्यवस्था के मामले में देश में 10वें नंबर पर आ चुका है. तरक्की का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मध्य प्रदेश 9वें नंंबर पर काबिज तेलंगाना से बस 1 पायदान पीछे है.
मध्य प्रदेश राज्य की अर्थव्यवस्था ने पिछले एक दशक में रिकॉर्ड बनाए हैं. भले ही सरकार पर ज्यादा कर्ज लेने के आरोप लगते रहे हैं पर राज्य की जीएसडीपी यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता. वर्ष 2023-24 में मध्य प्रदेश की जीएसडीपी 13.87 लाख करोड़ रही है. वहीं 2023 में मध्यप्रदेश में पर कैपिटा इनकम यानी प्रति व्यक्ति आय 1 लाख 55 हजार 583 रु रही. माना जा रहा है कि प्रदेश आने वाले समय में तरक्की की और ऊंची छलांग लगाते हुए देश की अर्थव्यवस्था में अपना बहुमूल्य योगदान देगा.
इंदौर, भोपाल और जबलपुर सबसे आगे
ईटीवी भारत ने मध्य प्रदेश बजट एनालिसिस 2022 की रिपोर्ट में पाया कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बूस्ट देने वाले टॉप 3 जिले इंदौर, भोपाल और जबलपुर हैं. यहां राज्य की जीडीपी में सबसे ज्यादा योगदान देने वाली एग्रीकल्चर सेक्टर के साथ सर्विस सेक्टर और उद्योगों ने भी अहम भूमिका निभाई है. पिछले 24 सालों के आंकड़े देखें तो मध्य प्रदेश की जीएसडीपी 7.37 लाख करोड़ रु से बढ़कर 13.87 लाख करोड़ तक जा पहुंची है, जो लगभग दोगुना है.
इकोनॉमी की बैकबोन बना इंदौर
प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को हमेशा मजबूती दी है. छोटे से लेकर मध्यम और बड़े स्तर के उद्योगों ने यहां जीएसडीपी में अहम योगदान दिया है. उत्पादन और सेवा के क्षेत्र में सबसे आगे रहने वाले इंदौर शहर ने ऑटोमोबाइल से लेकर फार्मास्युटिकल तक, सॉफ्टवेयर से लेकर रिटेल तक और कपड़ा व्यापार से लेकर रियल एस्टेट तक हर क्षेत्र में अपना दमखम दिखाया.
भोपाल ने पकड़ी विकास की रफ्तार
राजा भोज की नगरी और प्रदेश की राजधानी भोपाल में भले ही भोपाल गैस त्रास्दी से इकोनॉमिक ग्रोथ धीमी पड़ी हो पर प्रदेश के इस दूसरे सबसे बड़े शहर ने अब रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है. भोपाल मुख्य रूप से अपनी इंडस्ट्रीज के जरिए अर्थव्यवस्था में योगदान देता है. यहां बिजली के उपकरण, केमिकल, टेक्सटाइल आदि का प्रमुख उत्पादन है. इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में भी भोपाल एक मिसाल बनकर उभरा है. पिछले 10 सालों में भोपाल का विकास देखने लायक है.
कृषि उत्पादन से चमका जबलपुर
अपने कृषि उत्पादन के जरिए जबलपुर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है. मां नर्मदा का पावन जल संस्कारधानी और उसके किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. नर्मदा तट पर बसा जबलपुर अपनी उपजाऊ जमीन, शुद्ध पानी और फसलों के लिए जाना जाता है. जिले के आसपास के ज्यादातर गांवों में गेहूं, चावल, ज्वार और बाजरा की बंपर पैदावार होती है. वहीं व्यावसायिक फसलों में तिलहन, दलहन, गन्ना, कपास और औषधीय फसलें भी तैयार होती हैं. फूड क्रॉप प्रोडक्शन के मामले में यहां के कुल क्षेत्र के 71.4% क्षेत्र में इन फसलों का उत्पादन होता है, जिसमें से खरीफ की फसलें 60% और रबी की फसलें 40% होती हैं.
इतनी है मध्यप्रदेश की कुल आय
2022 के एमपी बजट एनालिसिस के मुताबिक 2022 में मध्यप्रदेश की कुल आय 1.95 लाख करोड़ रही है. हालांकि, खर्चों के मामले में प्रदेश अपनी आय से काफी ज्यादा आगे हैं. 2022 में प्रदेश का कुल खर्च 2.48 लाख करोड़ रहा. वहीं प्रदेश पर जीडीपी के 33.1 प्रतिशत का कर्ज रहा. इस सबके बावजूद देश के टॉप-10 राज्यों में जगह बना लेना काबिल-ए-तारीफ है.
जीडीपी के मामले में टॉप-10 राज्य
- महाराष्ट्र – 38.79 लाख करोड़ रु GDSP
- तमिलनाडु -28.3 लाख करोड़ रु GDSP
- गुजरात- 25.62 लाख करोड़ रु GDSP
- कर्नाटक- 25 लाख करोड़ रु GDSP
- उत्तर प्रदेश- 24.39 लाख करोड़ रु GDSP
- पश्चिम बंगाल-17.19 लाख करोड़ रु GDSP
- राजस्थान-15.7 लाख करोड़ रु GDSP
- आंध्र प्रदेश-14.49 लाख करोड़ रु GDSP
- तेलंगाना- 14 लाख करोड़ रु GDSP
- मध्य प्रदेश-13.87 लाख करोड़ रु GDSP