अग्नि आलोक

4 कविताएं (जागो अपने हक के लिए / सहेली हमारी मुस्कान है / मुझे भी कुछ कहना है / आओ मिलकर पर्यावरण को बचाएं)

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जागो अपने हक के लिए

श्रेया जोशी
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड

उठो अब जागो अपने हक के लिए,
डर को दूर भगाओ अपने हक के लिए,
लड़ना भी तुम सीख जाओगे,
पढ़ना भी तुम सीख जाओगे,
जागो लड़कियों अब अपने हक के लिए,
कब तक सहोगी यह अत्याचार,
शिक्षा से करो पलटवार तुम,
बता दो दुनिया को अपना हाल तुम,
तुम्हारे लिए भी है ज्ञान का सार,
अपने लिए भी लड़ना सीखो,
आगे तुम अब बढ़ना सीखो,
नहीं देगा तुम्हारा कोई साथ,
छीन लो तुम अपना अधिकार,
एक छोटी सी किरण मिले तो,
तुम उसको अपनी नींव बना दो,
एक मीठी सी मुस्कान से तुम,
दुनिया को अपनी पहचान बता दो।।

सहेली हमारी मुस्कान है

नीमा आर्य
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड

सहेली तो हमारी मुस्कान है,
बनती उससे अपनी पहचान है,
हम सबका यही कहना है,
सहेली संग हमेशा रहना है,
क्यों छोड़े हम एक दूसरे का साथ,
क्यों जाएं एक दूसरे से दूर,
सिर्फ़ स्कूल तक का सफ़र नहीं था,
हमे तो हमेशा साथ में रहना था,
एक साथ खाते और पीते हैं,
किसी को बीच में नहीं आने देते हैं,
होती छुट्टी स्कूल की तो साथ घर जाते हैं॥

मुझे भी कुछ कहना है

सुनीता जोशी
कपकोट, बागेश्वर
उत्तराखंड

लड़ लड़ के अब थक गई हूं,
अब लड़ना नहीं है मुझ को,
डर डर कर कमजोर बनी,
अब डरना नहीं है मुझको,
सबसे लड़ूँगी चुनौतियों से ना डरूँगी,
जो कुछ करना चाहूं, सबकुछ करूंगी,
हार गई थी दुनिया से लेकिन,
अब न हिम्मत हारूँगी,
अब मुझे अपने लिए नहीं,
सबके लिए लड़ना है,
अब न किसी से डरना है,
अब मैं भी यह मान गई हूं,
पूरी दुनिया को जान गई हूं,
नारी का इस दुनिया में,
कही पर सम्मान नहीं,
इस सम्मान के लिए ही तो,
सारी दुनिया से लड़ जाना है॥

आओ मिलकर पर्यावरण को बचाएं

रेनू
कक्षा-11
छत्यानी, उत्तराखंड

आओ मिलकर पर्यावरण को बचाएं,
वर्षा के मौसम में नाचे और गाएं,
जब छम छम बारिश है पड़ती,
पहाड़ों की रूह फिर खूब चमकती,
जाड़े की ठंडी में जब हम ठिठुरते,
आग जला के एक साथ सब बैठते,
धुआं पर्यावरण को है नष्ट करता,
मगर खाना उसी पर है बनता,
दूषित कचरे से हम बच ना पाते,
इस तरह गंदगी हम ख़ुद हैं फैलाते,
पता है ये हमारे लिए अच्छा नहीं,
फिर भी हम नहीं है मानते,
चलो हम दुनिया को हरा भरा बनाएं,
आओ मिलकर पर्यावरण को बचाएं।।

चरखा फीचर

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