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नये संविधान की तैयारी और आज़ादी के 75साल

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सुसंस्कृति परिहार

जागरण अखबार के 12अगस्त के अंक की एक ख़बर ने जो सोशल मीडिया पर है आज पूरे देश को चौंका दिया जब सुबह सुबह लोग तिरंगा झंडा अपने घरों पर फहरा कर गौरवान्वित महसूस कर रहे थे ।यह ख़बर थी कि ‘हिंदू राष्ट्र के संविधान का प्रारुप तैयार’।ख़बर में यह बताया गया कि हिंदू राष्ट्र की संकल्पना साकार करने संतो व विद्वानों ने संविधान का प्रारूप तैयार किया है जिसमें दिल्ली की जगह काशी राजधानी होगी।

विदित हो प्रयागराज में फरवरी 22 में संतों की धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र और उसके अनुरूप संविधान बनाने का प्रस्ताव पारित किया था। हिंदू राष्ट्र का संविधान के कवर पेज पर अखंड भारत का नक्शा है ।प्रारूप तैयार करने में 30 लोगों का सहयोग लिया गया है इसके संरक्षक शांभवी पीठाधीश्वर वा शंकराचार्य परिषद के अध्यक्ष स्वामी आनंद स्वरूप हैं। निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ कामेश्वर उपाध्याय सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अधिवक्ता बीएन रेड्डी, रक्षा विशेषज्ञ आनंद वर्धन, सनातन धर्म के विद्वान चंद्रमणि मिश्र डाक्टर विद्यासागर आदि हैं।
अखबार के मुताबिक हिंदू राष्ट्र की व्यवस्था का प्रारूप इस तरह होगा जिसमें कार्यपालिका की व्यवस्था के अनुसार हिंदू राष्ट्र में सिर्फ हिंदू ,सिख ,बौद्ध और जैन को मताधिकार मिलेगा। मताधिकार की आयु 16 वर्ष कर दी जाएगी और यह धर्म संसद के लिए 543 सदस्य चुनेंगे तथा एक राष्ट्राध्यक्ष होगा ।
कानून व्यवस्था के अंतर्गत कहा गया है अंग्रेजों के सभी कानूनों को खत्म किया जाएगा।इस कानून में यह उल्लिखित है कि सज्जनों की सुरक्षा करेंगे और दुर्जनों को तत्काल दंड दिया जाएगा। वर्ण व्यवस्था के आधार पर इसका संचालन होगा।
न्यायपालिका के कार्य में त्रेता और द्वापर युग के बाद जैसे राजा का शासन होता था वैसा ही शासन होगा उसी के अनुसार न्याय की व्यवस्था होगीऔर दंड दिया जाएगा और न्यायाधीशों पर राष्ट्राध्यक्ष का अंकुश रहेगा ।
शिक्षा के बारे में कहा गया है कि गुरुकुल प्रणाली पुनर्जीवित होगी हर क्षेत्र में गुरुकुल होगा जहां धर्म शास्त्रों के अलावा आयुर्वेद ,गणित, नक्षत्र ,भूगर्भ और ज्योतिष की शिक्षा दी जाएगी तथा हर व्यक्ति को सैनिक शिक्षा भी देने का प्रावधान है।

इसका मतलब यह है कि आज़ाद भारत में 26 जनवरी 1950से लागू संविधान समाप्त हो जायेगा और मनुवादी संविधान लागू होगा। आज़ादी की 75वें पूरे होने पर जो अमृतोत्सव मनाया जा रहा वह भी एक दुनिया में दिखावा हो रहा है। जागरण अखबार की यह ख़बर ऐसे समय प्रकाशित करने का मकसद क्या है मुझे लगता है संघ और तथाकथित हिन्दुत्व वादी जो तिरंगे के बनने के समय से ही विरोधी हैं उनको खुश करने ही यह समाचार सायास प्रकाशित कराया गया है।वरना अभी इसकी ज़रूरत क्या थी ?

तिरंगे को हर घर फहराने के पीछे भी अप्रत्यक्ष तौर पर एक कुचाल भी नज़र आ रही है क्योंकि तिरंगे का जो सम्मान संविधान में उल्लिखित है उसका परिपालन भारत के बहुसंख्यक लोगों के बस का नहीं है।वजह यह है कि उन्होंने तिरंगे को घर की नहीं देश की शान बतौर ही देखा है और उसी में अब तक खुश रहे हैं। तिरंगा को ताली थाली पीटने या मोमबत्ती जलाने जैसा अभियान बनाना इसी गहरी भावभूमि का परिचायक है।वह तिरंगा आज से ही जिस बेतरतीबी की कहानी कह रहा है वह बेहद दुखद है।वारिश से भीगे तन और पसीने पोंछता , ज़मीन पर लोटता ,भगवा की बराबरी से लहराता ,कटा-फटा,गलत बना तिरंगा के दुखद दृश्य हर उस भारतवासी को पीड़ा पहुंचा रहा है जो तिरंगा की आन बान और शान के लिए प्रतिबद्ध हैं।पन्द्रह अगस्त के बाद हमारे प्यारे तिरंगे का क्या हश्र होगा सोचकर घबराहट होती है।क्या हर घर तिरंगा अभियान के पहले इस अपमान के बारे में नहीं सोचा गया।लगता तो यही है कि हमारा तिरंगा इस बार साजिश का बुरी तरह शिकार बनाया गया है।क्योंकि इसका आव्हान करने वालों का इतिहास तिरंगा विरोधी है।

कुल मिलाकर इस पावन पर्व जो कुछ हो रहा है उसका अंदरूनी विरोध और इससे कांग्रेस के पुनर्जीवन की आशंका के वशीभूत ही हिंदू राष्ट्र के संविधान की ख़बर को सोशल मीडिया के ज़रिए उछाला गया है।अच्छा ही हुआ इस कारण उनकी मनःस्थिति खुलकर सामने आ गई।सवाल इस बात का है यदि सरकार की मंशा साफ होती तो इसका खंडन हो चुका होता।यह तो तभी स्पष्ट हो चुका था जब धर्म संसद में संविधान विरोधी वक्तव्य देने वालों के खिलाफ इनका एक भी बयान नहीं आया।जो लोग संविधान बचाओ के नारे पर आपत्ति लेते हैं या मनुवाद से आज़ादी की बात का मज़ाक बनाते रहे हैं वे आंखें खोलें और देखें यह सरकार किस तरह धर्मनिरपेक्षता,सबको बराबरी का हक और आज़ादी के खिलाफ है। जागरण की यह खबर आपको जगाने के लिए काफ़ी है।

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