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चार साल बाद मध्य प्रदेश में फिर महा पलटी की पटकथा तैयार?

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मध्य प्रदेश की सियासत में करीब चार साल बाद एक बार फिर महा पलटी की पटकथा लगभग तैयार दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने बेटे के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अगर, ऐसा हुआ तो लोकसभा चुनाव से यह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। 

ऐसा ही एक झटका 11 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस को दिया था, जब वे 22 विधायकों के साथ कांग्रेस को अलविदा कहकर भाजपा में शामिल हो गए। इससे कांग्रेस की सरकार गिर गई थी और भाजपा एक बार फिर सत्ता में आ गई थी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई है। इससे साफ है कि अगर कमलनाथ भाजपा में शामिल होते हैं तो लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा।

भाजपा में जाने के सवाल पर कमलनाथ का इनकार न इकरार
दरअसल, कमलनाथ छिंदवाड़ा का दौरा निरस्त कर अचानक दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके साथ सांसद बेटे नकुलनाथ भी हैं। इससे उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, इसे लेकर चर्चा कई दिन से चल रही थी। दिल्ली में भाजपा में जाने के सवाल पर कमलनाथ ने मीडिया से कहा कि ‘जब कोई बात होगी, तब बताऊंगा। जो चल रहा है उससे एक्साइटेड नहीं हूं।’ कमलनाथ ने अपने बयान में भाजपा में जाने से न तो इनकार किया और न ही इकरार। इससे सस्पेंस और गहरा गया है। 

भाजपा में शामिल होने की संभावनाओं को क्यों मिला बल?

कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं कमलनाथ
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं, वह करीब 56 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। कमलनाथ को इंदिरा गांधी का तीसरा बेटा भी कहा जाता है। वे 1980 में छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने थे। वे छिंदवाड़ा से नौ बार सांसद चुने गए। कमलनाथ की पत्नी अल्का नाथ भी सांसद रह चुकी हैं, वर्तमान में उनके बेटे नकुलनाथ छिंदवाड़ा से अभी सांसद हैं। कमलनाथ कांग्रेस में कई बड़े पदों पर भी रहे हैं, वे मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष समेत अन्य पदों पर रह चुके हैं।   

22 विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे सिंधिया  
11 मार्च 2020 को ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने 22 समर्थक कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने कहा था- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुझे राष्ट्रीय स्तर पर मुझे एक नया मंच दिया है। जो कांग्रेस पार्टी पहले थी, वह अब नहीं रही है। यहा वास्तविकता को नकारा जाता है, नई विचारधारा और नेतृत्व को मान्यता नहीं मिलती है। यहां रहकर जनसेवा नहीं की जा सकती।  

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था- मेरे अब तक के जीवन में दो तारीख अहम रही हैं। पहली 30 सितंबर 2001, इस दिन मैंने अपने पिता को खो दिया था, वो दिन मेरी जिंदगी बदलने था। दूसरी 10 मार्च 2020, जब मैंने बड़ा निर्णय कर भाजपा में आने का फैसला लिया। 

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