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43 आतंकी संगठनों पर बैन, लेकिन 36 अब भी एक्टिव

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23 अक्टूबर को तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक कार में धमाका हुआ। इसमें जेमिशा मुबीन नाम के शख्स की मौत हो गई। मुबीन ही कार चला रहा था। जांच में पता चला कि वह दक्षिण भारत में 5 जगह ब्लास्ट करने वाला था। CCTV फुटेज की मदद से मुबीन के 5 साथियों को भी पकड़ा गया। सभी के आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) से जुड़े होने का शक है। जांच के लिए NIA की टीम कोयंबटूर पहुंच गई है।

CCTV फुटेज में तीन आरोपियों को मुबीन की कार में 2 सिलेंडर और 3 ड्रम रखते हुए देखा गया था। इन्हीं से कार में ब्लास्ट किया गया।

इस्लामिक स्टेट उन 43 संगठनों में शामिल है, जिन पर भारत में बैन है। इस लिस्ट में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) सबसे ताजा नाम है। PFI को सरकार ने 28 सितंबर को 5 साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया था।

क्या बैन कर देने से कोई संगठन खत्म हो जाता है। जवाब है नहीं…
भास्कर की पड़ताल में पता चला कि देश में प्रतिबंधित 43 में से 36 संगठन बैन के बावजूद एक्टिव हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि ये संगठन फिर सिर न उठा पाएं, इसके लिए कोशिशें की जा रही हैं। प्रतिबंध लगाकर हम पहले ही इनकी कमर तोड़ चुके है। अब हमारा टारगेट धीरे-धीरे इन्हें पूरी तरह खत्म करने का है। इसके लिए राज्य सरकारों के साथ मिलकर हम समय-समय पर कार्रवाई करते रहते हैं।

ऐसे संगठनों पर नजर रखने के लिए अलग डेस्क और टीम बनाई गई है। ट्रैक करने के साथ-साथ इनके पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी ISI से कनेक्शन पर नजर रखी जाती है। सबूत मिलने पर एक्शन भी लिया जाता है।

बैन हो चुके ज्यादातर संगठन नाम बदल कर अलग-अलग राज्यों में ऑपरेट हो रहे हैं। जैसे बब्बर खालसा इंटरनेशनल के प्रतिबंधित होने के बाद इससे जुड़े लोग दल खालसा, सिख यूथ फेडरेशन भिंडरांवाले, सिख ऑर्गेनाइजेशन फॉर प्रिजनर वेलफेयर (सिख रिलीफ) और अखंड कीर्तनी जत्था यानी AKJ में शामिल होकर भारत में काम कर रहे हैं। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट और द रेजिस्टेंस फ्रंट के साथ जुड़ गए।

पहचान बदल कर रहते हैं, पकड़ना मुश्किल
बैन हो चुके संगठनों से जुड़े लोग स्लीपर सेल की तरह काम करते हैं। वे अपने आसपास रहने वाले लोगाें को धर्म या समुदाय के नाम पर साथ जोड़ लेते हैं। फिर धीरे-धीरे ब्रेनवॉश कर उन्हें कट्‌टरपंथी बनाया जाता है।

इन लोगों को विदेशों में एक्टिव संगठन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ट्रेनिंग देते हैं। उन्हें देश विरोधी गतिविधियों के लिए उकसाया जाता है। इनमें से ज्यादातर अपनी पहचान बदल चुके हैं, इसलिए उन्हें पकड़ना मुश्किल होता है।

सिस्टम की चूक के कारण ऐसे संगठन एक्टिव
क्या इन संगठनों को सिर्फ कागजों पर बैन किया गया, इन्हें जड़ से खत्म करने का काम नहीं हुआ?

इस सवाल पर यूपी के पूर्व DGP विक्रम सिंह कहते हैं कि संगठनों को बैन करना अच्छी बात है, लेकिन उनके खिलाफ जैसी कार्रवाई होनी चाहिए वैसी नहीं हो रही है।

हमारे पास हर संगठन से जुड़े लोगों की हिस्ट्रीशीट होती है। इसमें उनके परिवार, उनकी फंडिंग के सोर्स और टीम की जानकारी होती है। हमारे पास इतनी बारीक डिटेल होती है कि हर छोटी- बड़ी एक्टिविटी का पता चल जाता है। इसके बावजूद अगर ये एक्टिव हैं तो इसमें सबसे बड़ी चूक सिस्टम की है।

आतंक को मिटाने के लिए हम पार्ट टाइम काम कर रहे
विक्रम सिंह ने कहा कि हमारी पोजीशन इजराइल से खराब तो नहीं है। वह चारों ओर से घिरा होने के बावजूद अपने दुश्मनों को मिट्टी में मिला रहा है। चीन और अमेरिका भी अपने यहां आतंकवाद को कंट्रोल करने में कामयाब रहे हैं। हम इस पर पार्ट टाइम काम कर रहे हैं और फुल टाइम काम करने वालों (आतंकियों) के मुकाबले पीछे हैं। इनके खिलाफ दोगुनी ताकत के साथ कार्रवाई करनी होगी।

​​​​जड़ से खत्म करने के लिए फाइनेंस और थिंक टैंक खत्म करना होगा
स्लीपर सेल और उनके आकाओं को खत्म करना मुमकिन है। इन्हें जड़ से खत्म करने के लिए हमें उनके चैनल ऑफ फाइनेंस और थिंक टैंक को मिटाना होगा। अगर हर आतंकी की ई-हिस्ट्रीशीट बनती है और इसमें आसानी से हजारों लोगों पर नजर रखी जा सकती है।

कई संगठन कमजोर होने के बाद एकजुट हुए
बैन हो चुके कई आतंकी संगठन कमजोर होने के बाद मिलकर काम करने लगे। मुंबई में टेरर फंडिग केस की जांच में NIA को पता चला कि 1993 ब्लास्ट का आरोपी दाउद इब्राहिम आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अलकायदा के लिए ड्रग्स, प्रॉपर्टी और तस्करी से पैसा जुटा रहे हैं।

सूत्रों के मुताबिक, NIA अलग खालिस्तान की मांग कर रहे संगठनों की भी जांच कर रही है। इसमें पता चला कि उन्हें कश्मीर में एक्टिव आतंकी संगठनों से फंडिंग और हथियार मिल रहे हैं। इसी तरह नार्थ ईस्ट के राज्यों में सक्रिय विद्रोही गुटों और नक्सलियों तक भी ISI और जैश-ए-मोहम्मद हथियार पहुंचा रहे हैं।

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