उत्तर प्रदेश की जनता ने दशकों के इतिहास को पलटते हुए योगी सरकार को दोबारा सत्ता में ला दिया। हालांकि जनता ने ये भी साफ कर दिया कि हम आपसे संतुष्ट हैं, मगर पूरी तरह से खुश नहीं। यूपी की जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार भी बनाई और मजबूत विपक्ष भी दिया। अब योगी सरकार के सामने कुछ बड़ी चुनौतियां हैं। वो चुनौतियां जिससे योगी सरकारको पार पाना ही होगा। अगर वो इसमें कामयाब नहीं होंगे तो संतोष और असंतोष जनता के बीच आंकड़ा असंतोष की तरफ बढ़ जाएगा। कहा जाता है कि यूपी में चुनाव जीतना आसान नहीं होता मगर योगी सरकार ने दोबारा सत्ता हासिल की। ये जीत आसान नहीं थी मगर योगी सरकार के कुछ काम ऐसे थे जिनका असर गांव-गांव तक हुआ और उसी का नतीजा है कि इकाना स्टेडियम में पूरे दल बल के साथ सीएम योगी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
योगी सरकार की राहें आसान नहीं
अब सवाल ये उठता है कि योगी 2.0 में सीएम योगी के पास चैलेंज क्या क्या हैं ? योगी के पहले कार्यकाल के दौरान प्रदेश में कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा था। हालांकि इस चैलेंज से सीएम योगी ने बहुत ही सख्ती से निपटा। योगी सरकार के पहले कार्यकाल में योगी ने एक सख्त लीडर की छवि बनाई। सरकार बनते ही गुंडों, माफियाओं का सूपड़ा साफ होने लगा। कई एनकाउंटर हुए, एनकाउंटर पर सवाल भी उठे। लेकिन हर सवाल का उतनी ही बेबाकी से उन्होंने जवाब दिया। एक टेलीवीजन इंटरव्यू के दौरान एंकर ने सवाल किया था कि आप तो यूपी में एनकाउंटर की लाइन लगा दिए हैं और सीएम योगी आदित्यनाथ ने बिना देरी किए जवाब दिया था कि क्या ऐसे लोगों की आरती उतारूं? ये क्लिप उनका काफी वायरल हो रहा है।
क्या हैं योगी सरकार की बड़ी चुनौतियां?
अब हम यहां पर बात करते हैं उन चुनौतियों की जो योगी सरकार के लिए उनके दूसरे कार्यकाल में होने वाली हैं। योगी के लिए ये रास्ता उतना आसान नहीं है। ये बात खुद पीएम मोदी और सीएम योगी जान चुके हैं। सीएम योगी और पीएम मोदी ने यूपी चुनावों में अपना सबकुछ झोंक दिया था। पीएम मोदी ने जब आखिरी चरण के मतदान से पहले बनारस में रोडशो किया, उस रोडशो ने पूर्वांचल की सियासत में बहुत कुछ बदल दिया था। अब इस बार चीजें क्या बदलने वाली हैं। नवभारत टाइम्स ऑनलाइन के चुनावी कवरेज के दौरान हम जमीनी हकीकत से रूबरू हुए। वो जमीनी हकीकत हम यहां आपके साथ साझा करने वाले हैं।
अन्ना पशुओं का मसला
नई दिल्ली से यात्रा करते-करते हमने तकरीबन 9 हजार किलोमीटर और लगभग 50 से ज्यादा जिले घूम लिए। ये एक ऐसी समस्या थी जिसका हर जिले, हर गांवों में लोगों ने बात कही। ग्रामीण वातावरण में तो लोग इतना गुस्साए थे कि वो बोले कि ऐसा लगता है कि इन सभी जानवरों को जाकर योगी जी के घर की छोड़ आएं। मीडिया में जब ये खबरें चलीं कि लोग इस समस्या से नाराज हैं तो पीएम मोदी को इस मसले पर बोलना पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि 10 मार्च के बाद आवारा पशुओं की समस्या का समाधान हो जाएगा। यूपी में बड़े स्तर में ये समस्या थी। दिन में ही आवारा जानवर पूरे-पूरे खेत को चट कर जाते हैं। योगी सरकार को दूसरे कार्यकाल के दौरान इस समस्या से निजात दिलाना होगा। इसके लिए अगर उनको कोई कानून बनाना पड़े तो वो भी बनाना चाहिए। यूपी में अवैध बूचड़खाने बंद हो गए हैं। लोग अपने जानवरों को दूध निकालने के बाद उनको ऐसे ही छोड़ देते हैं। अब योगी सरकार इस पर जरुर कुछ प्लान तैयार करना होगा।
यूपी में रोजगार समस्या
यूपी में रोजगार एक बड़ी समस्या है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को पूरी तरह घेर दिया था। सरकार इस मामले में 4 लाख रोजगार की बात करती थी मगर मीडिया के सामने वही चेहरे सामने आते थे जो ये कहते थे कि इस सरकार ने रोजगार नहीं दिए। पुलिस भर्तियों को लेकर युवा ये कहते थे कि भर्ती आती हैं, पेपर होते हैं, फिर पेपर लीक होते हैं, फिर एग्जाम होते हैं और फिर रिजल्ट ही लटक जाते हैं। यूपी में रोजगार के लिए सीएम योगी को वृहद स्तर पर प्लान तैयार होगा। यूपी में विदेशी निवेश के लिए सीएम योगी को कंपनियों को तैयार करना होगा। इतने बड़े प्रदेश में सरकारी नौकरी नहीं दी जा सकती जरूरी है कि प्राइवेट कंपनियां यूपी में अपना सेटअप तैयार करें और फिर यहां के युवाओं को रोजगार दें।
जातिवाद का तमगा मिटाना होगा
सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि सख्त है। यूपी विधानसभा चुनावों के दौरान विपक्ष ने ब्राम्हण विरोधी नेता के तौर पर सीएम योगी का फेस बना दिया। लोकल ग्रुप्स में तमाम ऐसे वीडियो पोस्ट किए गए जिससे उनकी छवि पर असर पड़ा। चुनाव से पहले ये कहा जा रहा था कि यूपी का बड़ा वोटबैंक यानी ब्राह्मण समुदाय सीएम योगी से नाराज चल रहा है। इसके बाद अखिलेश यादव ने कहा था कि प्रदेश के अधिकतर विभागों के चीफ एक ही जाति विशेष से आते हैं। योगी सरकार ने हालांकि इसको पाटने की कोशिश की है। अपने मंत्रिमंडल में 21 ब्राह्मणों को जगह दी है। इसके अलावा लखनऊ कैंट सीट से चुनाव जीतने वाले ब्रजेश पाठक को डेप्युटी सीएम बनाकर अपनी डेंट सुधारने की कोशिश की है।
विधायकों का निकम्मापन
सीएम योगी और पीएम मोदी को ये समझना होगा कि हर चुनाव केवल उनके चेहरे पर नहीं जीते जा सकते। योगी 1.0 की बात करें तो प्रदेश के अंदर 80 फीसदी लोग अपने विधायकों के कामकाज से खुश नहीं थे। उन्होंने क्षेत्र में कोई खास विकास कार्य नहीं कराए। लोगों ने इसका गुस्सा भी जाहिर किया। इस बार कई बड़े मंत्रियों को जनता ने हरा दिया। सिराथू से डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की हार तो सबको हैरान करने वाली है। ग्राउंड पर जाने के बाद भी हमको ये एहसास नहीं था कि केशव मौर्य चुनाव हार जाएंगे। ये चुनाव भी लोगों ने सीएम फेस पर वोट दिया है। लोगों ने राशन योजना को वोट दिया है, लोगों ने महिला सुरक्षा पर वोट दिया है, लोगों ने गुंडागर्दी से छुटकारे के लिए वोट दिया है मगर लोगों ने विधायकों को सिरे से नकार दिया। कई जिलों में लोगों ने ये तक कहा कि हमारा विधायक हार जाए मगर सरकार बीजेपी की बने। तो इस बार योगी को अपने विधायकों के कार्यों की समीक्षा करनी होगी। विधायक अगर विकास नहीं करेगा तो बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।
राशन योजना अगर बंद हुई तो फिर क्या…
आप यकीन मानिए! सारे मुद्दे एक तरफ और मुफ्त राशन योजना एक तरफ। चुनावी कवरेज के दौरान हमने लिखा था कि बीजेपी के इस ब्रह्मास्त्र के आगे अखिलेश यादव फेल होते जा रहे हैं। ये बात बिल्कुल सही है। बीजेपी आज अगर पूर्ण बहुमत की सरकार बना पाई है तो उसका मूल कारण ही मुफ्त राशन योजना है। इस योजना को बहुत ही सही ढंग से लागू किया गया और लोगों को इसका फायदा मिला। हम प्रदेश में कहीं पर भी गए लोगों ने साफतौर पर कहा कि इस सरकार ने मुसीबत के समय हमको सहारा दिया। लोगों ने हर महीनें, महीने में दो बार राशन मिलता है। लेकिन अब अगर चुनाव बीत जाने के बाद योगी सरकार ने इस योजना को बंद किया तो भारी विरोध का सामना करना होगा। आखिरकार अगर इस योजना का बंद करना है तो इसका उपाय क्या है।
बीजेपी के लिए चुनौतियां से पार पाना एक चैलेंज होगा। विधायकों से इलाके वाले नाराज हैं। कब तक ये नाराजगी योगी-मोदी के नाम पर खामोश की जाएगी। अगर इस बार भी जनता की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे तो 2024 में रिजल्ट चौंका सकते हैं।