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पांच महीने से मणिपुर के 4 अस्पतालों में पड़ी हैं 96 लावारिश लाशें

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पिछले पांच महीने से मणिपुर अशांत है। हिंसा, हत्या और विस्थापन के दंश को झेलते हुए कुकी-जो आदिवासियों ने मंगलवार को राज्य में ‘अशांति के पांच महीने का जश्न’ मनाया। यह जश्न 3 मई को शुरू हुई हिंसा में मारे गए उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया गया जिन्हें आज तक दफनाया नहीं जा सका है। सूत्रों के मुताबिक अभी भी कम से कम 96 शव चार मुर्दाघरों में लावारिस पड़े हैं, जिनमें से तीन मैतेई-बहुल इम्फाल घाटी में और एक कुकी-जो-बहुल चुराचांदपुर में है।

कूकी-जो संगठन, सीओटीयू (COTU) ने मंगलवार को मणिपुर के कांगपोकपी शहर में ब्रिगेडियर एम. थॉमस ग्राउंड में ताबूत रैली निकाली। मोमबत्ती की रोशनी में निकाले गए इस जुलूस में आम नगारिकों के साथ ही कई नागरिक संगठनों के लोग भी शामिल थे। आदिवासी एकता समिति (COTU) ने “कुकी शहीदों को श्रद्धांजलि देने” के लिए 15 घंटे के बंद के आह्वान के साथ मणिपुर अशांति के “पांच महीने का जश्न मनाया” जिससे सामान्य जीवन प्रभावित हुआ।

कांगपोकपी जिले के कुकी-ज़ो लोगों के ताबूत रैली ने लोगों के बीच एक खास संदेश दिया है। पांच महीने पहले हिंसा में मारे गए लोगों को अभी तक दफनाया नहीं जा सका है। और राज्य सरकार कुकी-जो आदिवासियों की समस्याओं पर ध्यान देने और उनकी जान-माल की रक्षा करने में असफल साबित हुई है।

कुकी अब किसी भी कीमत पर मैतेई समुदाय के साथ रहना नहीं चाह रहे हैं। अब वह पहले से अधिक दृढ़ता से अलग प्रशासन की मांग कर रहे हैं। कुकी समुदाय का कहना है कि पांच महीने से चल रहे संघर्ष में उन्होंने जो कुछ “कष्ट” सहा है उसके बाद वे “मैतेई-बहुल इम्फाल घाटी में नहीं रह सकते।”

कुकी-जो बहुमत वाले कांगपोकपी जिले के सीओटीयू सदस्य ने कहा कि आधा किलोमीटर की प्रतीकात्मक ताबूत रैली और मोमबत्ती की रोशनी में जुलूस शाम 7 बजे के आसपास समाप्त हुआ।

सीओटीयू सदस्य ने कहा कि “मंगलवार को संघर्ष को पांच महीने पूरे हो गए हैं। हमने 10 प्रतीकात्मक ताबूतों के साथ मार्च किया और फिर शहीदों के परिवारों के साथ अपनी एकजुटता व्यक्त करने और दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए मोमबत्ती की रोशनी में जुलूस निकाला।”

कांगपोकपी शहर में ब्रिगेडियर एम. थॉमस ग्राउंड में आयोजित स्मरणोत्सव में हजारों लोगों ने भाग लिया। जब गांव के स्वयंसेवकों द्वारा ताबूतों को एक पंक्ति में रखा गया तो उन्होंने एक मिनट का मौन रखा। कुकी-जो नेताओं ने ताबूत पर फूल-माला चढ़ाकर अपना सम्मान व्यक्त किया।

सीओटीयू के एक सदस्य ने कहा कि “सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के स्मरणोत्सव के रूप में सुबह 6 बजे से 15 घंटे का कांगपोकपी बंद का आह्वान किया गया था। हम चल रहे संघर्ष के बारे में केंद्र सरकार को सतर्क रखना चाहते थे, जिसे आज पांच महीने पूरे हो गए हैं और जिसके समाधान की जरूरत है।”

मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहे संघर्ष ने राज्य में कम से कम 176 लोगों की जान ले ली है और 67,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं। सीओटीयू नेता ने अपने संबोधन में राष्ट्रपति शासन लगाने, मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को हटाने और 19 घाटी स्टेशनों में एएफएसपीए फिर से लगाने की मांग की है। उनके मुताबिक अब तक इस संघर्ष में कुकी-जो के 140 लोग मारे जा चुके हैं।

हालांकि कुकी-जो बहुल चुराचांदपुर जिले में सोमवार से जारी अनिश्चितकालीन बंद को मंगलवार शाम को वापस ले लिया गया, लेकिन आने वाले दिनों में कांगपोकपी में विरोध प्रदर्शन तेज हो सकता है।

चुराचांदपुर जिले के कुकी-जो नागरिक समाज संगठनों का एक समूह, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) ने सीबीआई और एनआईए द्वारा गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए लोगों की जल्द रिहाई की मांग को लेकर चुराचांदपुर में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया था। लेकिन लोगों की कठिनाई को ध्यान में रखते हुए बंद वापस ले लिया गया।

मंगलवार को कांगपोकपी में बंद की तरह चुराचांदपुर में दूसरे दिन भी पूर्ण बंद शांतिपूर्ण रहा। सीओटीयू ने पहले ही 5 अक्टूबर से कांगपोकपी जिले में अनिश्चितकालीन बंद शुरू करने की घोषणा की है, अगर केंद्रीय गृह मंत्रालय गुरुवार को समय सीमा समाप्त होने से पहले सीबीआई और एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए लोगों की रिहाई सुनिश्चित नहीं करता है।

इम्फाल के दो मैतेई छात्रों के कथित अपहरण और हत्या के मामले में सीबीआई ने चुराचांदपुर से चार लोगों को गिरफ्तार किया था। मृतक 6 जुलाई को लापता हो गए थे। उनके शव अभी तक बरामद नहीं हुए हैं।

कांग्रेस ने 4 अक्टूबर को मणिपुर की स्थिति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि पहले कभी किसी प्रधानमंत्री ने एक राज्य और उसके पूरे लोगों को पूरी तरह से “त्याग” नहीं दिया जैसा कि अब किया गया है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 15 महीने पहले भाजपा के सत्ता में आने के बाद मणिपुर में ऐसी स्थिति आना “उसकी नीतियों और प्रधानमंत्री की प्राथमिकताओं का सबसे गंभीर अपमान” है।

5 महीने पहले, 3 मई की शाम को, तथाकथित डबल इंजन सरकार की विभाजनकारी राजनीति के कारण मणिपुर भड़क उठा था। राज्य की भयावह स्थिति और प्रधानमंत्री की जवाबदेही का पालन न करना कई सवाल खड़े करता है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सवाल किया कि “प्रधानमंत्री ने आखिरी बार मणिपुर के बीजेपी सीएम से कब बात की थी? आखिरी बार प्रधानमंत्री ने मणिपुर के बीजेपी विधायकों से कब मुलाकात की थी? आखिरी बार कब प्रधानमंत्री ने राज्य के अपने कैबिनेट सहयोगी के साथ मणिपुर पर चर्चा की थी?”    

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