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अखिलेश ने मोदी को कहा ‘चंदाजीवी’, बोले- 70 साल में पहली बार किसानों को अपमानित किया जा रहा है

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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसान आंदोलन को लेकर दिए बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने किसानों को आंदोलन जीवी कहे जाने पर आपत्ति जताई और तंज़ कसते हुए कहा कि जो नेता घर-घर जाकर चंदा ले रहे हैं, क्या उन्हें चंदाजीवी नहीं कहा जाना चाहिए?

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान अखिलेश यादव ने मंगलवार को लोकसभा में कहा, ‘जिस आंदोलन को आज बदनाम करने की कोशिश की जा रही है उसी आंदोलन ने देश को आज़ादी दिलाई। आंदोलनों के चलते कई अधिकार मिले। महिलाओं को वोटिंग का अधिकार भी आंदोलन करने से मिला।’

अखिलेश यादव ने कहा, ‘महात्मा गांधी राष्ट्र पिता बने, क्योंकि उन्होंने अफ्रीका, देश और दुनिया में आंदोलन किए। उन आंदोलनों के बारे में क्या कहा जा रहा है?

वे लोग आंदोलनजीवी हैं। मैं उन लोगों को क्या कहूं जो लगातार चंदा लेने को निकल जाते हैं, क्या वे चंदाजीवी संगठन के सदस्य नहीं हैं।’

सदन में पीएम मोदी के एमएसपी को लेकर दिए बयान पर सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘कल संसद में कहा गया कि एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा। यह सिर्फ बयानों में है, ज़मीन पर नहीं। किसानों को यह मिल रहा होता तो वे दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन नहीं कर रहे होते।’

उन्होंने कहा, ‘मैं आंदोलनकारी किसानों को बधाई देता हूं, उन्होंने देशभर के किसानों को जागरूक किया है।’

अखिलेश ने कहा, ‘मैं जिस राज्य उत्तर प्रदेश से आता हूं, वहां की जनता ने दो बार बीजेपी की सरकार बनवाई है। उसी प्रदेश से राष्ट्रपति महोदय हैं, प्रधानमंत्री वहां से चुने गए हैं, रक्षा मंत्री और कई राज्यों में बैठे गवर्नर भी वहां से आते हैं।

लेकिन इसके बावजूद उत्तर प्रदेश में किसान को धान और मक्के की फसल पर एमएसपी नहीं मिल रही?’

सपा अध्यक्ष ने कहा, ‘किसानों को जिस तरह से सरकार ने अपमानित किया है, ऐसा 70 सालों के इतिहास में कभी नहीं हुआ। किसानों को अपमानित करने के लिए न जाने क्या-क्या कहकर बुलाया गया’।

उन्होंने कहा, ‘अगर सरकार कहती है कि कानून किसानों के लिए है तो वे इसे वापस क्यों नहीं ले रहे जब किसान इसे स्वीकार नहीं कर रहे? जिन लोगों के लिए इसे बनाया गया, वे इसे नहीं चाहते। सरकार को कौन रोक रहा है?

क्या ये आरोप सही नहीं है कि सरकार ने कॉरपोरेट्स के लिए कारपेट बिछाया है और ये कानून लाए हैं।’

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