मप्र में परिवहन विभाग ऐसा है, जिसमें हमेशा ही कमाऊ पुत्रों को अधिक महत्व दिया जाता है। विभाग का बड़ा अधिकारी हो या विभागीय मंत्री कमाऊ पुत्र का ओहदा नहीं बल्कि उसकी बाजीगिरी को देखते हैं। यही कारण है की इस विभाग में अदना सा कर्मचारी भी बड़े-बड़े अफसरों पर भारी पड़ता है। इसका ताजा उदाहरण परिवहन विभाग का पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा है। सेवा में रहते और रिटायरमेंट के बाद भी वह परिवहन विभाग का आंख नाक-कान बना रहा। परिवहन विभाग के पूर्व कर्मचारी सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त की कार्रवाई जारी है। इस बीच सौरभ शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त ने समन जारी किया है। साथ ही उसकी पत्नी, मां, दोस्त शरद जायसवाल और चेतन सिंह को भी समन जारी किया गया है। इस मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है। डीएसपी वीरेंद्र सिंह, इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर इसकी जांच करेंगे। इस केस की हवाला एंगल से भी जांच की जाएगी। आरोपियों के बैंक खातों को भी खंगाला जाएगा।
मंत्री राजपूत के कार्यकाल में सौरभ तेजी से बढ़ा
सौरभ शर्मा की काली कमाई सामने आने के बाद मप्र सरकार ने इंटेलिजेंस के माध्यम से जांच शुरू करा दी है। सौरभ शर्मा को 2016 में परिवहन विभाग में आरक्षक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति मिली। यहीं से उस पर नेताओं और अधिकारियों की कृपा बरसने लगी। वह परिवहन विभाग का लाड़ला हो गया था। परिवहन आयुक्त कार्यालय ग्वालियर में लगभग एक वर्ष कार्यरत रहने के बाद सौरभ ने पदस्थापना चेकपोस्ट पर करा ली। इसके बाद 2019 में भोपाल आकर उसने मंत्रियों से नजदीकी बढ़ा ली। उस दौरान गोविंद सिंह राजपूत के तत्कालीन परिवहन मंत्री रहते हुए चेक पोस्टों में जमकर अवैध वसूली की शिकायत आ रही थीं।
सौरभ-चेतन के खिलाफ ईडी में प्रकरण दर्ज
परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के घर और उसके दोस्त चेतन गौर की कार से करोड़ों की नकदी और सोने-चांदी के आभूषण मिलने के मामले में लोकायुक्त और आयकर विभाग की कार्रवाई के बाद अब सौरभ और चेतन के विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय ने भी धन शोधन निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज किया है। केंद्रीय राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने भोपाल में मेंडोरा के जंगल में कार से गोल्ड-कैश मिलने के मामले की जांच शुरू कर दी है। इस गोल्ड के विदेश से आयात किए जाने की आशंका के मद्देनजर डीआरआई आयकर विभाग के समानांतर जांच करेगा। इस संबंध में निदेशालय के अधिकारी एक होटल और स्कूल से जुड़े निवेश की भी जांच कर रहे हैं। सौरभ के ठिकानों से मिले संपत्ति के दस्तावेजों और बैंक खातों की जानकारी भी लोकायुक्त टीम बैंक से जुटाएगी। टीम यह पता करेगी कि सौरभ और उसके सहयोगी, मित्रों, परिजनों के बैंक खातों में कब और कितनी राशि जमा और आहरित हुई है। साथ ही सौरभ व सहयोगियों के खातों से किस-किस बैंक खाते में कितनी राशि का अंतरण हुआ है।
डीआरआई ने भी शुरू की जांच
दूसरी ओर, केंद्रीय राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने भोपाल में मेंडोरी के जंगल में कार से गोल्ड-कैश मिलने के मामले की जांच शुरू कर दी है। इस गोल्ड के विदेश से आयात किए जाने की आशंका के मद्देनजर डीआरआई आयकर विभाग के पैरेलल जांच करेगा। इस संबंध में निदेशालय के अधिकारी एक होटल और स्कूल से जुड़े निवेश की भी जांच कर रहे हैं। 19 दिसंबर को लोकायुक्त और आयकर विभाग के छापों में सौरभ शर्मा के ठिकानों से 235 किलो चांदी सहित कुल 8 करोड़ की नकदी और आभूषण मिले हैं। वहीं, आयकर विभाग को भोपाल के मेंडोरी के जंगल में 19 दिसंबर की देर रात एक कार से 52 किलो सोना मिला। 11 करोड़ रुपए कैश भी बरामद हुए। कार एक मकान के बाहर लावारिस हालत में मिली। सोने की कीमत करीब 40 करोड़ 47 लाख रुपए आंकी गई है। कार का मालिक चेतन सिंह गौर सौरभ का करीबी है।
दोस्तों के साथ मिलकर चलाता था कंपनी
सौरभ शर्मा अपने दोस्तों के साथ मिलकर कंपनी भी चलाता था। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज कार्यालय ग्वालियर में 22 नवम्बर 2021 को पंजीकृत कंपनी अविरल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड में सौरभ के दोस्त शरद जायसवाल, चेतन सिंह गौर और रोहित तिवारी डायरेक्टर हैं। 25 जून 2024 तक कंपनी की अधिकृत शेयर पूंजी 10 लाख रुपये दर्शाई गई है, जबकि चुकता पूंजी एक लाख रुपये बताई गई है। कंपनी का काम सिविल इंजीनियरिंग अर्थात निर्माण कार्य बताया गया है। कंपनी की अंतिम वार्षिक आम बैठक (एजीएम) के बाद अंतिम बार बैलेंस शीट 31 मार्च 2023 को दाखिल की गई थी।
परिवहन विभाग में कई किरदार
परिवहन विभाग की माया ही ऐसी है कि यहां छोटे-छोटे मोहरों ने बड़े-बड़े कारनामों को अंजाम दिया है। सौरभ शर्मा ही नहीं बल्कि कई ऐसे किरदार रहे हैं, जिनके कारण परिवहन विभाग चर्चा में रहा है। सौरभ से पहले 2022 में ग्वालियर में तत्कालीन परिवहन आयुक्त मुकेश जैन के पीए सत्यप्रकाश शर्मा ने पूरे प्रदेश में हडक़ंप मचा दिया था। पहले एक शिकायत सामने आई, जिसमें तत्कालीन परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से लेकर परिवहन आयुक्त व कई बड़े लोगों ने चेक पोस्ट के नाम पर 50 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाते हुए सीबीआई से शिकायत की गई थी। जांच में पता चला था कि आयुक्त के पीए सत्यप्रकाश शर्मा ने ऐसा कराया था। सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में एंट्री सत्यप्रकाश ने ही कराई थी। इस पूरे मामले के बाद आयुक्त मुकेश जैन को हटा दिया गया था। इससे पहले तत्कालीन परिवहन आयुक्त वी मधु कुमार को भी रुपयों के साथ वीडियो सामने आने के बाद हटा दिया गया था। इतना ही नहीं, 2016 में तत्कालीन सतना आरटीओ सूर्यकांत त्रिपाठी का आडियो बहुप्रसारित हुआ था, जिसमें सीएम व परिवहन मंत्री पर 80 करोड़ रुपये की मासिक वसूली की बात सुनी गई थी। सत्यप्रकाश शर्मा के खिलाफ सालों पहले पांच लाख रुपये के लेनदेन के मामले में ईओडब्ल्यू में एफआइआर हुई थी, इसके बाद क्लीन चिट भी दे दी गई। वहीं परिवहन आयुक्त कार्यालय ग्वालियर में पदस्थ प्रथम श्रेणी स्टेनो सत्य प्रकाश शर्मा को राजपत्रित दर्जा देकर भर्ती नियमों में शामिल करने का मामला उठा था। इसका प्रदेश के कर्मचारी संगठनों ने विरोध जताया था।