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इज़राइल पर अपना रुख बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा है अमेरिका को

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इज़राइल ने रफ़ा शहर पर हमले तेज़ कर दिए हैं, नागरिकों की हत्या की जा रही है, ज़मीन पर हिंसा शुरू हो गई है और शहर पर आसमान से बमबारी की जा रही है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि हमास युद्धविराम प्रस्ताव के नए संस्करण पर सहमत हो गया है – जिसका अनुमोदन बातचीत में अन्य सभी पक्षों ने किया है – इज़राइल नरसंहार के अपने अभियान पर आगे बढ़ रहा है, गज़ा में शरण लेने वाले अंतिम स्थान पर अपनी नजरें गड़ाए हुए हैं और निकासी के नोटिस भेज रहा है। इज़राइल ने युद्धविराम समझौते को मानने से इनकार कर दिया है और इसके बजाय फ़िलिस्तीनी लोगों पर अपना नरसंहार जारी रखे हुए है।

घटनाओं में आया यह मोड़ उन लोगों के लिए बहुत साफ है जिनके मन में अब तक की बातचीत प्रक्रिया के बारे में कोई संदेह हो सकता है। पिछले महीनों में, तेल अवीव और वाशिंगटन डीसी ने एक ही नेरेटिव पर जोर दिया – कि फ़िलिस्तीनी वार्ता को रोक रहे हैं। यह ऐतिहासिक रूप से पूरी तरह से झूठी कहानी है। अब दुनिया देख रही है कि एक वास्तविक युद्धविराम समझौता था जिसे मध्यस्थता वाले सभी पक्षों ने मंजूरी दी है, और यह इज़राइल है जिसने इसे मानने से इनकार कर दिया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका कभी भी विश्वास के साथ बातचीत की मेज पर नहीं आए हैं। पिछले कुछ हफ़्तों में छात्र शिविरों का हिस्सा रहे कई लोगों को अब बातचीत का प्रत्यक्ष अनुभव हो गया है कि एक ऐसे दुश्मन के साथ “बातचीत” करना वास्तव में कैसा दिखता है जिसका कोई वास्तविक रियायत देने का कोई इरादा नहीं है, और शत्रु जिस प्रकार के विश्वासघाती प्रस्ताव रखता है। ये अपमानजनक प्रस्ताव अन्य पार्टियों की मांगों के प्रति शायद ही किसी लचीलेपन का प्रतिनिधित्व करते हैं।

फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध और इज़राइल के बीच बातचीत में यही होता रहा है। अब तक जिस इज़राइल को संयुक्त राज्य अमेरिका का समर्थन हासिल था उसने स्पष्ट रूप से किसी भी उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है जो हमास की न्यूनतम मांगों का जवाब देता। 

इस पल में पिछले कुछ महीनों में संयुक्त राज्य अमेरिका की भूमिका को भी स्पष्ट हो गई  है, जो वर्तमान पल की अस्थिरता और विरोधाभासी चरित्र को दर्शाता है।

संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में यह रुख अपनाया है कि वे रफा पर आक्रमण का विरोध करते हैं और युद्धविराम समझौते पर जोर दे रहे हैं। हालांकि यह स्पष्ट रूप से एक नई स्थिति है, व्यवहार में, यह जरूरी नहीं है कि यह पहले से भिन्न हो। सरल शब्दों में, यदि अमेरिका वास्तव में रफा पर आक्रमण का विरोध करता है, तो बाइडेन इसे समाप्त करने के लिए आसानी से और जल्दी से एक फोन कर सकते है – पहले पेंटागन को, फिर तेल अवीव को, और सभी सहायता में कटौती करने के लिए राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य बल का इस्तेमाल कर सकते है। इज़राइल को अमेरिका कह सकता है कि वह हमला रोके, और युद्ध के वर्तमान चरण को समाप्त करें। इसका मतलब यह होगा कि इजराइल के प्रति अब तक की अमेरिकी विदेश नीति पूरी तरह से उलट जाएगी, और निश्चित रूप से, यह एक अप्रत्याशित वास्तविकता बनी हुई है। उदाहरण के लिए, हालांकि व्हाइट हाउस ने हाल ही में लगभग 3,500 युद्ध सामग्री के शिपमेंट को रोक दिया है, जिससे इज़राइल को निराशा हुई है, क्योंकि उन्हें सुरक्षा सहायता मिल रही थी। यह घोषणा पिछले महीने हस्ताक्षरित 26 बिलियन डॉलर के सहायता पैकेज को प्रभावित नहीं करती है, और यह ठहराव इस आश्वासन के साथ जुड़ा हुआ है कि उनका समग्र समर्थन दृढ़ बना हुआ है। लेकिन बाइडेन अब संकेत दे रहे हैं, इस बात पर जोर देकर कि अमेरिकी सरकार रफा में ऑपरेशन का समर्थन नहीं करती है, और वे चाहते हैं कि युद्धविराम हो। यूरोपीयन यूनियन के कई देश और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, भूराजनीतिक और जन आंदोलन दोनों स्तरों पर, रफ़ा पर कब्जे और आक्रमण के खिलाफ हैं। और फिर भी, इज़राइल अपने नरसंहार को जारी रखे हुए है।

इज़राइल अपने खुद के विरोधाभासों से घिरा हुआ है – वास्तव में, इतने अधिक कि इसका विवरण देने में कई और पन्ने लगेंगे। इसके कुछ राजनीतिक नेताओं और शासक वर्ग के सदस्यों ने युद्धविराम का आह्वान किया है, जबकि अन्य आक्रमण पर जोर दे रहे हैं। नेतन्याहू कारावास से बचने की एकमात्र आशा के रूप में युद्ध को आगे बढ़ाने पर अड़े हुए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में, गज़ा में बंधक इजराइली बंधकों के परिवारों ने एक बयान जारी कर मांग की थी कि नेतन्याहू उनके परिवार के सदस्यों को रिहा करने के लिए युद्धविराम समझौते को स्वीकार करें, और ऐसा नहीं होने पर देश को जलाने की धमकी दी। आंतरिक राजनीतिक विभाजन के बावजूद, इज़राइल अभी भी वार्ता से पीछे हट गया है और रफा पर हमला करने के लिए आगे बढ़ा है, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपने संबंधों में मौजूद स्थिरता को खतरे में डाल दिया गया है और दावा किया गया है कि वे अकेले लड़ने के लिए तैयार हैं।

इज़राइल की हार 

इस समय क्या हो रहा है, इसे पूरी तरह से समझने के लिए, इन हालिया घटनाक्रमों को प्रासंगिक बनाना और यह जांचना महत्वपूर्ण है कि इस पल घटनाएं कैसे सामने आई हैं। बातचीत और रफ़ा पर हमलों में बढ़ोतरी ऐसे संदर्भ में हो रही है जहां इज़राइल को हार की बहुत ठोस परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। यह पिछले कुछ समय से सच साबित हो रही है, लेकिन यह इस सप्ताह से अधिक कभी इतना ज्यादा स्पष्ट नहीं हुआ। और हार से हमारा मतलब बहुत ठोस चीजों का होना है। 

मुख्यतः, वे फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध की सैन्य क्षमता को नष्ट करने के अपने मुख्य उद्देश्य में कामयाब नहीं हुए हैं। फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध कब्जे और नरसंहार के खिलाफ रक्षा और जवाब देने, दोनों के लिए जारी है।

अमेरिका और इज़राइल भी अपनी आक्रामकता को लेकर क्षेत्रीय प्रतिरोध को नियंत्रित करने या हावी होने में कामयाब नहीं हुए हैं। वास्तव में, यमन, लेबनान, सीरिया, इराक और पूरे क्षेत्र में कई अलग-अलग पक्षों ने कब्जे के खिलाफ अपने हमले तेज कर दिए हैं। कुछ हफ़्ते पहले, सीरिया में ईरानी दूतावास पर इज़राइल के हमले के जवाब में ईरान ने इज़राइल के खिलाफ सफलतापूर्वक एक ऐतिहासिक हमला किया था। इजराइली सैन्य बुनियादी ढांचे पर इस लक्षित हमले ने पासा पलट दिया, जिससे क्षेत्र में इजराइली और अमेरिकी सैन्य अड्डे अब निवारक बल के रूप में प्रभावी नहीं रहे, बल्कि अब साम्राज्यवाद, अमेरिकी साम्राज्य और ज़ायोनीवाद के लिए कमजोरियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

इज़राइल की हार का एक और बहुत महत्वपूर्ण संकेत और जिस पर अक्सर चर्चा नहीं की जाती है, वह यह है कि इजरायली नरसंहार और कब्ज़ा, फिलिस्तीनी सामाजिक संगठन और गज़ा में फिलिस्तीनी समाज के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने में विफल रहा है। पूरे गज़ा में आपातकालीन समितियां अभी भी काम कर रही हैं और उनका गठन किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो थोड़ी सी सहायता आ सकती है उसे कुशल और पर्याप्त तरीके से वितरित किया जा सके। यह बहुत महत्वपूर्ण है—एक संगठित लोगों को हराना बहुत कठिन होता है। अकाल, नरसंहार, यातना और अपने घरों के पूर्ण विनाश की सबसे चरम स्थितियों का सामना कर रहे फ़िलिस्तीनी लोग न केवल सहायता वितरित करने के लिए इन आपातकालीन समितियों का आयोजन कर रहे हैं, बल्कि खान यूनिस और अन्य हिस्सों जैसे खाली कराए गए शहरों को भी फिर से तैयार कर रहे हैं। उत्तर, केवल अपने लोगों की वापसी के लिए ऐसा कर रहे हैं। यह उपलब्धि इतनी अविश्वसनीय है कि कब्जे ने आपातकालीन समितियों के आयोजकों की हत्या शुरू कर दी है। फ़िलिस्तीनी लोगों की जीवित रहने के लिए संगठित होने की क्षमता कब्जे के लिए खतरा है, और इज़राइल की हार का एक और संकेतक साबित होती है।

अंत में, ज़ायोनीवाद का आंतरिक और बाह्य सामाजिक आधार लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गया है। उनका आंतरिक संकट ऐतिहासिक परिमाण तक जा सकता है। लेकिन ज़ायोनीवाद का सामाजिक आधार केवल इज़राइल में ही स्थित नहीं है: ज़ायोनी परियोजना के लिए बहुत सारा सामाजिक समर्थन संयुक्त राज्य भर के समुदायों और संस्थानों पर भी निर्भर करता है, क्योंकि इस क्षेत्र में अमेरिकी साम्राज्यवाद के अपने हित हैं। हालांकि, अमेरिकी शासक वर्ग अपने खुद के संस्थानों पर नियंत्रण खो रहा है, जैसा कि कोलंबिया विश्वविद्यालय में कब्जे और देश भर में छात्र आंदोलन के विद्रोह के माध्यम से देखा गया है। वैधता के गंभीर संकट का सामना करते हुए, ज़ायोनीवाद के लिए सामाजिक आधार, जिसमें वे निकाय भी शामिल हैं जो आम तौर पर ज़ायोनी नेरेटिव को वित्त पोषित करते हैं, को बढ़ावा देते हैं और राजनीतिक रूप से समर्थन करते हैं, अब उस नेरेटिव या अपने खुद के लोगों पर नियंत्रण बनाए रखने में सक्षम नहीं हैं। चूंकि यह नरसंहार न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वित्त पोषित है, बल्कि कई मायनों में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा इंजीनियर और राजनीतिक रूप से समर्थित भी है, फ़िलिस्तीनी लोगों पर इस नवीनतम युद्ध का अमेरिका पर ठोस प्रभाव पड़ा है। जब इज़राइल को हार का सामना करना पड़ता है, तो संयुक्त राज्य अमेरिका को भी हार का सामना करना पड़ता है।

फ़िलिस्तीन के लिए आंदोलन ने बाइडेन को एक कोने में खड़ा कर दिया है

संयुक्त राज्य अमेरिका घरेलू और भू-राजनीतिक रूप से जनमत में अपने ही नुकसान से जूझ रहा है, जिसका श्रेय फिलिस्तीन के लिए जन आंदोलन को दिया जाना चाहिए जो न केवल नरसंहार को लामबंद रूप से खारिज कर रहा है, बल्कि हर दिन सड़कों पर अपनी ताक़त को बढ़ा रहा है। पिछले कुछ महीनों में, आंदोलन ने बाइडेन के लिए केवल यह कहकर कि वह युद्धविराम चाहता है, और हर किसी की सराहना करने का इंतजार करके बच निकलना असंभव बना दिया है। अमेरिका में तूफान मचाने वाली कार्रवाइयों ने लगातार अधिक ठोस मांगों की मांग की है, जो संभव है वह सब मांग की जा रही है कि नरसंहार को ख़त्म करना संभव है। रफ़ा के आक्रमण को रोकना संभव है। ऐसा करने के लिए बस व्हाइट हाउस को निर्णय लेना होगा।

कोई भी शासक वर्ग से नैतिकता की भावना से प्रेरित होने की उम्मीद नहीं करता है, लेकिन उन्हें राजनीतिक दबाव से घेरा जा सकता है। पूरे अमेरिका में सात महीने से अधिक समय से जारी लगातार लामबंदी दुनिया को दिखाती है कि घरेलू मोर्चे पर शासक वर्ग को कैसे हराया गया है। और क्योंकि वे जानते हैं कि उनको जनता देख रही है, तैयार है, और संगठित है, वे अपनी विदेश नीति की चालों और निर्णयों के परिणामों पर गंभीरता से विचार करने के लिए मजबूर हैं।

एक बार फिर हार की स्थितियों का सामना कर रहा अमेरिका चाहता है कि युद्ध का यह चरण खत्म हो जाए। यह स्पष्ट है कि बाइडेन रफ़ा पर आक्रमण की रेखा खींच रहे हैं, फ़िलिस्तीनी जीवन के प्रति अचानक हृदय परिवर्तन के कारण नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि व्हाइट हाउस ने सैन्य तरीकों से हमास को हराने की इजराइल की क्षमता पर विश्वास खो दिया है। क्षेत्र में अपने सैन्य और आर्थिक उद्देश्यों को हासिल करने की कुछ संभावनाओं को संरक्षित करने के लिए, वे जहाज को पूरी तरह से छोड़े बिना, डूबते जहाज यानी इजराइली युद्ध मशीन पर बने रहने का बेइंतहा प्रयास कर रहे हैं।

अमेरिका भी अभूतपूर्व स्तर पर अपनी ही जनता का समर्थन खो रहा है, और उनके अपने हित लड़खड़ा रहे हैं क्योंकि इज़राइल कॉर्पोरेट मीडिया से लेकर विश्वविद्यालयों तक अमेरिका समर्थित संस्थानों के पाखंड को उजागर कर रहा है। बाइडेन इससे निकलने की रणनीति खोजने की उम्मीद कर रहे हैं जो उन्हें प्रतिष्ठा के किसी भी हिस्से को बचाने की अनुमति दे सके। फ़िलिस्तीन के लिए जन आंदोलन ने व्हाइट हाउस में युद्ध समर्थकों पर जो सार्वजनिक दबाव डाला है, वह पिछले सात महीनों में अभी भी बढ़ रहा है। पिछले हफ्ते ही, मई दिवस को बुधवार की दोपहर को हजारों लोग, छात्र और कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। ऐसे समय में जब बाइडेन को उम्मीद थी कि लोग हार मान लेंगे। न्यूयॉर्क शहर में मई दिवस की लामबंदी, जिसे दुनिया भर के शहरों में दोहराया गया, इस तथ्य का संकेत था कि फ़िलिस्तीन के लिए संघर्ष ने अंतरराष्ट्रीय एकजुटता की एक नई लहर को जन्म दिया है, एक वैश्विक आंदोलन जो लोगों की वर्ग चेतना को बढ़ा रहा है।

फ़िलिस्तीन की जीत दुनिया के लोगों की जीत है

पूरे देश में लाखों लोग, दुनिया भर में लाखों लोग, सप्ताह दर सप्ताह सड़कों पर उतरते रहे हैं। फ़िलिस्तीन आंदोलन ऐसा करना जारी रखेगा क्योंकि यह ऐसी मांगें करता है जो युद्धविराम से कहीं आगे तक जाती हैं, कब्जे को ख़त्म करने और फ़िलिस्तीन की पूर्ण मुक्ति की मांग करती हैं। सड़कों पर मजदूर वर्ग फिलिस्तीन का झंडा लेकर चलता है और फिलिस्तीन मजदूर वर्ग का झंडा लेकर चलता है। हम जानते हैं कि बेहतर भविष्य की कल्पना करना हमारा कर्तव्य है और यह कुछ ऐसा है जिसे हमें मिलकर करना चाहिए।

जैसे इज़राइल की हार अमेरिका की हार है, हम जानते हैं कि फ़िलिस्तीनी की जीत हमारी जीत है, यह लोगों की जीत है। और हम यह भी जानते हैं कि यह आंदोलन यूं ही हवा में नहीं उभरा है। पिछले सात महीनों में, हजारों लोग अपने संगठन बना रहे हैं और अपने कौशल को निखार रहे हैं। अधिक से अधिक लोग पहली बार संगठनात्मक काम कर रहे हैं, एक संगठित आंदोलन की शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं: वे एक मेगाफोन के साथ लोगों का नेतृत्व कर रहे हैं, सबवे में चल रहे हैं, अपने पड़ोस में विरोध प्रदर्शन आयोजित कर रहे हैं, एक दूसरे से सीख रहे हैं और इसे समाज में ले जा रहे हैं। लोगों को अपनी ताकत का एहसास हो गया है और दिन-ब-दिन यह साफ हो रहा है कि सरकार को नरसंहार का समर्थन जारी रखने के लिए उनकी सहमति नहीं है। लोग नरसंहार में शामिल होने से इनकार करते हैं – दुनिया भर में किसी भी उत्पीड़ित लोगों का नरसंहार से मनाही करते हैं।

पिछले सप्ताह, रफ़ा में भारी बारिश हुई, जिससे लगातार गर्मी का प्रकोप जारी रहा। रफ़ा में हमारे साथियों से, हमने सुना कि सर्दी और गर्मी के मौसम की स्थितियों के बीच यह भयंकर उतार-चढ़ाव उसी झटके की याद दिलाता है जिसे हम सभी रफ़ा पर आक्रमण के खतरों (और बढ़ते हवाई हमलों) के बीच लगातार आगे-पीछे महसूस किया है, और एक पर्याप्त युद्धविराम समझौते पर पहुंचने की उम्मीदें – जो वास्तव में लोगों की इच्छा का प्रतिनिधि है।

लेकिन इस सारी अस्थिरता के बीच, एक अटूट आशा है कि इस युद्ध का अंत निकट है, और इस युद्ध का अंत फ़िलिस्तीनी लोगों के लिए मुक्ति, सम्मान और सम्मान के अपने लक्ष्यों को साकार करने का एक रास्ता लाएगा। सच्ची आज़ादी के लिए ऐसा होगा। इस बात की अत्यधिक आशा है कि इस युद्ध का अंत ही आगे चलकर पूर्ण मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेगा।

फ़िलिस्तीनी मुक्ति के लिए आंदोलन पहले ही बहुत कुछ हासिल कर चुका है। इसने अपनी मांगों को अपरिहार्य बना दिया है। इसने फ़िलिस्तीन को अपरिहार्य बना दिया है। इसने अमेरिका में शासक वर्ग के लिए स्थिति को अस्थिर बना दिया है। और वह ऐसा करना जारी रखेगा क्योंकि आंदोलन ने पिछले सात महीनों से अपनी मांगें नहीं छोड़ी हैं, और पिछले 76 वर्षों से भी उसने उन्हें नहीं छोड़ा है।

इस सप्ताह, नकबा यानी “तबाही” की शुरुआत के 76 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं, जो 1948 में फ़िलिस्तीनी भूमि की बड़े पैमाने पर बेदखली और चोरी थी। हम इसे अटूट प्रतिबद्धता के साथ मनाएंगे जो कि केवल और अधिक मजबूत हुई है। पिछले सात महीनों में, हम अपने भाषणों में, अपने विरोध प्रदर्शनों में, अपने धन इकट्ठा करने में, अपने कार्यस्थलों और संस्थानों में इसकी याद करेंगे। हम नकबा को नहीं भूले हैं, हम पिछले सात महीनों में हुए 40,000 शहीदों को कभी नहीं भूलेंगे और यह सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है कि इस नरसंहार के अपराधी को भी कभी न भूल सकें।

लियान फुलिहान व एल. मोहम्मद की रिपोर्ट

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