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‘आदित्य एल1 ने सूर्य को किया प्रणाम

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गलुरु (ईएमएस)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले अंतरिक्ष आधारित मिशन ‘आदित्य एल1’ यान को शनिवार को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर इसकी कक्षा में स्थापित कर दिया। सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वॉइंट 1ट (एल 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में पहुंचा। एल1 प्वॉइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है। इसरो अधिकारियों ने कहा कि ‘एल1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है।


‘लैग्रेंज प्वॉइंट’ वह क्षेत्र है, जहां पृथ्वी और सूर्य के बीच गुरुत्वाकर्षण निष्क्रिय होता है। प्रभामंडल कक्षा, एल 1 , एल 2 या एल 3 ‘लैग्रेंज प्वाइंट में से एक के पास एक आवधिक, त्रि-आयामी कक्षा है। पीएसएलवी ने 63 मिनट और 20 सेकंड की उड़ान के बाद पृथ्वी की आसपास की अंडाकार कक्षा में आदित्य-एल1 को स्थापित किया था।
इसरो अधिकारियों ने बताया कि मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इंजेक्शन (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है।


पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम मोदी ने लिखा, भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखने वाले हैं।
केंद्रीय प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इसरो को दी बधाई। ‘भारत के लिए यह साल शानदार रहा। पीएम मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, टीम इसरो द्वारा लिखी गई एक और सफलता की कहानी। सूर्य-पृथ्वी कनेक्शन के रहस्यों की खोज के लिए आदित्य एल1 अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच गया है।

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