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इंदौर में 135 प्रजातियों के पक्षी:इंदौर में गिद्धों की गणना बनी मजाक 

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इंदौर। शहर सहित वन मंडल इंदौर में गिद्धों की गणना के अलावा बड्र्स काउंट इंडिया के माध्यम से पक्षियों की प्रजातियों की गणना भी की जा रही थी। इस साल की गणना के दौरान इंदौर सहित मध्यप्रदेश में पक्षियों की प्रजाति की गणना के जो आंकड़े सामने आए हैं उसके अनुसार इंदौर वन मंडल सहित शहर में 135 प्रजातियों के पक्षी पाए गए हैं। प्रजातियों की गणना के हिसाब से गौरैया चिडिय़ा, बुलबुल सहित कबूतरों की संख्या बढ़ रही है।

पक्षी प्रजातियों की गणना में शामिल स्टेट को-ऑर्डिनेटर ग्रेट बेकयार्ड बर्ड काउंट के प्रवर मौर्य ने बताया कि पहले तीन दिनों में इंदौर, मध्यप्रदेश सहित पूरे भारत में पक्षियों की तलाश कर उन पर नजर रखने और उनकी गिनती करने वाले 2400 बड्र्स लवर्स के ई-बड्र्स ऐप पर पक्षियों की प्रजातियों की फोटो सहित गिनती संबंधित जो जानकारी है उसके हिसाब से सारे देश में अभी तक 960 से ज्यादा प्रजातियां दर्ज की जा चुकी हैं। वहीं मध्यप्रदेश में 275 और इंदौर में 135 से ज्यादा प्रजातियां दर्ज की गई हैं।

कबूतर की बढ़ोतरी पर्यावरण के लिए ठीक नहीं
पक्षियों की प्रजातियों की गणना में शामिल बर्ड लवर रितेश खाबिया ने बताया कि भारत में बर्ड वॉचिंग एंड काउंटिंग के दौरान ई-बर्ड एप्लीकेशन में दर्ज की गई जानकारी में हैरान करने वाली बात सामने आई है कि शहरों में अन्य प्रजाति के पक्षियों की अपेक्षा कबूतरों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ती जा रही है। यह पर्यावरण के लिए ठीक नहीं है। शहरवासियों द्वारा मकानों की छतों पर या पार्क के अलावा चौराहों की रोटरी पर अनाज अथवा दाने डालने के कारण कबूतरों की संख्या में बड़ी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। यह पर्यावरण के संतुलन के लिए ठीक नहीं है।

कौआ, गिद्ध और विदेशी पक्षी लगातार घटे
बर्ड काउंट इंडिया के अनुसार पर्यावरण के सबसे खास और सबसे बड़े मित्र पक्षियों में कौआ और गिद्धों की संख्या लगातार घट रही है। यह पर्यावरण ही नहीं, बल्कि मानव समाज के लिए भी ठीक नहीं है, क्योंकि जंगल से लेकर शहर और गांव के आसपास प्राकृतिक सफाई की सबसे बड़ी जिम्मेदारी कौआ और गिद्ध ही संभालते आए हैं। शहर में विदेशी पक्षियों का आना कम होना चिंता का विषय बना हुआ है।

इंदौर में गिद्धों की गणना बनी मजाक
हर 2 साल में होने वाली गिद्धों की गिनती वन विभाग के अधिकारियों और बीट वनकर्मियों के आपसी तालमेल और समन्वय न होने के कारण मजाक बनकर रह गई है। गणना के दौरान वन विभाग के अधिकारियों द्वारा वॉट्सऐप पर और शहर के मीडिया द्वारा दिए गए अलग-अलग आंकड़े और जानकारियों के चलते गिद्धों की गणना की विश्वसनीयता पर सवाल उठ खड़े हुए है। इस मामले में डीएफओ महेंद्रसिंह सोलंकी से बात की गई तो वह गणना के आंकड़ों से संबंधित सवालों का कोई जवाब नहीं दे सके। पिछली बार की गणना में 117 गिद्ध मिले थे, मगर इस बार वन विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार गिद्धों का आंकड़ा 100 के भी पार नहीं जा पाया है।

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