मणिपुर में जारी हिंसा के बीच भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। नेशनल पीपुल्स पार्टी ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर समर्थन वापस लेने की घोषणा की है। पार्टी ने अपने पत्र में साफ़ तौर पर कहा कि सरकार राज्य की मौजूदा स्थिति से निपटने में नाकाम रही हैं। इसलिए वह तत्काल प्रभाव से अपना समर्थन वापस ले रहे हैं।
नेशनल पीपुल्स पार्टी ने अपने पत्र में राज्य की मौजूदा स्थिति कानून-व्यवस्था पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने लिखा कि पिछले कुछ दिनों में हमने राज्य की स्थिति को और खराब होते हुए देखा है, जिसमें कई निर्दोष लोगों की जान चली गई है और राज्य में लोग बड़ी पीड़ा से गुजर रहे हैं।
दूसरी ओर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति की शीर्ष अधिकारियों के साथ समीक्षा की। सूत्र के मुताबिक, उन्होंने शांति सुनिश्चित करने के लिए हर संभव कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सूत्र ने बताया कि वह कल इस मुद्दे पर विस्तृत बैठक करेंगे।
मैतेई समूहका राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम
मणिपुर के इंफाल घाटी का माहौल तनावपूर्ण बना हुआ है। यहां अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया गया है और साथ ही इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं। इन सब के बीच नागरिक समाज समूहों ने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम जारी किया है। इसमें उन्होंने सशस्त्र उग्रवादी समूहों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की मांग की है।
बता दें, जिरीबाम जिले में सोमवार को सुरक्षाबलों और उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में 10 उग्रावादी मारे गए थे। लेकिन राहत शिविर में रहने वाली तीन महिलाएं और तीन बच्चे लापता हो गए थे। शनिवार को दो महिलाओं और एक बच्चे का शव बराक नदी से बरामद किया गया जबकि शुक्रवार रात को एक महिला एवं दो बच्चों के शव मिले थे। ऐसा आरोप है कि उग्रवादियों ने इन महिलाओं और बच्चों का अपहरण कर हत्या की है। इसके बाद से घाटी में हिंसा भड़की हुई है।
लोगों का हिंसक प्रदर्शन
लोगों ने इन हत्याओं के विरोध में इंफाल घाटी में हिंसक प्रदर्शन किए। इतना ही नहीं लोगों ने राज्य के तीन मंत्रियों तथा छह विधायकों के आवास पर भी हमला किया। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के दामाद एवं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक आर के इमो सहित तीन विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की और उनकी संपत्तियों में आग लगा दी। वहीं, सुरक्षाबलों ने इंफाल के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
एक अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने मंत्री सपाम रंजन, एल सुसिंद्रो सिंह और वाई खेमचंद के आवास पर हमला किया। उन्होंने बताया कि इंफाल घाटी में ‘कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए’ इंफाल पूर्व एवं पश्चिम, बिष्णुपुर, थौबल और काकचिंग जिले में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया है।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मणिपुर के मंत्रियों और विधायकों के आवासों पर प्रदर्शनकारियों के धावा बोलने के बाद प्रशासन ने सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के दामाद इमो के अलावा, प्रदर्शनकारियों ने भाजपा विधायक सपाम कुंजाकेसोर और विधायक जॉयकिशन सिंह की संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया। अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने वांगखेई सीट से जनता दल (यूनाइटेड) के विधायक टी. अरुण और लंगथाबल से भाजपा विधायक करम श्याम के आवास का भी घेराव किया।
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शनकारी पश्चिम इंफाल में तिद्दिम रोड स्थित केशामथोंग के निर्दलीय विधायक सपाम निशिकांत सिंह के आवास पर उनसे मिलने आए थे, लेकिन जब उन्हें पता चला कि वह राज्य में मौजूद नहीं हैं तो उन्होंने विधायक के स्वामित्व वाले एक स्थानीय समाचार पत्र के कार्यालय पर हमला कर दिया। भीड़ ने कार्यालय की इमारत के सामने कुछ अस्थायी संरचनाओं को भी नष्ट कर दिया। उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने विधानसभा भवन से मात्र 200 मीटर दूर थांगमेइबंद क्षेत्र में सड़क के बीचो-बीच टायरों में आग लगाई।
पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी राजभवन और सचिवालय सहित कई इमारतों की ओर मार्च करने का प्रयास कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। मुख्य सचिव विनीत जोशी ने इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, कांगपोकपी और चुराचांदपुर जिले में शनिवार शाम 5.15 बजे से दो दिन के लिए इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को अस्थायी रूप से निलंबित करने का आदेश दिया है। इंफाल घाटी के नागरिक समाज संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था ‘मणिपुर अखंडता पर समन्वय समिति’ (सीओसीओएमआई) ने उग्रवादियों पर 24 घंटे के भीतर सैन्य कार्रवाई करने की मांग की है। अधिकारियों ने बताया कि उग्रवादियों ने रात में जिरीबाम कस्बे में कम से कम दो चर्च और तीन घरों को आग के हवाले कर दिया।
अधिकारियों ने बताया, ‘उपद्रवियों द्वारा और अधिक आगजनी करने तथा अतिरिक्त संरचनाओं को जलाने की खबरें भी सामने आई हैं, लेकिन इन दावों की अभी तक स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है।’ सीओसीओएमआई के प्रवक्ता के. अथौबा ने अफस्पा (सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम) को तत्काल हटाने की मांग की, जिसे हाल ही में छह पुलिस थानों के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में पुनः लागू किया गया है। जिरीबाम में सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में मारे गए कुकी-जो समुदाय के 10 युवकों के शव शनिवार को असम के सिलचर शहर से विमान द्वारा चुराचांदपुर लाए गए। असम के सिलचर में इनका पोस्टमार्टम किया गया था।
राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम जारी
मैतेई नागरिक अधिकार समूह, मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) के प्रवक्ता खुरैजम अथौबा ने कहा, ‘राज्यों के सभी प्रतिनिधियों और सभी विधायकों को एक साथ बैठकर इस संकट को जल्द से जल्द हल करने के लिए कुछ निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए। अगर वे मणिपुर के लोगों की संतुष्टि के अनुसार कोई निर्णय नहीं लेते हैं, तो उन्हें लोगों के असंतोष का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। हमने भारत सरकार और मणिपुर सरकार को सभी सशस्त्र समूहों के खिलाफ कुछ निर्णायक कार्रवाई और सैन्य कार्रवाई करने के लिए 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है।’