अजमेर नगर निगम में भाजपा का बोर्ड है और मौजूदा समय में श्रीमती बृजलता हाड़ा मेयर और नीरज जैन डिप्टी मेयर के पद पर हैं। भाजपा का बोर्ड होने के कारण ही राज्य की कांग्रेस सरकार ने निगम को पंगु बना रखा है। इसका खामियाजा आम जनता को उठाना पड़ रहा है। हालात इतने खराब है कि निगम में सामान्य कामकाज भी नहीं हो रहा। भाजपा के मेयर और डिप्टी मेयर सिर्फ कुर्सी पर बैठने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहे हैं। निगम की यह स्थिति तब है जब राज्य सरकार स्वयं प्रशासन शहरों के संग अभियान चला रही है। अभियान के अंतर्गत वार्डवार शिविर तो लगाए जा रहे हैं, लेकिन कोई काम नहीं हो रहा। 2 अक्टूबर से शुरू हुए शिविरों में अब तक मात्र पांच पट्टे जारी किए गए हैं। सरकार की बेरुखी के कारण ही अधिकारियों के अधिकांश पद रिक्त पड़े हैं। पिछले दिनों आयुक्त खुशाल यादव एक वर्ष के प्रशिक्षण के लिए विदेश चले गए। सरकार ने स्थाई आयुक्त नियुक्त करने के बजाए अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त अक्षय गोदारा को निगम का अतिरिक्त चार्ज दे दिया। प्राधिकरण में पहले ही बहुत काम है। गोदारा अपने प्राधिकरण के कामों को प्राथमिकता देते हैं। निगम में उपायुक्त के दो पद है, लेकिन तारामणी वैष्णव के तबादले के बाद एक पद रिक्त पड़ा है। दूसरी उपायुक्त सीता वर्मा अपनी माता जी की बीमारी की वजह से अधिकांश समय अवकाश पर रहती हैं। निगम में राजस्व अधिकारी द्वितीय के दो पद हैं, लेकिन ये दोनों पद ही रिक्त पड़े हैं। सचिव और विधि अधिकारी के पद भी महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन ये दोनों पद खाली पड़े हैं। नगर नियोजक के बगैर ही नगर निगम का काम चलाया जा रहा है। पटवारी, गिरदावर, जेईएन के पद पर रिक्त पड़े हैं। निगम में नई भर्ती नहीं होने से कर्मचारियों का भी अभाव है। कर्मचारियों के नहीं होने और अधिकारियों के पद रिक्त होने से निगम में सामान्य कामकाज भी नहीं हो रहा है। भाजपा की मेयर श्रीमती हाड़ा और डिप्टी मेयर जैन ने कई बार राज्य सरकार से रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए आग्रह किया है। लेकिन कांग्रेस के शासन में इन दोनों की कोई सुनवाई नहीं हो रही। श्रीमती हाड़ा और जैन का आरोप है कि कांग्रेस सरकार राजनीतिक द्वेषता से काम कर रही है। सरकार नहीं चाहती अजमेर में भाजपा बोर्ड जनता की भलाई के काम करे। दोनों ने मना कि अधिकांश पद रिक्त होने की वजह से सामान्य कामकाज भी नहीं हो रहा है। लोगों को छोटे छोटे कार्यों के लिए एनओसी लेने तक में परेशानी हो रही है। निगम में किसी भी स्तर पर समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है। यह स्थिति तब है जब अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। केंद्र सरकार के सहयोग से स्मार्ट सिटी के कार्यों पर 2 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। स्मार्ट सिटी के कार्यों की निगरानी के लिए सरकार ने निगम के आयुक्त को अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त कर रखा है। चूंकि आयुक्त का पद ही रिक्त है, इसलिए एसीईओ का पद भी रिक्त है। आम लोगों के काम नहीं होने से कांग्रेस के पार्षद भी परेशान हैं। S.P.MITTAL