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3.84 लाख किमी का सफर कैसे पूरा करेगा ‘चंद्रयान 3’ 

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इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान केंद्र) का मून मिशन ‘चंद्रयान 3’ चांद के लिए उड़ान भर चुका है। ऐसे में अब बड़ा सवाल यह है कि चंद्रयान-3 चंद्रमा तक का सफर कैसे पूरा करेगा? राकेट की रफ़्तार क्या होगी? चंद्रयान-3 के सफर और टारगेट को समझें बहुत आसान भाषा और सिर्फ पॉइंट्स में –

चंद्रयान-3 चंद्रमा तक का सफर कैसे पूरा करेगा

– 36,968 किमी प्रति घंटे तक होगी रॉकेट की रफ्तार
– 40 दिनों में तय करेगा 3.84 लाख किमी का सफर
– चंद्रमा पर पहुंचने की संभावित तिथि 23 अगस्त
– इस बार मून मिशन के साथ ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा, जैसा कि चंद्रयान-2 के साथ भेजा गया था। इस बार केवल लैंडर और रोवर ही इसमें होगा

राकेट की रफ़्तार पर एक नजर

– जब रॉकेट बूस्टर की लॉन्चिंग के वक़्त शुरुआती रफ्तार 1627 किमी प्रति घंटा
– लॉन्च के 108 सेकंड बाद 45 किमी की ऊंचाई पर रफ्तार 6437 किमी प्रति घंटा
– 62 किमी की ऊंचाई पर रॉकेट की रफ्तार 7 हजार किमी प्रति घंटा
– 92 किमी की ऊंचाई पर रफ्तार 16 हजार किमी/घंटा
– 179 किमी के बाद इसकी रफ्तार 36968 किमी/घंटा

पृथ्वी से चांद की कक्षा का सफर

– चंद्रयान-3 के पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट में स्थापित होने पर इसके सौर पैनर खुलेंगे
– अब चंद्रयान पृथ्वी के चक्कर लगाना शुरू कर देगा
– चंद्रमा के 100 किमी की कक्षा में आने के बाद लैंडर को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग किया जाएगा
– इसके बाद लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी

लैंडिंग के बाद क्या होगा

– लैंडर के सफलतापूर्वक लैंड होने के बाद रोवर इसमें से बाहर आएगा
– बाहर आने के बाद रोवर चंद्रमा की सतह पर चलेगा

चंद्रयान-3 के तीन टारगेट

– पहला टारगेट : 40 दिन बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग
– दूसरा टारगेट : रोवर का चंद्रमा की सतह पर चहलकदमी करना
– तीसरा टारगेट : रोवर से जुटाई जानकारी के आधार पर चंद्रमा के रहस्यों से परदा उठाना

सबकुछ ठीक रहा तो यह अगस्त के आखिर में चंद्रमा पर उतरेगा। इस सफलता से भारत, संयुक्त राज्य अमरीका, चीन और तत्कालीन यूएसएसआर के बाद यह उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इस मिशन को पूरा करने में 615 करोड़ रूपये खर्च हो रहा है। यह भारत का तीसरा मून मिशन है।

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