अग्नि आलोक

कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न;वकील ने जूता जज पर फेंका,अयोध्या में रामभक्तों का ज्वार

Share

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया। वह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री थे और पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे।

दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा जाएगा। उन्हें मरणोपरांत यह सम्मान देने की घोषणा हुई है। कर्पूरी ठाकुर की 24 जनवरी को 100वीं जयंती है। इससे एक दिन पहले केंद्र सरकार ने उन्हें यह सम्मान देने का एलान किया है।

सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले बिहार के तीसरे व्यक्ति
कर्पूरी ठाकुर पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे। वे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पाने वाले बिहार के तीसरे व्यक्ति होंगे। उनसे पहले प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और लोकनायक जयप्रकाश नारायण को यह सम्मान दिया गया था। बिहार में जन्मे बिसमिल्लाह खां को भी भारत रत्न से नवाजा जा चुका है। हालांकि, उनकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश की वाराणसी रही। उनका परिवार आज भी काशी में रहता है।

आम तौर पर केंद्र सरकार गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों और कभी-कभी भारत रत्न का एलान करती है। इस बार सरकार ने गणतंत्र दिवस से दो दिन पहले ही भारत रत्न के बारे में एलान कर दिया है। 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती की पूर्व संध्या पर उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा हुई है।

कर्पूरी ठाकुर के बेटे ने कही यह बात
कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर ने कहा कि मैं सरकार को यह फैसला लेने के लिए बिहार के 15 करोड़ लोगों की ओर से धन्यवाद देना चाहता हूं।

पीएम मोदी ने कही यह बात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर लिखा, ‘मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं। दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है। यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान है, बल्कि हमें अधिक न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।’

कर्पूरी ठाकुर के निजी सचिव रहे सुरेंद्र किशोर ने कही यह बात
कर्पूरी ठाकुर के निजी सचिव रहने के बाद पत्रकारिता में आए बिहार के वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने कहा, ‘वह सही मायने में इसके हकदार थे। आज उनके नाम पर जातिगत गोलबंदी भले हो रही हो, वह ऐसा नहीं करते थे। अगड़ा-पिछड़ा का भाव उस हिसाब से नहीं था। उनके मन के आसपास रहने वाले लोग भी अब इस दुनिया में नहीं हैं, वरना यह खुशी और ज्यादा होती। मैं खुश हूं। बिहार खुश है। यह जननायक को वास्तविक हक मिलना है। इसकी प्रतीक्षा उनके निधन के बाद से की जा रही थी।’ 

अब तक 48 लोगों को मिल चुका है यह सम्मान
करीब 68 साल पहले शुरू हुए इस सर्वोच्च सम्मान से अब तक 48 हस्तियों को सम्मानित किया जा चुका है। पहली बार साल 1954 में आजाद भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राज गोपालाचारी, वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन और सर्वपल्ली राधाकृष्णन को दिया गया था।

10 साल में छठी हस्ती, जिसे मिलेगा सम्मान
मोदी सरकार के करीब 10 साल के कार्यकाल में अब तक पांच हस्तियों को सर्वोच्च सम्मान दिया जा चुका है। अब कर्पूरी ठाकुर यह सम्मान पाने वाले छठे व्यक्ति होंगे। दिवंगत प्रणब मुखर्जी, भूपेन हजारिका और नानाजी देशमुख से पहले मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में साल 2015 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी और पंडित मदन मोहन मालवीय को यह सर्वोच्च सम्मान दिया गया था। इसके चार साल बाद बीते लोकसभा चुनाव के कुछ महीने बाद तीन हस्तियों को सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा की गई थी।

पढ़ाई बीच में छोड़ने वाले मेडिकल छात्रों पर नहीं लगेगा जुर्माना, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने की सिफारिश

चिकित्सा छात्र पढ़ाई के बीच में ही अपनी सीट छोड़ सकते हैं। इसके लिए उन्हें जुर्माना भी नहीं देना होगा। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने रेजिडेंट डॉक्टरों पर मानसिक दबाव कम करने के लिए सीट छोड़ने पर जुर्माने की व्यवस्था (सीट बॉन्ड) खत्म करने की सिफारिश की है। राज्यों को पत्र में लिखा, मेडिकल कॉलेजों में सीट के बदले बॉन्ड नीति को खत्म किया जाए।आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार चाहे तो संबंधित छात्र को एक वर्ष के लिए प्रवेश परीक्षा में शामिल न होने का प्रतिबंध लगा सकती है, लेकिन लाखों रुपये की जुर्माना राशि छात्रों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करती है। 

आयोग ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार चाहे तो संबंधित छात्र को एक वर्ष के लिए प्रवेश परीक्षा में शामिल न होने का प्रतिबंध लगा सकती है, लेकिन लाखों रुपये की जुर्माना राशि छात्रों को मानसिक तौर पर प्रताड़ित करती है। इसके बजाय ऐसा सहायक वातावरण बनाया जाए, जिससे चिकित्सा शिक्षा के छात्रों व रेजिडेंट डॉक्टरों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को हल किया जा सके। एनएमसी के अंडर ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. अरुणा वी वणिकर ने कहा कि आयोग को कई शिकायतें मिली हैं, जो विभिन्न संस्थानों में छात्रों के बीच तनाव, चिंता और अवसाद के खतरनाक स्तर का संकेत करती हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों के लिए कई बार मानसिक राहत पाने में सबसे बड़ी बाधा यही जुर्माने की राशि होती है। यह भारी भरकम रकम न केवल छात्रों पर वित्तीय दबाव बढ़ाती है, बल्कि आगे बढ़ने में बाधा भी बनती है।

गरीब छात्रों को मिलेगी राहत
डॉ. वणिकर के मुताबिक, इस नीति को खत्म करने से सबसे ज्यादा फायदा उन गरीब छात्रों को मिलेगा, जो कई बार सिर्फ इस वजह से दाखिला नहीं ले पाते हैं कि क्योंकि उनके पास बॉन्ड के तौर पर चुकाने के लिए भारी-भरकम राशि नहीं होती है। इसके अलावा उन छात्रों को भी इसका फायदा मिलेगा, जो किन्हीं अपरिहार्य कारणों से पढ़ाई बीच में छोड़ना चाहते हैं। बॉन्ड के बंधन की वजह से कई छात्र इतना असहाय महसूस करने लगते हैं कि वे आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठा लेते हैं। इस लिहाज से बॉन्ड व्यवस्था खत्म करने से छात्रों पर मानसिक दबाव कम रहेगा।

छात्रा के पिता ने पीएम मोदी से की शिकायत
डॉ. वणिकर ने बताया कि मध्य प्रदेश के एक कॉलेज की पीजी छात्रा को लगातार 36 घंटे ड्यूटी करनी पड़ी। वह सीट छोड़ना चाहती है, लेकिन कॉलेज ने उसे 30 लाख रुपये का जुर्माना देने का नियम बताया। आर्थिक रुप से कमजोर होने के कारण छात्रा के पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख शिकायत की थी। इसी तरह का महाराष्ट्र के राजकीय मेडिकल कॉलेज में सामान्य सर्जरी विभाग के एमएस कोर्स के प्रथम वर्ष के छात्र ने मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने पर पढ़ाई बीच में ही छोड़ने का फैसला लिया, लेकिन बॉन्ड के तौर पर भारी जुर्माने और सख्त कानून की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाया।

प्रासंगिक नहीं अब यह नीति
डॉ. वणिकर ने कहा कि यह नीति अब प्रासंगिक नहीं है। क्योंकि, पिछले 10 वर्षों में सीटों की संख्या में खासी वृद्धि हुई है। अब पहले की तरह सीमित सीटें नहीं हैं, जिससे इस बात की आशंका हो कि कोई छात्र सीट छोड़ेगा। अब, मेडिकल शिक्षा की सीटों में पर्याप्त वृद्धि हो चुकी है और कांउसलिंग में पात्र छात्र नहीं मिलने पर सीटें खाली रह जाती हैं।

वकील ने जूता उतारकर जज पर फेंका

 मध्य प्रदेश के आगर मालवा में हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक वकील को सुनवाई के दौरान इतना गुस्सा आया कि उसने भरी अदालत में शर्मनाक हरकत कर दी। चलती अदालत में उसने जज की ओर जूता फेंक दिया। जज बचने की कोशिश की लेकिन फिर भी उनको चोट लग गई। घटना का पता चलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप में केस दर्ज कर लिया है।

दरअसल, एक मामले की सुनवाई आगर मामला की जिला कोर्ट में चल रही थी। हियरिंग के दौरान वकील नितिन अटल की जज प्रदीप दुबे के सामने बहस कर रहा था। सुनवाई के दौरान विपक्ष के वकील कौसर खान ने आपत्ति उठाई और कहा कि नितिन अटल कई मामलों में फर्जी हस्ताक्षकर कराते हुए हलफनामा पेश किया है। जब नितिन को पता चला की उसकी गलती पकड़ी गई है तो वह जज से हलफनामा वापस छीनने की कोशिश करने लगा। इस दौरान उसे रोकने की कोशिश की गई तो उसने जज की तरफ जूता उछालकर फेंक दिया।

वकील नितिन ने जो जूता जज की तरफ फेंका उससे बचने की कोशिश लेकिन वह बच नहीं पाए। वकील की तरफ फेंका जूता उनकी कान में लगा। इसके बाद वकील ने अपना डायस के पीछे पड़ा जूता उठाया। खुद के मोबाइल से वीडियो बनाया जज पर अनर्गल आरोप लगाए साथ ही जान से मारने की धमकी दी। जज ने इसकी लिखित शिकायत आगर थाने में दर्ज कराई है। जज के ऊपर जूता फेकने के साथ ही उनको धमकाते हुए आरोपी वकील वहां से फरार हो गया।

पूरे मामले को लेकर सामने आया है कि नितिन अटल खुद पेशे से वकील है लेकिन एक मामले में अपनी ओर से सुनवाई करने के लिए पुष्पराज को लेकर आए थे। पुष्पराज पैरवी करने के लिए खड़े हुए तो हलफनामे में नकली साइन को लेकर आपत्ति ली थी। साथ ही वकालतनामे की जांच करने की मांग की थी। कौसर ने कहा कि अटल ने कई वकालतनामे पेश किए है जिसमें पुष्पराज के फेक साइन है। जिस पर विवाद होने लगा और कुछ देर में मामला इतना बढ़ गया कि उसने जज की तरफ जूता उखाड़ दिया।

तुर्किये की संसद ने स्वीडन की नाटो सदस्यता को दी मंजूरी; चीन में भूस्खलन से अब तक 25 की मौत

तुर्किये की संसद ने मंगलवार को स्वीडन को नाटो में शामिल किए जाने संबंध में लाए गए प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इससे स्वीडन के दुनिया के शक्तिशाली सैन्य गठबंधन में शामिल होने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तुर्किये की संसद में 346 सदस्यों में से 287 ने स्वीडन को नाटो में शामिल करने के पक्ष में मतदान किया, जबकि 55 सांसदों ने इसका विरोध किया।दक्षिणपूर्वी चीन में बड़े पैमाने पर भूस्खलन के बाद मरने वालों की संख्या 25 तक पहुंच गई है, बचाव दल जीवित बचे लोगों का पता लगाने के प्रयास जारी रखे हुए हैं। मंगलवार तक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 19 लोग लापता हैं।

दक्षिण पश्चिम चीन में भूस्खलन के बाद मरने वालों की 25 तक संख्या 
दक्षिणपूर्वी चीन में बड़े पैमाने पर भूस्खलन के बाद मरने वालों की संख्या 25 तक पहुंच गई है, बचाव दल जीवित बचे लोगों का पता लगाने के प्रयास जारी रखे हुए हैं। मंगलवार तक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 19 लोग लापता हैं। अधिकारियों ने चल रहे खोज अभियान के लिए लगभग एक हजार बचाव कर्मियों और 45 रेस्क्यू कुत्तों को तैनात किया है। स्थानीय मीडिया के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज में कहा गया है कि 18 घर दब गए और 500 से अधिक लोगों को निकाला गया। शी ने चीनी अधिकारियों से चीनी नव वर्ष नजदीक आने पर बड़े हादसों से बचने के लिए हाई अलर्ट पर रहने का भी आग्रह किया।

टिड्डियों के खतरे से निपटने में सहायता के लिए अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र निकाय ने भारत को धन्यवाद दिया
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, ‘यह देखकर अच्छा लगा कि अफगानिस्तान में टिड्डियों के खिलाफ संघर्ष में भारत हमारा सहयोगी है। इस समर्थन के लिए धन्यवाद,’।  40 हजार लीटर मैलाथियान कीटनाशक की आपूर्ति दो ट्रकों में की गई और आधिकारिक तौर पर तालिबान-नियंत्रित अफगानिस्तान सरकार के कृषि, सिंचाई और पशुधन मंत्रालय को सौंप दिया गया।

बता दें कि शुष्क क्षेत्रों में अपनी प्रभावकारिता और न्यूनतम पानी के उपयोग के लिए जाना जाने वाला मैलाथियान टिड्डी नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण उपकरण माना जाता है। यह सहायता न केवल अफगानिस्तान में तत्काल खतरे को संबोधित करती है बल्कि पड़ोसी मध्य एशियाई देशों में टिड्डियों के प्रसार को रोकने के लिए भी काम करती है। 

अयोध्या की गलियों में रामभक्तों का ज्वार, हर कोई बढ़ रहा प्रभु की ओर; बस एक ही इच्छा…हो जाएं दर्शन

आधी रात के बाद कंपकंपाती ठंड में अयोध्या की गलियों में ये सुरीली ध्वनियां लगातार गूंज रही हैं। सुबह के करीब चार बजे हैं और लगातार तीसरी रात है अयोध्या जग रही है। रायगंज पुलिस चौकी होते हुए रामपथ की ओर बढ़ने पर दिखा कि जिस ओर से भी गली आ रही है, छिटपुट-छिटपुट साधु-संत, युवा-वृद्ध, स्त्री-पुरुष तेजी से राम मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं। 

दिन दुख के बीत गए, आ सबके मीत गए, हार गए बैरी रघुवंशी जीत गए…। युग रामराज का आ गया, शुभ दिन ये आज का आ गया। हुई जीत सनातम धर्म की, घर-घर भगवा लहरा गया…। चरण की धूल ले लूं मैं, मेरे भगवान आए हैं, बजाओ ढोल स्वागत में, मेरे घर राम आए हैं… 

आधी रात के बाद कंपकंपाती ठंड में अयोध्या की गलियों में ये सुरीली ध्वनियां लगातार गूंज रही हैं। सुबह के करीब चार बजे हैं और लगातार तीसरी रात है अयोध्या जग रही है। रायगंज पुलिस चौकी होते हुए रामपथ की ओर बढ़ने पर दिखा कि जिस ओर से भी गली आ रही है, छिटपुट-छिटपुट साधु-संत, युवा-वृद्ध, स्त्री-पुरुष तेजी से राम मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं। आमतौर पर अयोध्या में सुबह में भक्तों की दिशा सरयू की ओर होती है। वहां से लौटने पर हनुमानगढ़ी में बजरंगबली के दर्शन की ओर बढ़ते हैं। इसके बाद रामलला के दरबार का नंबर आता रहा है, लेकिन अपने बालक राम की प्राण प्रतिष्ठा की भक्ति में डूबे भक्तों ने सुबह होने का इंतजार नहीं किया। लोगों ने सरयू की जगह घरों और मंदिरों में ही स्नान कर लिया। कुछ बजरंगबली के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो कुछ में प्रभु के दर्शन के लिए जल्द श्रीरामजन्मभूमि पथ पहुंचकर लाइन में लगने की बेताबी नजर आ रही है। घड़ी की सुइयों ने सवा चार बजाया है। सड़कों पर भीड़ बढ़ने लगी है। पांच बजते-बजते रामपथ पर श्रद्धालुओं-भक्तों का ज्वार नजर आने लगता है। 

सड़क पर खड़े होने की जगह नहीं
जे जैसइ तैसइ उठि धावहिं …की तरह। जय श्रीराम-जय सियाराम की गूंज और रामधुन की आवाज बढ़ने लगती है। भीड़ बढ़ती जा रही है। सात बजते-बजते सड़क पर खड़े होने की जगह नहीं नजर आने लगी। एक अनुमान के अनुसार सुबह सात बजे तक एक लाख से ज्यादा लोगों ने दर्शन कर लिए थे। भीड़ का दबाव बढ़ा तो राम मंदिर की ओर बढ़ने वालों की जगह-जगह टोकाटाकी शुरू हो गई। कुछ ही देर में हनुमानगढ़ी पर भक्तों की लाइन बढ़ गई। देखते-देखते रामपथ से हनुमानगढ़ी तक हनुमानजी के दर्शन करने वालों की लंबी लाइन लग गई।

लखनऊ तक घनघनाने लगे फोन 
हजारों की संख्या में पहुंचे रामभक्तों से जन्मभूमि पथ पर श्रद्धालुओं का दबाव बढ़ता ही गया। प्रशासन के हाथपांव फूलते नजर आए। लगने लगा कि प्रशासन प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामभक्तों की उपस्थिति या आगमन का अंदाजा ठीक से नहीं लगा पाया है। अयोध्या से लखनऊ तक फोन घनघनाने लगे। लोग सड़क से ही लौटाए जाने शुरू कर दिए गए। रामपथ पर जमी भीड़ को करीब 10 बजे से अपने-अपने स्थान पर वापस जाने और दो बजे के बाद दर्शन के लिए आने की अपील की जाने लगी। जिन्होंने अपील अनसुनी करने की कोशिश की..उन्हें पुलिस व आरएएफ के जवान सख्त लहजे में समझाते नजर आए।

जगह-जगह रूट डायवर्ट 
अपने राम के पहले दर्शन के लिए पिछले कई दिनों से न जाने कहां-कहां, घर-बार छोड़, तमाम तरह की मुश्किलों और चुनौतियों का सामना कर लोग अयोध्या पहुंचे थे। न जाने क्या-क्या सपना और संकल्प लेकर आए थे। कई तो अपने प्रभु के दर्शन न कर पाने से निराश-हताश होकर लौट गए। 

प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने के बाद आराम की मुद्रा में नजर आने वाले प्रशासनिक अमले में प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, डीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार और सीएम योगी आदित्यनाथ के पहुंचने के संदेश के बाद फिर सक्रियता बढ़ी। जगह-जगह फिर रूट डायवर्ट किए गए। जो लोग अयोध्या में थे, उन्हें दर्शन कराकर वापस भेजने की व्यवस्था शुरू हुई। देर शाम तक करीब चार लाख लोगों ने दर्शन कर लिए थे। कुछ ऐसे ही थी रामजी के प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन की अयोध्या जी…।

मणिपुर से आए, शहर से बाहर ठहरे, अब भी इंतजार
साजन पौडियाल, राकेश पौडियाल और राज अधिकारी अयोध्या आने के लिए 19 जनवरी को मणिपुर से निकले थे। 21 को फैजाबाद के बॉर्डर पर पहुंचे तो उन्हें अयोध्या में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली। बताते हैं कि करीब 15 किमी दूर एक गांव में ये 22 तक रुके रहे। मंगलवार को प्राण प्रतिष्ठा खत्म होने के बाद इन्हें दर्शन की छूट की जानकारी मिली तो भोर में ही चल पड़े। सुबह करीब 8 बजे अयोध्या पहुंच गए थे। दर्शन की लाइन में न लग पाने से निराश राकेश बताते हैं कि इसके बावजूद वह बहुत खुश हैं। वह कहते हैं, हमारा मणिपुर महीनों से अशांत है। हम अपने रामजी से प्रार्थना करने आए थे कि वहां के हालात सुधर जाएं। वह कहते हैं, 2 बजे के बाद फिर दर्शन की कोशिश करेंगे।

सुबह से ही डट गए, पांच घंटे बाद लौटना पड़ा
पांच संतों का एक जत्था बिड़ला मंदिर के पास दर्शन के लिए सुबह छह बजे ही पहुंच गया था। इनमें बिहार से संत बिजली दास, ओडिशा जगन्नाथ पुरी से मुकुंद बाबा, मध्य प्रदेश सतना से बाबा शोभादास, उत्तराखंड के हरिद्वार से संत हरिओम और राजस्थान के धौलपुर से बाबा सुंदर गिरि शामिल हैं। ये बताते हैं कि वे अपने प्रभु बालक राम के दर्शन के लिए 19 को ही अयोध्या पहुंच गए थे। बड़ी छावनी में रुके थे। आज पांच घंटे के इंतजार के बावजूद दर्शन नहीं हो पाया है। दर्शन करके ही जाने की इच्छा है। देखते हैं कि प्रभु कब दर्शन देते हैं।

मुंह ढकने से कुछ नहीं होगा, रामलला ने पहचान लिया
अयोध्या। फिल्मी सितारों को कई बार विचित्र परिस्थिति का सामना करना पड़ता है। ताजा वाकया रंगमंच और हिंदी फिल्मों के दिग्गज कलाकार अनुपम खेर से जुड़ा है। दरअसल वह बचते बचाते भीड़ के बीच अयोध्या में रामलला के दर्शन करने पहुंचे थे, लेकिन एक प्रशंसक ने उन्हें पहचान ही लिया और तब अभिनेता झेंप गए। अनुपम खेर ने खुद इसका वर्णन सोशल मीडिया पर किया है। 

अभिनेता ने वीडियो साझा करते हुए लिखा, कल (सोमवार) मैं आमंत्रित अतिथि बनकर राम मंदिर गया था। पर, मंगलवार को सबके साथ चुपचाप मंदिर जाने का मन किया। भक्ति का ऐसा समंदर दिखा कि हृदय गदगद हो उठा। लोगों में रामजी के प्रति भक्तिभाव देखते ही बन रहा था। जब मैं दर्शन के बाद निकलने लगा तो एक भक्त कान में हल्के से आकर बोला, भैया जी मुंह ढकने से कुछ नहीं होगा। राम लल्ला ने आपको पहचान लिया।

बोल सियापति रामचंद्र की जय
महानायक अमिताभ बच्चन ने रामलला के दर्शन के बाद यह फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। लिखा-बोल सियापति रामचंद्र की जय। इसके साथ ही उन्होंने इसके आगे भगवाध्वज भी लगाया। अमिताभ उन महानुभावों में शामिल थे, जिन्हें  रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित किया गया था। 

बीएचयू छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के दो आरोपियों की जमानत खारिज, अपराध की गंभीरता के आधार पर फैसला

अदालत ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए अर्जी खारिज की है। एपीओ आनंद भास्कर ने जमानत का विरोध किया था। बीती 17 जनवरी को तीनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई। 20 जनवरी की देर रात लंका थाने में तीनों आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।  

मामले के अनुसार, न्यू गर्ल्स हॉस्टल में रहने वाली छात्रा से एक नवंबर 2023 की रात सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। आरोप है कि बाइक से आए ब्रिज इंक्लेव कॉलोनी सुंदरपुर का कुणाल पांडेय, जिवधीपुर, बजरडीहा का आनंद चौहान उर्फ अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल ने उसे बंधक बनाया और सामूहिक दुष्कर्म किया। वारदात के 60 दिन बाद तीनों आरोपियों की 31 दिसंबर को गिरफ्तारी हुई। 

बीती 17 जनवरी को तीनों आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की गई। 20 जनवरी की देर रात लंका थाने में तीनों आरोपियों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। 

Exit mobile version