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भारत में अरबों डॉलर के निवेश का विज्ञापन, दफ़्तर का पता नहीं

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आर्थिक मामलों पर जानकारी देने वाले भारत के सबसे बड़े अख़बार ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ और जानेमाने अख़बार ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में पिछले सोमवार को पहले पन्ने पर छपा एक ग़ैर-मामूली इश्तेहार कई तरह से सनसनीखेज़ और चौंकाने वाला था.विज्ञापन सीधे देश के प्रधानमंत्री को संबोधित था जिसमें विज्ञापन देने वाली कंपनी ने कहा कि वह भारत में 500 अरब डॉलर का निवेश करना चाहती है. 500 अरब डॉलर यानी तक़रीबन 36 लाख करोड़ रुपए.

यह रकम कितनी बड़ी है इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि भारत में पिछले साल अमेरिका से कुल पूंजी निवेश सात अरब डॉलर था, यानी अकेली कंपनी जिसका नाम पहले कभी नहीं सुना गया वह भारत में कुल अमेरिकी निवेश से 71 गुना अधिक इनवेस्टमेंट अकेले करने की बात कर रही थी.पहले पन्ने पर लाखों रुपए ख़र्च करके विज्ञापन देने वाली कंपनी का नाम था–लैंडमस रिएलिटी वेंचर इंक. इस विज्ञापन के साथ लैंडमस ग्रुप के चेयरमैन प्रदीप कुमार एस का नाम दिया गया थाबहुत ही बड़ी रकम, सीधे प्रधानमंत्री को संबोधन और इश्तेहार के ज़रिए निवेश का प्रस्ताव, सब कुछ असामान्य था इसलिए बीबीसी ने इस विज्ञापन को जारी करने वाली कंपनी के बारे में पड़ताल की.

पड़ताल में क्या पता चला?

बीबीसी ने सबसे पहले कंपनी की वेबसाइट https://landomus.com को चेक किया. सैकड़ों अरब डॉलर का निवेश करने का दावा करने वाली इस एक पन्ने की वेबसाइट पर वही बातें लिखी हुई हैं जो कंपनी ने अपने सोमवार के विज्ञापन में लिखा था.आम तौर पर मामूली कंपनियों की वेबसाइटों पर भी ‘अबाउट अस’ और कंपनी के कामकाज का पूरा ब्योरा होता है. साथ ही कंपनी किन क्षेत्रों में सक्रिय है, उसका पिछले सालों का प्रदर्शन कैसा रहा है, इस तरह की जानकारियाँ दी जाती हैं.

न्यू जर्सी की गगनचुंबी इमारतों की तस्वीर को अपना कवर इमेज बनाने वाली इस वेबसाइट पर टीम के नाम पर कुल 10 लोगों की तस्वीर, नाम और पद तो लिखे हैं लेकिन उनके बारे में और कोई भी जानकारी नहीं दी गई है.

साइट के मुताबिक़ कंपनी के डायरेक्टर और एडवाइज़र के नाम है- प्रदीप कुमार सत्यप्रकाश (चेयरमैन, सीईओ), ममता एचएन (डायरेक्टर), यशहास प्रदीप (डायरेक्टर), रक्षित गंगाधर (डायरेक्टर) और गुनाश्री प्रदीप कुमार.एडवाइज़डरों के नाम हैं पामेला किओ, प्रवीण ऑस्कर श्री, प्रवीन मुरलीधरण, एवीवी भास्कर और नवीन सज्जन.कंपनी की वेबसाइट पर न्यू ज़र्सी, अमेरिका का एक पता दिया गया है लेकिन कोई फ़ोन नंबर नहीं दिया गया है. एक असमान्य बात ये भी है कि इसकी वेबसाइट पर कंपनी के किसी पुराने प्रोजेक्ट या विज़न जो आम तौर पर कंपनियों की वेबसाइट पर दिखता है ऐसी कोई जानकारी नहीं है.

पता तो है, पर दफ़्तर नहीं

एकमात्र अहम जानकारी जो इस वेबसाइट पर दी गई थी वो था अमेरिका के न्यू जर्सी राज्य का पता- लैंडमस रिएलिटी वेंचर इंक, 6453, रिवरसाइड स्टेशन बुलेवर्ड, सकॉकस, न्यू जर्सी 07094, अमेरिका.बीबीसी के सहयोगी संवाददाता सलीम रिज़वी इस पते पर पहुंचे और पाया कि इस पते पर एक रिहायशी बिल्डिंग थी, यहां लैंडमस रिएलिटी या क्या किसी भी कंपनी का कोई दफ्तर नहीं था.बीबीसी ने इस बिल्डिंग का डेटा रखने वाली महिला कर्मचारी से भी पूछा कि क्या इस पते पर लैंडमस रिएलिटी नाम का कोई ऑफ़िस रजिस्टर्ड है या अतीत में कभी भी रहा है. इसके जवाब में उन्होंने बताया कि यहां कोई ऑफिस कभी नहीं रहा है.

हालांकि प्राइवेसी कारणों से उन्होंने ये नहीं बताया कि इस पते पर कौन रह रहा है और उनका नाम क्या है.यहां एक बात तो साफ़ हो गई कि न्यू जर्सी के जिस पते का लैंडमस रिएलिटी वेंचर ने अपनी वेबसाइट पर इस्तेमाल किया है वहां उसका कोई ऑफ़िस नहीं है.बीबीसी ने वेबसाइट पर दिए गए ईमेल एड्रेस पर सवालों की एक लिस्ट लैंडसम रिएलिटी वेंचर के नाम से भेजी थी, जिसका कंपनी के सीईओ प्रदीप कुमार सत्यप्रकाश ने एक बहुत छोटा-सा जवाब दिया है.अपने जवाब में प्रदीप कुमार सत्यप्रकाश ने लिखा है, “हमने भारत सरकार (जीओआई) को अपने विवरण भेजे हैं और उनकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार कर रहे हैं. जब हमें जवाब मिलेगा तो हम पूरा विववरण आपको फॉर्वर्ड करेंगे और सारी जानकारी भी सार्वजनिक करेंगे.”

भारत सरकार ने इतने बड़े पूंजी निवेश के इस सार्वजनिक प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, न ही किसी तरह की कोई भी सरकारी घोषणा या टिप्पणी आई है.कंपनी के दफ़्तर के पते के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कंपनी के सीईओ ने लिखा है, “आपकी जानकारी के लिए, मैंने अमेरिका के न्यू जर्सी में किराये पर एक घर लिया है.”सैकड़ों अरब डॉलर के पूंजी निवेश करने का प्रस्ताव रखने वाली कंपनी का अपना कोई दफ़्तर नहीं है और वह एक रिहायशी पते को अपने कंपनी के दफ़्तर का पता बता रही है यह काफ़ी असामान्य बात है.

बैलेंसशीट अपडेट नहीं

कंपनी की वेबसाइट के बारे में जब हमने और खंगालना शुरू किया तो पता चला कि इस वेबसाइट को सितंबर 2015 को कर्नाटक में बनाया गया है और ऑर्गनाइज़ेशन के नाम पर यूनाइटेड लैंड बैंक का नाम दिया गया है.इसके बाद लैंडमस रिएलिटी वेंचर के बारे में और खोजना शुरु किया तो कॉपोरेट मंत्रालय के हवाले से जानकारी मिली कि जुलाई 2015 में लैंडमस रिएलिटी वेंचर प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी बैंगलुरु में रजिस्टर की गई थी.

इसका पेडअप कैपिटल एक लाख रुपए है, इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कंपनी कितनी बड़ी है और उसके पास कितने संसाधन हैं.सितंबर 2018 में कंपनी की आख़िरी सालाना आम बैठक हुई थी और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि 31 मार्च 2018 के बाद इस कंपनी ने अपनी बैलेंसशीट अपडेट नहीं की है

.भारत में भी ऑफ़िस नह

कंपनी के कागज़ात से बैंगलोर का एक पता मिला जिसे लैंडमस रिएलिटी वेंचर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का पता बताया गया था. ये पता था एस-415, चौथी मंज़िल, मनिपाल सेंटर, डिक्सन रोड, बंगलुरु.

इस पते पर पहुंचे बीबीसी के सहयोगी संवादताता इमरान क़ुरैशी ने पाया कि चौथी मंजिल पर एस-415 में लैंडसम रिएलिटी वेंचर का ऑफ़िस नहीं है और इसकी जगह वहाँ एक टेक कंपनी का दफ़्तर है. यहां तक कि पूरी चौथी मंज़िल पर कहीं भी हमें लैंडसम रिएलिटी का ऑफ़िस नहीं मिला.यानी दोनों ही लोकेशन बंगलुरु और न्यू जर्सी में से कहीं भी लैंडसम रिएलिटी वेंचर का दफ़्तर है ही नहीं. इसके बाद हमने कंपनी की वेबसाइट पर जिन लोगों के नाम दर्ज थे उनके बारे में खोज शुरू की.

जिन दस सदस्यों के नाम और तस्वीरें कंपनी की वेबसाइट पर दिए गए हैं उनमें एक ग़ैर-भारतीय महिला को कंपनी का एडवाइज़र बताया गया है जिसका नाम है पामेला किओ.इस नाम को सर्च करते हुए हम एक लिंक्डइन प्रोफ़ाइल पर पहुंचे. ये प्रोफाइल पाम किओ नाम की महिला का है जो अमेरिका के कनेक्टिकट स्थित ‘मेक ए विश फाउंडेशन’ की अध्यक्ष और सीईओ हैं. इन महिला का नाम और तस्वीर लगभग हूबहू लैंडसम रिएलिटी की वेबसाइट पर बतौर एडवाइज़र लिस्टेड पामेला किओ से मिलती है.

हमने पाम किओ को इस बाबत एक मेल के ज़रिए संपर्क किया लेकिन अब तक हमें उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिला है. जवाब मिलते ही इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.इसके अलावा हमें कुल 10 लोगों में से लैंडसम रिएलिटी के दो डायरेक्टर रक्षित गंगाधर और गुनाश्री प्रदीप का लिंक्डइन प्रोफ़ाइल मिला. लेकिन इस प्रोफ़ाइल पर लंबे समय से कुछ भी पोस्ट नहीं हुआ है. ऐसा लगता है जैसे इस प्रोफ़ाइल को कभी इस्तेमाल ही नहीं किया गया है.ट्विटर पर आर्थिक मामलों के जानकारों ने इस विज्ञापन को ‘मज़ाक’ और ‘शरारत’ बताया है, कुछ लोगों ने विज्ञापन देने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की बात कही है.

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