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आखिर क्यों नहीं हो सकी जांगिड़ की पत्रकार वार्ता … ?

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भोपाल)। यह सभी जानते हैं कि २०१४ बैच के आईएएस अधिकारी लोकेश कुमार जांगिड़ कोरोना महामारी के काल के दौरान शिवराज सिंह के शासन की कार्यशैली को उजागर करते हुए बड़वानी कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा पर कोरोना के दौरान खरीदी गई सामग्री में हुए घोटाले का मामला उजागर कर यह स्पष्ट कर दिया कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार में किस तरह से भ्रष्टाचार की गंगोत्री बहती है तो वहीं उसकी कथनी और करनी में कितना फर्क है? यह भी लोकेश कुमार जांगिड़ द्वारा बड़वानी के कलेक्टर जो वर्षों तक आबकारी विभाग में पदस्थ रहे हैं और यह सभी जानते हैं कि आबकारी विभाग में किस तरह से भजकलदारम् का खेल चलता है उसी शिवराज शासन की कार्यशैली में रचे-बसे बड़वानी के कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने कोरोना महामारी जैसे काल के दौरान उस समय जब लोग अपनी और अपने परिवार की जान बचाने में लगे हुए थे तो वहीं मुख्यमंत्री से लेकर जिले के कलेक्टर कोरोना महामारी के दौरान भी शिवराज के शासनकाल की कार्यशैली के अनुसार घोषणायें कर लोगों को सुरक्षित रहने की सलाह देने में लगे हुए थे लेकिन इसके साथ ही जो खेल कोरोना महामारी के दौरान सत्ता और प्रशासन में बैठे अधिकारियों ने खेला उसके परिणाम आज उन कोविड सेंटरों पर देखे जा सकते हैं जिनको स्थापित करने के दौरान अनाप-शनाप राशि खर्च की गई लेकिन आज उन सेंटरों से सामग्री गायब होने की खबरें भी सुर्खियों में हैं, तो वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री से लेकर उनके कुछ चहेते मंत्री और प्रशासनिक अधिकांश अधिकारी संभावित तीसरी लहर से बचाव के बारे में जनता से सतर्कता बरतने की अपील करते नजर आ रहे हैं,

लेकिन यह सब संभावनायें और अपील शिवराज सरकार की कार्यशैली के चलते हवा हवाई है इसकी जमीनी हकीकत तो वैसी ही है जैसे उनके शासनकाल के लगभग १७ सालों में इस प्रदेश की जनता ने देखे तभी तो विकास का ढिंढोरा पीटने वाले शिवराज सिंह ने इस प्रदेश की स्वास्थ्य सेवायें और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का जो सत्यानाश किया है उसके ही परिणाम प्रदेश की जनता को कोरोनाकाल में भुगतने पड़े थे? क्योंकि प्रदेश की स्वास्थ्य सेवायें तो वैसे ही वेंटिलेटर पर थीं तभी तो शिवराज के शासनकाल में २८ जिलों के अस्पतालों को निजी हाथों में सौंपने की योजना बनाई गई थी शिवराज सिंह की कार्यशैली के चलते बड़वानी के कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा ने भी अपने जिले में कोरोना काल में यही सब किया तभी तो उन्हीं के ही जिले के अपर कलेक्टर लोकेेश कुमार जांगिड़ ने उनके द्वारा खरीदे गये ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदी में हुए घोटाले की पोल खोली, जांगिड़ द्वारा खोली गई इस पोल के बाद जहां बड़वानी कलेक्टर तो तिममिलाये ही तो वहीं पूरे प्रदेश के जिलों के कलेक्टरों द्वारा की गई सिंहस्थ की व्यवस्थाओं के लिये खरीदे गये सामान की तरह हुई खरीदी का काम जो प्रदेशभर में कोरोना काल में चला उसका एक नमूना बड़वानी के कलेक्टर शिवराज सिंह वर्मा के द्वारा खरीदी में हुए घोटाले का उदाहरण है,

लोगों में इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है कि इसी तरह की खरीदी पूरे प्रदेश में हुई तभी तो प्रशासनिक अधिकारी तो परेशान हैं तो वहीं सत्ताधीश भी परेशान हैं क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान जिस तरह की घोषणायें वह अपने श्रीमुख से करते रहे लेकिन उन घोषणाओं के अनुरूप शायद ही कोई काम हुआ हो? यही वजह है कि कल जब बड़वानी के अपर कलेक्टर लोकेश कुमार जांगिड़ के द्वारा सुबह ११.०० बजे वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पत्रकार वार्ता करने का संदेश पत्रकारों को भेजा इसकी भनक लगते ही प्रशासनिक अधिकारियों व सत्ता में बैठे लोगों में खलबली मचना स्वाभाविक था, सूत्रों के अनुसार इसके बाद जो खेल हुआ उसके अनुसार जांगिड़ पर पत्रकार वार्ता न करने का दबाव बनाया गया और यही वजह रही कि बाद में फिर उनकी इस प्रस्तावित पत्रकार वार्ता को निरस्त कर दिया गया। लोकेश कुमार जांगिड़ के द्वारा बुलाई गई पत्रकार वार्ता और फिर उसे स्थगित करने को लेकर पत्रकार जगत में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं तो वहीं राजनीति से जुड़े जानकारों का यह मानना है कि जांगिड़ की इस पत्रकार वार्ता से सत्ता में बैठे लोग और प्रशासनिक अधिकारी इतने भयभीत हो गये थे कि उन्हें यह नजर आने लगा था कि कोराना काल में महामारी के नाम पर जो खेल सत्ताधीशों और प्रशासनिक अधिकारियों ने किया लगता है उसकी पोल जांगिड़ खोलकर रख देंगे जिसके कारण सत्ताधीशों और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठने लगेंगे और जनता में यह भी उजागर हो जायेगा कि जैसा कि शिवराज सिंह के लगभग १७ वर्षों के कार्यकाल में सरकारी योजनाओं की फर्जी आंकड़ों की रंगोली सजाकर मुख्यमंत्री को खुश करने और जनता को गुमराह करने का जो खेल वर्षों से चला आ रहा था उसकी पोल खुल जायेगी? यही वह कारण हैं जिसके चलते लोकेश कुमार जांगिड़ की पत्रकार वार्ता स्थगित कराने का खेल खेला गया?

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