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 मनासा का सरकारी चिकित्सालय बन्द  

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 बृजमोहन समदानी,मनासा 

           जाँच के लिये मनासा के प्राथमिक चिकित्सालय जाना हुआ तो अस्पताल को बन्द देखकर आश्चर्य हुआ। पूछताछ की तो पता चला कि यह अस्पताल बंद कर दिया गया है एवं यहाँ का स्टाफ 2-3 किलोमीटर दूर नीमच रोड पर नवनिर्मित नये अस्पताल मे सेवाएं दे रहा है।  

           जानकर आश्चर्य हुआ। करीब 20 वर्ष पूर्व भी मनासा मे एक बड़े अस्पताल की आवश्यकता की चर्चा जोरों पर थी तब आनन-फानन मे बिना प्रशासकीय अन्तर मंत्रालयीन औपचारिकताऔ को पूरा किये नये अस्पताल भवन का शिलान्यास भी तत्कालीन मंत्री महोदय ने पशु चिकित्सालय परिसर मे कर दिया था,जो तकनीकी कारणों से बन नही सका। फिर 15 वर्ष पूर्व नीमच रोड पर नवीन भवन बनाने का प्रस्ताव आया तो जनता के विरोध के कारण नगर के मध्य ही पुराने अस्पताल की जगह नवीन भवन बनाया गया जिसमें लेबोरेट्री,एक्स-रे,एम्बुलेंस, पार्किंग सहित लगभग सभी प्राथमिक सुविधाओं का ख्याल रखा गया था।

           समय के साथ सुविधाओं और विशेषज्ञों की जरूरत को देखते हुए सरकार ने नीमच मार्ग पर 100 बिस्तर वाले अस्पताल की नवीन सौगात दी थी जो आवश्यक एवं श्रेयस्कर थी और मनासा क्षेत्र के लिये एक बड़ी सुविधा की बात थी जिसके लिये जनता ने शासन-प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को दिल खोलकर धन्यवाद भी दिया था।  

           साथ ही दिल्ली की आप सरकार के लोककल्याणकारी सरकारी विद्यालयों  एवं मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज़ पर मध्यप्रदेश सरकार ने भी सी एम राईज स्कूल और संजीवनी अस्पताल खोलने का प्रशंसनीय अनुकरण किया एवं इसी के  तहत मनासा मे भी संजीवनी अस्पताल के लिए दो नवीन भवन बनाएं गये, ताकि नगरवासियों को त्वरित स्वास्थ्य सुविधा उनके निवास के नजदीक या मोहल्ले मे ही मिल सके ,यह भी बताया गया कि इन मोहल्ला क्लिनिक मे एक एमबीबीएस चिकित्सक, 2नर्स एवं लेबोरेट्री जाँचकर्ता सहित 5 लोगों का स्टाफ रहेगा एवं 68 तरह की जाँच, टीके, सर्दी जुकाम बुखार,चक्कर रक्तचाप,उल्टी,दस्त एवं चोंट जैसी अन्य बीमारियों का इलाज एवं मरहम पट्टी नजदीक ही हो सकेगा।इनका औपचारिक उद्घाटन भी करीब एक साल पहले किया जा चुका है, निश्चित ही शीघ्र ही संचालित भी होंगे ही। जबकि एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को और ज्यादा नजदीक लाने की योजना बना रही हो वहीं नगर के मध्य की सुविधाओं को बन्द करना न तो तर्कसंगत है न ही जनहितैषी ही। 

              यह भी ज्ञातव्य है कि मनासा के पुराने सरकारी अस्पताल का  नामकरण करीब 15 साल साल पहले पं.दीनदयाल उपाध्याय के नाम से किया गया था और नीमच मार्ग वाला  100 बिस्तर अस्पताल इसका उन्नयन नहीं होकर एक नई सौगात थी अतः इसका नाम न तो पं.दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर रखा और न ही इसका नाम बदला गया बल्कि नवीन अस्पताल को नई सौगात के रूप में ही मानकर इसका नामकरण मनासा की राजनीति, धर्म , अध्यात्म और सामजिक गतिविधियों के केंद्र रहे स्व.रामेश्वरलाल मारू के नाम से “रामेश्वरलाल मारू चिकित्सालय” किया गया। 

      अतिरिक्त नवीन अस्पताल समय की मांग है लेकिन मनासा की करीब साठ हज़ार जनता को सर्दी-जुकाम, बुखार, चक्कर, रक्तचाप, खून पेशाब , रक्त शर्करा,मलेरिया आदि की जाँच, आकस्मिक चोंट हृदयाघात,लकवा आदि के लिये मरीज के परिजन निकटतम अस्पताल ही जाते हैं।मर्द के कार्य पर जाने, नौकरी, परगांव जाने, कोर्ट कचहरी  या रिश्तेदारी मे व्यस्त होने पर महिलाएं ही बच्चों का टीका लगवाने या उन्हें दिखाने पैदल ही आती है। कई लोग अपने परिजनों को साइकिल, ठेले या रिक्शा मे लाते दिख जाते है, हृदयाघात, लकवा, ब्रैन हेमरेज जैसी कई बीमारियों मे देरी होने पर लाइलाज हो जाती है,चिकित्सक भी कह देता है आधा घंटा देर हो गयी।

          रामपुरा-कुकडेःश्वर को छोड़ दें, जहां बड़े अस्पताल है तो मनासा के 8-10 किलोमीटर क्षेत्र की करीब सवा लाख आबादी मे साठ हजार की आबादी तो मनासा नगर की ही है। वाह्य रोगी विभाग मे प्रतिदिन सभी अस्पतालों मे करीब 2000 मरीज़ रोज आते है, सरकारी अस्पताल मे ही यह संख्या करीब 400 के लगभग तो होगी ही, फर्ज करो रोज 10-20 आदमी रात्रि मे अचानक बीमार होकर चिकित्सकीय  परामर्श और इलाज की जरूरत महसूस करते होंगे,यदि रात्री मे घनघोर बरसात हो रही हो या कड़ाके  की ठंड हो,साय-साय करती शीतलहर हो,अर्धरात्रि का सन्नाटा पसरा हो, क्या दो पहिया वाहन पर मरीज़ को दूर के अस्पताल आसानी से ले जाया जा सकता है ? या मारपीट का मामला हो 1-2 लोगों के पीछे 5-7 गुंडे पडेः हो, क्या वो दूर के अस्पताल तक उन्हें इलाज के लिये जाने देंगे  ? फिर 80% लोगों के पास चौपहिया वाहन नही है, 20 से 30% लोगों के पास दुपहिया वाहन भी नही है इस तथ्य को भी हम नजर अंदाज नही कर सकते। 

             एक तरफ नजदीक ही मोहल्ला क्लिनिक (संजीवनी अस्पताल) खोलने का बेहतरीन निर्णय दूसरी तरफ उपलब्ध सुविधाओं को ही बन्द कर देना समझ से परे है। ऐसा लगता है इस सम्बंध में संवेदनशील जनप्रतिनिधियों की राय नही ली गयी अन्यथा  आम जनता की जरूरत की यह  बुनियादी सुविधा बन्द नही की जा सकती थी।

         आम जनता के दुख-दर्द से जुड़ी इस बुनियादी सुविधा को बहाल करने मे कोई झिझक नहीं होना चाहिये।मै स्थानीय विधायक, एवं जिलाधीश महोदय को भी इस सम्बंध मे आग्रह पत्र लिख रहा हूँ जिला प्रशासन,संवेदनशील जिलाधीश महोदय, जिला चिकित्सा अधिकारी, विधायक एवं सरकार से जुड़े प्रभावी लोगों से विनम्र आग्रह है कि रामेश्वरलाल मारू सिविल अस्पताल की नई सौगात के साथ ही  पूर्व से ही संचालित नगर के मध्य स्तिथ पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय को भी यथावत संचालित किये जाने हेतु योग्य कदम उठाए।

– बृजमोहन समदानी,मनासा 

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