मध्य प्रदेश के मंडला में पुलिस ने गोमांस की तस्करी करने वाले 11 आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. इन सभी के घर में पुलिस ने शुक्रवार रात को छापेमारी की, जिसमें कई गोवंश के अवशेष मिले. इसके बाद तीन बुल्डोजर मंगवाए गए और इन सभी के घर, बूचड़खाने और अवैध निर्माण को एक साथ जमींदोज कर दिया गया. पुलिस ने इन सभी आरोपियों के घर से 150 से ज्यादा गायों को सुरक्षित बचाया है और गोशाला भेजा.
इस पूरे मामले में पुलिस ने कहा है कि अवैध रूप से सरकारी जमीन पर बनाए हुए निर्माण को ही ध्वस्त किया गया है, जिसका नोटिस पहले ही संबंधित परिवारों को दिया गया था जबकि उसी पड़ोस में बने 16 घरों के बारे में अधिकारियों ने जानकारी दी थी कि वो भी अवैध हैं, लेकिन उनको नहीं तोड़ा गया है. बताया जा रहा है कि इन घरों में गोमांस बरामद नहीं हुआ था. ऐसे में ये कार्रवाई एक विपरीत तस्वीर पेश कर रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नैनपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ इंदर बलदेव ने कहा कि “हमने उन घरों को ध्वस्त कर किया, जहां गोमांस पाया गया था और बाकी घरों को अभी के लिए छोड़ दिया गया है. कौन से घर ध्वस्त करने हैं, यह हमारे प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है. यह राजस्व विभाग द्वारा तय किया जाता है. हम मवेशी तस्करों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे थे. पता चला है कि जबलपुर में चमड़े की कंपनियों ने जानवरों की खाल खरीदी और स्थानीय आदिवासी लोगों ने इस गिरोह से गाय का मांस खरीदा, उसकी जांच की जाएगी. इनमें पांच आरोपियों के खिलाफ एनएसए लगाया जाएगा.”
मंडला कलेक्टर ने क्या कहा?
बताया जा रहा है कि ये सभी घर कुरैशी समुदाय के लोगों के हैं. फिलहाल इस पूरे मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जबकि 10 फरार हैं. वहीं मंडला की जिला कलेक्टर सलोनी सिदाना ने कहा कि “अधिकारियों ने किसी खास घर को निशाना नहीं बनाया गया है. स्थानीय प्रशासन 2022से इस गांव के निवासियों को नोटिस दे रहा है. अधिकारियों के लिए यहां काम करना बहुत मुश्किल है.”
“2016 में इस गांव में वारंट तामील करने वाले एक पुलिसकर्मी की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. हम अवैध ढांचों को तभी हटा पाए जब निवासी (पुलिस कार्रवाई के दौरान) भाग गए. इस क्षेत्र को मवेशियों के चरने के लिए अर्ध-वन भूमि के रूप में चिह्नित किया गया था और इस पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था.”
वहीं यह पूछे जाने पर कि ध्वस्त किए गए घरों के आस-पास के 16 घरों को क्यों नहीं तोड़ा गया? इस पर उन्होंने कहा कि “हमने अन्य घरों को नहीं तोड़ा, क्योंकि कुछ बाध्यताएं थीं. ईद का त्योहार था और संवेदनशीलता को देखते हुए हमने उन्हें छोड़ दिया. हम जल्द ही इस गांव में सभी अवैध ढांचों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. यह अभ्यास पूरे जिले में किया जा रहा है और हमने पिछले एक महीने में 32 अवैध ढांचों को ध्वस्त किया है.”
इस मामले के बाद हुई कार्रवाई
बता दें पुलिस की यह छापेमारी चार दिन पहले हुई, जब मंडला के बाहरी इलाके में स्थित डिठोरी गांव में एक ढाबा मालिक ने सुबह करीब 9 बजे एक गाय को एक पिकअप पर रस्सी से बांधकर घसीटते हुए देखा था. कुछ स्थानीय लोगों ने उसे रोककर उसमें सवार दो लोगों सेवा प्रसाद धुर्वे और भैंसवाही निवासी सलीम कुरैशी से पूछताछ की. इसके बाद पुलिस ने उसमें से पांच गायें बरामद कीं, जिनमें से एक की बाद में मौत हो गई, जिसके बाद स्थानीय संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया.
इसी मामले ने पुलिस को भैंसवाही तक पहुंचाया, जहां पहले से ही मवेशी तस्करी से जुड़ी हिंसा का इतिहास रहा है. यहां के नैनपुर पुलिस स्टेशन में कांस्टेबल कमला की मवेशी तस्करी के मामले में गिरफ्तारी वारंट की तामील करते समय मारे गए थे. जबकि इस साल अब तक इस थाने में मवेशी तस्करी के 12 मामले दर्ज किए जा चुके हैं. वहीं छापेमारी में शामिल एक महिला अधिकारी ने कहा कि इस कार्रवाई के बाद अब वहां के लोग चैन की सांस ले सकते हैं.
वहीं छापेमारी के सिलसिले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी थी कि आदिल कुरैशी नाम का व्यक्ति गोवंश का धंधा करता है और उसके घर में बड़ी मात्रा में गोमांस के साथ-साथ जिंदा गायें भी हैं. जबकि अधिकारी ने कहा कि हमने आदिल को गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन वह बच निकला. वह पहले भी एक मामले में आरोपी था.
दरअसल, बैंसवाही गांव में आदिवासी और मुस्लिम समुदाय के करीब 1,100 लोग रहते हैं. पूरे गांव में करीब 80 मुस्लिम घर है. 14 जून को कथित तौर पर 15,000 वर्ग फीट सरकारी जमीन पर बने करीब 27 घरों पर भारी पुलिस बल ने छापा मारा और 11 घरों को ध्वस्त किया. जिससे बस्ती मलबे के विशाल ढेर में तब्दील हो गई. पिछले दो सालों में कई ईंट के घर बन गए हैं, हालांकि कुछ दशकों पुराने हैं.