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तीसरी लहर की संभावनाओं के बाद भी प्रदेश के ११ लाख बच्चे कुपोषित

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भोपाल। (हिन्द न्यूज सर्विस)। जिस महिला बाल विकास विभाग की कमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास हो यही नहीं इसी महिला बाल विकास विभाग की कार्यशैली के चलते प्रदेश के उन आदिवासी बाहुल्य जिले बड़वानी, श्योपुर, अलीराजपुर, मुरैना, गुना जैसे आदिवासी बाहुल्य जिलों में कुपोषित बच्चों की संख्या ज्यादा हो फिर भी शिवराज सिंह ही नहीं बल्कि भाजपा के नेता आदिवासियों के हितैषी होने का दावा कर रहे हों, इन जिलों की जब कुपोषित बच्चों की स्थिति यह है तो इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस झाबुआ में आदिवासी बाहुल्य जिले में कुपोषण के कारण एक समय झाबुआ प्रदेश ही नहीं बल्कि देशभर में प्रसिद्धि पा चुका है यही नहीं शिवराज सिंह ने एक बार नहीं अनेकों बार टीवी चैनलों पर कुपोषित बच्चों के इस कलंक को लेकर तमाम तरह की चिंताएं व्यक्त की हैं लेकिन अब जब इमरती देवी के महिला बाल विकास विभाग से चुनाव हारने के बाद त्यागपत्र देने के बाद इस विभाग की कमान शिवराज सिंह के पास है फिर भी इस प्रदेश के कुपोषित बच्चों की ओर इनकी कोई चिंता नहीं दिखाई दे रही है

लॉकडाउन के दौरान पोषण आहार वितरण में आदिवासी जिलों में जो बच्चों के मुंह के निवाले को छीनने का काम किया आज अलीराजपुर जिले के जोबट में विधानसभा का उपचुनाव होना है, उसी अलीराजपुर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अधीन महिला बाल विकास विभाग के तत्कालीन अधिकारी की शह पर कितना पोषण आहार का घोटाला हुआ इसको लेकर भी जिले के लोग चटकारे लेकर चर्चा करते नजर आ रहे हैं, इस संबंध में अलीराजपुर जिले के एक जागरुक नागरिक ने शिवराज के महिला बाल विकास विभाग के चहेते प्रमुख सचिव अशोक शाह ही नहीं बल्कि विभाग के संचालक को शिकायती पत्र भेजा था उस शिकायती पत्र पर आज तक क्या कार्यवाही हुई यह अशोक शाह से लेकर महिला बाल विकास विभाग के संचालक तक जानकारी देने को तैयार नहीं हैं और आज भी उसी अलीराजपुर में जिस महिला बाल विकास विभाग की कमा शिवराज के हाथों में है जो घोटाले और पोषण आहार मामले में अनदेखी चल रही है उसकी तरफ विभाग के अधिकारियों का भी कतई ध्यान नहीं है, इस सबके बावजूद भी शिवराज सिंह आदिवासियों के हितैषी होने का ढिंढोरा पीटते हैं जबकि उनके जो बच्चे कुपोषण के शिकार हैं उन बच्चों के प्रति उनके ही अधीस्थ विभाग के अधिकारी उन कुपोषित बच्चों के मुंह का निवाला छीनने में लगे हुए हैं, मजे की बात तो यह है कि शिवराज के अधीनस्थ विभाग महिला बाल विकास विभाग में हाल ही में अलीराजपुर के भाबरा में जो आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति हुई उसमें भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्ती में भजकलदारम् का दौर चला जिसकी शिकायत जिले के महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी से की तो उनका एक ही जवाब था कि जो काम करेगा तो वह खायेगा? शायद शिवराज सरकार की यही कार्यशैली है कि जो काम करेगा वो सरकारी योजनाओं के आंकड़ों की फर्जी रंगोली सजाकर मुख्यमंत्री को तो खुश कर देगा लेकिन अपनी जेब भरने में भी पीछे नहीं रहेगा, सवाल यह उठता है कि महिला बाल विकास विभाग के इस कुपोषण अभियान को समाप्त करने में यह सरकार सफल क्यों नहीं हो पाती जबकि मुख्यमंत्री के पास स्वयं इस विभाग की जिम्मेदारी है, इससे जाहिर होता है कि पोषण आहार के माफियाओं के द्वारा जो वर्षों से कुपोषित बच्चों के मुंह के निवाले पर डाका डालने का काम वर्षों से बदस्तूर जारी है, इससे उनकी सरकार की कार्यशैली के चलते धड़ल्ले से चल रहा है, इसके बाद भी शिवराज सिंह आदिवासियों के हितैषी होने का ढिंढोरा पीटते रहते हैं जबकि उनके विभाग में ही आदिवासी समुदाय के बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने में लापरवाही बरती जा रही है आखिर यह कब तक जारी रहेगी… ?  

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