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ग्वालियर हादसे की 13 कहानियां:12 में से 5 महिलाएं परिवार में अकेली कमाने वाली थीं

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ग्वालियर

दूसरों के बच्चों के लिए खीर-हलवा बनाने वाली 12 महिलाएं अपने बच्चों और परिवार को हमेशा के लिए बिलखता छोड़ गईं। इन 12 महिलाओं में से पांच तो अपने परिवार में इकलौती कमाने वाली थीं। ऑटो ड्राइवर भी घर का इकलौता ही कमाने वाला था। इन महिलाओं की मौत परिवार के लिए कभी न खत्म होने दर्द छोड़ गई है। इनमें से किसी को दो महीने बाद अपनी बेटी की शादी करनी थी, तो कोई पति की मौत के बाद बच्चों के सपने पूरे करने के लिए रात-दिन मेहनत कर रही थी। एक महिला तो अपने बच्चों को चॉकलेट लाकर देने का वादा करके घर से खाना बनाने निकली थी।

मंगलवार सुबह पुरानी छावनी आनंदपुर ट्रस्ट के सामने हुए बस-ऑटो भिड़ंत ने इन महिलाओं को अपनों से हमेशा के लिए जुदा कर दिया। ये महिलाएं गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों से थीं और परिवार को चलाने के लिए रोजाना देर रात से सुबह तक आंगनबाड़ी के लिए खाना पकाती थीं। सभी महिलाएं गोला का मंदिर के शिव कॉलोनी, जड़ेरूआ कला, पिंटो पार्क इलाके में रहती थीं। इस इलाके में अब मातम पसरा हुआ है।

गोला का मंदिर की शिव कॉलोनी में एक ही परिवार की चार महिलाओं की मौत के बाद कुछ ऐसा नजारा था। मजबूत कंधे भी इन शवों को उठाने से कतरा रहे थे।

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हादसे में इनकी मौत हुई है।

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32 वर्षीय गीता की भी हादसे में मौत हुई है। उनका पति बंटी कुछ काम नहीं करता है, इससे घर की हालत बेहद खराब है। इसी कारण गीता आंगनबाड़ी में खाना बनाने जाती थीं। उनके तीन बच्चे हैं- 14 साल का राज, 8 साल का प्रिंस, और शिवानी। सोमवार शाम को बच्चों से कहकर गई थीं कि लौटकर चॉकलेट खिलाएंगी, लेकिन वह लौटी नहीं। इसी हादसे में गीता की बुआ 55 वर्षीय कमला, मौसी 45 वर्षीय आशा राठौर पत्नी स्व. अबध किशोर और चाची 45 वर्षीय उषा राठौर पत्नी गिर्राज राठौर की भी मौत हुई है।

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मुक्तिधाम में तीन ही शेड थे, इसलिए और शवों के अंतिम संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ा।

हरबो बाई : घर संभाल रहे थे बूढ़े कंधे

हरबो बाई (65) के पति बाबूलाल बाथम का निधन 8 साल पहले हो चुका है। वह 4 साल आंगनबाड़ी में काम कर रही थीं। उनके साथ ही 65 वर्षीय मायादेवी पत्नी स्व. रामौतार प्रजापति के बुजुर्ग कंधों पर भी पूरे घर का भार था। उनके जाने के बाद उनके बच्चों के सामने आर्थिक संकट आ गया है।

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