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स्त्री सशक्तिकरण : नारी बना रही है नर को दुश्चरित्र 

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         पवन कुमार (वाराणसी)

स्त्री के अंडे में किसका शुक्र जाता है?
~ जिसका वह लेती है.
पुरुष किसके गर्भ में पलता है?
~स्त्री के.
पुरुष का जन्म कहाँ से होता है?
~स्त्री-योनि से या सर्जरी द्वारा उसके पेट से.
पुरुष का भोजन कहाँ से आता है?
~स्त्री के स्तन से?
पुरुष के लिए संस्कार/कुसंस्कार कहाँ से आता है?
~ स्त्री से.
संतान वैसी ही होती है जैसी मां होती है और जैसी वह उसे बनाती है. बाप के ऊपर आजीविका के संसाधन की जिम्मेदारी होती है, संस्कार की नहीं.

अब लड़कियां भी कमाती और खर्च करती है। धनाढ्य अनमैरिड या मैरिड  कामातुर महिलाओं के बीच प्ले ब्वॉय या जिगोलो जैसे पुरूष वैश्याओ की मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है. ये एक-दो घंटे का 5-6 हज़ार, पूरी रात या पूरे दिन का 10-15 हज़ार लेते हैं. रेट फीमेल की उम्र, बॉडी और व्यूटी पर भी डिपेंड करता है.

   मॉडर्न यानी चरित्रहीन महिलाओं का एक मर्द से काम नहीं चलता. उसको तो कई  मर्द का स्वाद चाहिए।

ऊपर से तुर्रा यह की मर्द ज़िस्म के भूखे होते हैं. औरतों को जिस्म की भूख नहीं, तो फिर उन्हें मर्दों से नहीं, हिजडों से शादी करनी चाहिए. औरतें तो, अपने पति पर नपुसंकता का आरोप लगाती हैं. ज़िस्म की भूख नहीं तो ऐसा क्यों?  तलाक लेने के बाद दूसरी शादी करके, वही पुरुष मर्द सावित हो जाते हैं। कैसे ?

    इतिहास और सर्वेक्षण भी गवाह है कि,  जिस्म की भूख मर्दों से 08 गुना अधिक औरतों को होती है. औरत ही मर्द को वासना के लिए उकसाती है,  पहल करती है, व तैयार करती है। 

      चरित्रहीन कुल्टा औरत उर्वशी की तरह पुरुष (अर्जुन समान) को अपने साथ कुकर्म करने के लिए आमंत्रित व मजबूर  करती है. उस पुरुष के मना करने पर , झूठे रेप या यौनशोषण केस  (श्राप) में फंसा देती है.

      अगर चरित्रहीन पुरुष उसके जाल में फस जाए, और उसके साथ कुकर्म में लिप्त पाए जाने पर सारा दोष उस पुरुष पर ही मढ देती है।

      बिल्कुल इसी तरह, महाभारत में देखा, पहले अय्याशी उर्वशी ने अपनी हवस की आग शान्त करने के लिए, अर्जुन को फंसाने की कोशिश की, जब अर्जुन ने मना कर दिया, नहीं फंसा तो, यह कहते हुए, –  “हे अर्जुन! नर्तकी ना किसी की बहन होती हैं, न किसी की, माँ नर्तकी”, और दे  दिया श्राप.

    महर्षि विश्वामित्र और मेनका का प्रकरण भी सभी जानते ही होंगे. क्या यही पुरुष द्वारा नारी पर अत्याचार है?

      आज की नारी श्राप नहीं देती बल्कि दहेज प्रताडना, घरेलू हिंसा व पति परिवार पर तरह तरह के झूठे आरोप लगाकर वह पुरुष पर झूठे छेडछाड के आरोप मे फंसाकर बदला लेती है। 

     हमेशा चरित्रहीन स्त्री ही, पुरूष को दुश्चरित्रता के लिए आमंत्रण करती व उसे इस कुमार्ग पर ले जाती है। अगर स्त्री आमंत्रण न दे तो कोई भी पुरुष स्त्री को छूने की भी हिम्मत नही कर सकता. जोर जबरदस्ती या बलात्कार कर सकता है।

   स्त्री पहले स्वेच्छा से प्यार में संबंध बनाएगी. लिव इन रिलेशनशिप में रह लेगी. जब अनबन होगी या कोई और पसंद आ जाएगा तो शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगा देगी. (चेतना विकास मिशन).

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