भोपाल। लंबे समय से घाटे में चल रहे विभिन्न विकास प्राधिकरण अपनी संपत्ति बेचने में भी लगातार नाकाम बने हुए हैं। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लगातार कई -कई प्रयास करने के बाद भी इन सम्पत्तियों की खरीदने में कोई रुचि नहीं ले रहा है।
इससे परेशान होकर अब इस तरह की संपत्तियों को सस्ते दामों में बेचने की तैयारी की जा रही है। इस तरह की संपत्तियों के दाम अब 75 फीसद तक कम कर उसे बेचने के प्रयास किए जाएंगे। दामों में कमी के अधिकार सरकार ने संबंधित प्राधिकरणों को दे दिए हैं। इसके लिए हाल ही में राज्य सरकार द्वारा विकास प्राधिकरणों की सम्पत्तियों का प्रबंधन तथा व्ययन नियमों में संशोधन कर दिया गया है। हालांकि इस मामले में पूर्व में भी सरकार आरक्षित मूल्य का साठ प्रतिशत तक कम करने का अधिकार दे चुकी थी।
इसके साथ ही यह भी तय कर दिया गया है कि अब फ्री होल्ड जमीन की जगह भूमिस्वामी अधिकार दिए जाएंगे। इससे प्राधिकरण को आवंटित जमीन का आवासीय और वाणिज्यिक उपयोग के लिए बेचने का भी रास्ता खुल गया है। नियमों में संशोधन होने के बाद अब तमाम प्रयासों के बाद भी अगर पर्याप्त प्रस्ताव नहीं मिलते हैं तो सक्षम प्राधिकारी को उस सम्पत्ति के आरक्षित मूल्य के बराबर या उससे अधिक होने पर उच्चतम बोली का अनुमोदन करने का अधिकार दे दिया गया है। यह तब भी किया जा सकेगा, जब भले ही एक ही बोली क्यों न आयी हो।
यह भी किया गया बदलाव
नियमों में किए गए संशोधन के मुताबिक यदि तीसरी बार के बाद भी बोली आरक्षित मूल्य से कम आती है तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा प्रतिवेदन तैयार कर प्राधिकारी मंडल को भेजा जाएगा। प्राधिकारी मंडल मूल्य को प्रथम तीन बार में तय आरक्षित मूल्य के 75 प्रतिशत तक कम कर नई बोलियां आमंत्रित करेगा। इसमें मुख्य कार्यपालन अधिकारी को यह तय करना होगा कि बोलियों के प्रथम आमंत्रण तथा घटाए गए आरक्षित मूल्य पर आमंत्रण के मध्य कम से कम एक वर्ष का समय हो गया हो।
यह है बड़ी वजह
दरअसल प्राधिकरणों के अफसरों द्वारा मनमाने तरीकों से ऐसी जगह के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं, जहां पर न तो लोगों का कोई इंट्रेस्ट रहता है और न ही वहां जल्द ही कोई गतिविधि शुरू होने की संभावना रहती है। यही नहीं इनके निर्माण में भी पर्याप्त गुणवत्ता का भी ध्यान नहीं दिया जाता है। इसकी वजह से लोगों द्वारा प्राधिकरणों की संपत्ति में कोई रुचि नहीं ली जाती है।