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आगामी लोकसभा चुनाव जन समस्याओं पर केंद्रित हों : अजय खरे

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धरना स्थगित, अगली बैठक 18 जनवरी को

रीवा । समता संपर्क अभियान के तत्वावधान में संभागीय आयुक्त कार्यालय के सामने मंगलवार 16 जनवरी को आयोजित धरना और राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन देने का कार्यक्रम फिलहाल स्थगित कर दिया है। आगामी रूपरेखा 18 जनवरी को रखी गई बैठक में तय की जाएगी। समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव नागरिक आजादी , महंगाई , भ्रष्टाचार, रोजगार , शिक्षा , स्वास्थ्य , महिला अस्मिता, कानून व्यवस्था , सामाजिक न्याय, गरीबी, गैर बराबरी, जैसे सवालों पर केंद्रित होना चाहिए। श्री खरे ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को धर्म और जाति के नाम पर वोटो का ध्रुवीकरण करने से रोका जाना चाहिए। धर्म और जाति को मुद्दा बनाकर वोट हासिल करना बहुत आपत्तिजनक है। यह देखने को मिलता है कि चुनाव आयोग की भूमिका बहुत कमजोर और असरहीन है।

श्री खरे ने कहा कि ईवीएम को लेकर तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं ऐसी स्थिति में मतपत्र से मतदान कराकर चुनाव आयोग को स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव परिणाम देने की पहल करना चाहिए। श्री खरे ने बताया कि समाजवादी चिंतक डॉ लोहिया राजनीति को अल्पकालिक धर्म और धर्म को दीर्घकालिक राजनीति कहते थे। राजनीति बुराई के खिलाफ लड़ाई लड़ती है और धर्म अच्छाई को स्थापित करता है। राजनीति और धर्म में नैतिकता का अभाव उसे कलही , भ्रष्ट और पाखंडी बनाता है।

धर्म और राजनीति का काम परोपकार है लेकिन दोनों का कार्य क्षेत्र अलग-अलग है। इनका घाल मेल किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। राज्य के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप में धर्म का हस्तक्षेप उतना ही अनुचित है , जितना धर्म के क्षेत्र में राज्य की मनमानी। लोक कल्याण की दृष्टि से दोनों के बीच में समन्वय की जरूरत रहती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 22 जनवरी 2024 को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने की बात भारत की धर्मनिरपेक्ष संवैधानिक व्यवस्था के सर्वदा प्रतिकूल है , इसके साथ में धर्माचार्यों के अधिकारों का हनन भी है।

कालांतर से ही धर्म और राजनीति के बीच एक निश्चित दूरी रखकर संतुलन बनाया गया था। इसे लक्ष्मण रेखा भी समझा जा सकता है। लक्ष्मण रेखा पार करने की गलती कोई भी करे परिणाम विस्फोटक होंगे। श्री खरे ने सवाल किया कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की आड़ में चारों शंकराचार्यों के अस्तित्व को खुली चुनौती क्या सनातनी लोगों को आहत नहीं कर रही है ? सनातन धर्म खतरे की बात क्या गोदी मीडिया के शोरगुल में नहीं सुनाई दे रही ?

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