भारतीय निर्वाचन आयोग ने गुरुवार शाम इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा जारी कर दिया है। इस डेटा का विश्लेषण जारी है। लेकिन 12 अप्रैल 2019 से 11 जनवरी 2024 के बीच की मिली जानकारी के अनुसार, बीजेपी सबसे ज़्यादा चंदा हासिल करने वाली पार्टी बनकर सामने आई है। डेटा के अनुसार, बीजेपी को 60 अरब का चंदा मिला है तो चुनावी चंदा देने वाली 5 सबसे बड़ी कंपनियों में 3 ईडी व इनकम टैक्स के रडार पर रहीं हैं।डेटा के अनुसार, बीजेपी को 60 अरब का चंदा मिला है तो चुनावी चंदा देने वाली 5 सबसे बड़ी कंपनियों में 3 ईडी व इनकम टैक्स के रडार पर रहीं हैं।
इस जानकारी को दो हिस्सों में जारी किया गया है। पहले हिस्से में 336 पन्नों में उन कंपनियों के नाम हैं जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदा है और उसकी राशि की जानकारी भी दी गई है। जबकि दूसरे हिस्से में 426 पन्नों में राजनीतिक दलों के नाम हैं और उन्होंने कब कितनी राशि के इलेक्टोरल बॉन्ड कैश कराए उसकी विस्तृत जानकारी है। इस जानकारी के अनुसार बीजेपी ने इस अवधि में कुल 60 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाया है। वहीं इस मामले में दूसरे नंबर पर तृणमूल कांग्रेस है, जिसने 16 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड इनकैश किया है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी फ़्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ है। इस कंपनी ने कुल 1368 बॉन्ड खरीदे, जिसकी क़ीमत 13.6 अरब रुपये से अधिक रही।
किस पार्टी ने भुनाए कितने रुपये के बॉन्ड
निर्वाचन आयोग द्वारा जारी चुनावी बॉन्ड के डाटा से पता चला है कि बीजेपी ने राजनीतिक दलों के बीच अब तक के सबसे अधिक बॉन्ड को भुनाया है। पिछले 5 वर्षों में राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए 12,769 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड में से लगभग आधा सत्तारूढ़ बीजेपी को मिला और इसका एक तिहाई हिस्सा 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान आया। यही नहीं बीजेपी ने 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले इस साल जनवरी में 202 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड भुना भी लिए। डाटा के मुताबिक राजनीतिक दलों के बीच बीजेपी ने सबसे अधिक (कुल 6,060.52 करोड़ रुपये) के बॉन्ड भुनाए। इसके बाद टीएमसी को 1,609.53 करोड़ रुपये मिले। कांग्रेस के खाते में 1,421.87 करोड़ के बॉन्ड गए। बीआरएस को 1,214.71 करोड़ के बॉन्ड मिले और बीजेडी को 775.50 करोड़ रुपये बॉन्ड के जरिए मिले।
चंदा देने और लेने में कौन अव्वल?
चुनाव आयोग की ओर से जारी चुनावी बॉन्ड इनकैश करवाने वालों की लिस्ट में बीजेपी पहले और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। इस मामले में तीसरे नंबर पर अध्यक्ष, अखिल भारतीय कांग्रेस समिति है जिसने 14 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को इनकैश किया है। इसके बाद भारत राष्ट्र समिति ने 12 अरब रुपये और बीजू जनता दल ने 7 अरब रुपये से अधिक के इलेक्टोरल बॉन्ड को इनकैश किया है। पांचवें और छठे नंबर पर दक्षिण भारत की पार्टियां डीएमके और वाईएसआर कांग्रेस (युवासेना) रहीं। सूची में इन पार्टियों के बाद तेलुगु देशम पार्टी, शिवसेना (पॉलिटिकल पार्टी), राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, जनता दल (सेक्युलर), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, जनसेना पार्टी, अध्यक्ष समाजवादी पार्टी, बिहार प्रदेश जनता दल (यूनाइडेट), झारखंड मुक्ति मोर्चा, शिरोमणि अकाली दल, ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम, शिवसेना, महाराष्ट्रवादी गोमन्तक पार्टी, जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ़्रेंस, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी हैं।
वहीं सबसे अधिक कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ के बाद मेघा इंजीनियरिंग एंड इनफ़्रास्ट्रक्चर्स लिमिटेड दूसरे नंबर पर है। फ़्यूचर गेमिंग ने कुल 1368 बॉन्ड खरीदे जिनकी कीमत 1368 करोड़ रुपये थी। वहीं मेघा इंजीनियरिंग ने 966 करोड़ रुपये के कुल 966 बॉन्ड खरीदे। इनके बाद जिन कंपनियों ने सबसे अधिक बॉन्ड खरीदे उनमें क्विकसप्लायर्स चेन प्राइवेट लिमिटेड, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, वेदांता लिमिटेड, एसेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड, वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, केवेंटर फूडपार्क इन्फ़्रा लिमिटेड, मदनलाल लिमिटेड, भारती एयरटेल लिमिटेड, यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, उत्कल अलुमिना इंटरनेशनल लिमिटेड, डीएलएफ़ कमर्शियल डेवलेपर्स लिमिटेड, जिंदल स्टील, आईएफ़बी एग्रो लिमिटेड, डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज़ आदि शामिल हैं।
राजनीतिक दलों की फंडिंग करने वाले कौन
राजनीतिक दलों को 2019 से 2024 के बीच चुनावी चंदा देने वाली पांच में से तीन सबसे बड़ी कंपनियों ने उस समय चंदा दिया है जब वो ईडी और इनकम टैक्स की रेड का सामना कर रही थीं। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, चौंकाने वाली बात यह है कि 2019 और 2024 के बीच राजनीतिक दलों को शीर्ष पांच चुनावी बॉन्ड डोनर्स में से तीन ऐसी कंपनियां हैं जिन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर जांच का सामना करने के बावजूद बॉन्ड खरीदे हैं। इनमें लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी मेघा इंजीनियरिंग और खनन दिग्गज कंपनी वेदांता शामिल हैं। चुनाव आयोग की ओर से जारी डाटा के मुताबिक चुनावी बॉन्ड का नंबर वन खरीदार सैंटियागो मार्टिन द्वारा संचालित फ्यूचर गेमिंग एंड होटल्स प्राइवेट लिमिटेड है। इस लॉटरी कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं।
चुनावी बॉन्ड के विवादित खरीदार
अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक ईडी ने 2019 की शुरुआत में फ्यूचर गेमिंग के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की थी। उस साल जुलाई तक उसने कंपनी से संबंधित 250 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त कर ली थी। 2 अप्रैल, 2022 को ईडी ने मामले में 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की थी। इन संपत्तियों की कुर्की के पांच दिन बाद 7 अप्रैल को फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। कथित तौर पर फ्यूचर गेमिंग के मालिक दक्षिण भारत के “लॉटरी किंग” सैंटियागो मार्टिन हैं। रिपोर्टों के मुताबिक उन्होंने लॉटरी का कारोबार 13 साल की उम्र में शुरू किया था। ईडी के मुताबिक, मार्टिन और अन्य ने लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 के प्रावधानों का उल्लंघन करने और सिक्किम सरकार को धोखा देकर गलत लाभ प्राप्त करने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी।
दूसरे नंबर पर कौन
बांध और बिजली प्रोजेक्ट्स बनाने वाली कंपनी मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एमईआईएल) ने साल 2019 और 2024 के बीच 1,000 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं। यह कंपनी हैदराबाद में स्थित है और इसके मालिक हैं कृष्णा रेड्डी। ये कंपनी तेलंगाना सरकार की प्रमुख परियोजनाओं में शामिल है जिसमें कालेश्वरम बांध परियोजना भी शामिल है। और जोजिला सुरंग और पोलावरम बांध का भी निर्माण कर रही है। अक्टूबर 2019 में आयकर विभाग ने कंपनी के दफ्तरों पर छापेमारी की थी। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की ओर से भी जांच शुरू की गई। संयोग से उसी साल 12 अप्रैल को एमईआईएल ने 50 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे।
अनिल अग्रवाल का वेदांता समूह पांचवां सबसे बड़ा दानकर्ता है, जिसने 376 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं, जिसकी पहली किश्त अप्रैल 2019 में खरीदी गई थी। खास है 2018 के मध्य में ईडी ने दावा किया था कि उसके पास वीजा के बदले रिश्वत मामले में वेदांता समूह की कथित संलिप्तता से संबंधित सबूत हैं, इस मामले में आरोप है कुछ चीनी नागरिकों को नियमों को कथित रूप से तोड़कर वीजा दिया गया था। जिंदल स्टील एंड पावर भी शीर्ष 15 दानदाताओं में है, कंपनी ने बॉन्ड के माध्यम से 123 करोड़ रुपये का दान दिया है। जबकि कंपनी को कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच का सामना करना पड़ा है। ईडी ने अप्रैल 2022 में विदेशी मुद्रा उल्लंघन के एक ताजा मामले के संबंध में कंपनी और उसके प्रमोटर नवीन जिंदल के परिसरों पर छापे मारे थे।
इसके अलावा रित्विक प्रोजेक्ट प्राइवेट लिमिटेड ने इसी दौर में 45 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। रित्विक कंपनी के मालिक राजनेता सीएम रमेश हैं। अक्तूबर, 2018 में रमेश और उनकी कंपनी के ठिकानों पर इनकम टैक्स विभाग ने छापे मारे थे। आपको बता दें कि रमेश उस समय टीडीपी के सांसद थे। इनकम टैक्स विभाग ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने 100 करोड़ रुपये विदेश भेजे थे। कुछ महीने बाद रमेश बीजेपी में शामिल हो गए। वहीं, दिल्ली शराब घोटाले में शामिल अरबिंदो फार्मा ने भी इसी दौर में 49 करोड़ रुपये का दान दिया है। इस केस में ईडी ने कंपनी के निदेशक पी साराह रेड्डी को नवंबर, 2022 में गिरफ्तार किया था। जबकि कंपनी ने 2021 में 2.5 करोड़ रुपये का दान दिया था। उसके द्वारा ज्यादातर इलेक्टोरल बॉन्ड 2022 और 2023 के बीच खरीदे गए। रश्मि सीमेंट जिसने 64 करोड़ रुपये राजनीतिक दलों को चंदा दिया है वह 2022 से ही ईडी की जांच के घेरे में है। 13 जुलाई 2022 को ही ईडी ने पश्चिम बंगाल स्थित उसके तीन ठिकानों पर छापे मारे थे। जिसमें उस पर 73.40 करोड़ रुपये का सरकारी नुकसान करने का आरोप लगा था। और यह मामला रेलवे से संबंधित था। इसी तरह से शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स ने इसी साल के जनवरी में 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे थे। पिछले साल ही उसके खिलाफ आईटी की रेड पड़ी थी।
सवाल उठने हुए शुरू
चुनाव आयोग के जानकारी जारी करने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली दूसरे नंबर पर रहे मेघा इंजीनियरिंग एंड इनफ़्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को लेकर सवाल उठाए हैं। प्रशांत ने ट्वीट में कहा है, “11 अप्रैल 2023 को मेघा इंजीनियरिंग ने 100 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड किसको दिए? लेकिन एक महीने के अंदर ही उसे बीजेपी की महाराष्ट्र सरकार से 14,400 करोड़ रुपये कॉन्ट्रैक्ट मिल जाता है। हालांकि, एसबीआई ने इस जानकारी में बॉन्ड के नंबर छिपा लिए हैं लेकिन फिर भी कुछ डोनर और पार्टियों के मिलान कर के एक अनुमान लगाया जा सकता है। ज़्यादातार चंदे ‘एक हाथ दे, दूसरे हाथ ले’ जैसे लग रहे हैं।” एक एक्स यूज़र ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का संसद में दिए एक बयान का वीडियो शेयर किया है। इसमें वह मेघा इंजीनियरिंग की सराहना करते हुए सुनाई दे रहे हैं। एक और यूज़र ने लिखा है, “11 अप्रैल- मेघा इंजीनियरिंग ने कॉर्पोरेट्स बॉन्ड्स से बीजेपी को करोड़ों का चंदा दिया। 12 मई को 14,400 करोड़ का ठेका मिला।”
एक दिन में खरीदे 100 करोड़ के चुनावी बॉन्ड, नितिन गडकरी ने संसद में की थी तारीफ
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने जैसे ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) द्वारा 12 मार्च को चुनाव आयोग के साथ शेयर किए गया डेटा शेयर किया, देशभर में बवाल मच गया। सोशल मीडिया से लेकर, डिजिटल और टीवी न्यूज और अखबारों की सुर्खियों में सिर्फ इलेक्टोरल बॉन्ड की ही चर्चा है। इस लिस्ट में शामिल टॉप-2 कंपनियों में पहली एक लॉटरी कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज और दूसरी मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) हैं। बता दें कि फिलहाल MEIL की वेबसाइट काम नहीं कर रही है, सिर्फ होमपेज को ही एक्सेस किया जा सकता है। कंपनी के सभी प्रोजेक्ट और डिटेल को फिलहाल वेबसाइट पर आम लोगों द्वारा एक्सेस नहीं किया जा सकता।
एक दिन में सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली भारतीय कंपनी MEIL
MEIL को आमतौर पर मेघा इंजीनियरिंग के नाम से जाना जाता है। इस कंपनी ने अप्रैल 2019 में पहला और अक्टूबर 2023 में आखिरी बार डोनेशन किया। सबसे बड़ी बात है कि 2019 से 2023 के बीच इस कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। एसबीआई द्वारा जारी किए इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा के मुताबिक, MIEL से जुड़ी तीन कंपनियों ने भी काफी बड़ा चंदा राजनीतिक पार्टियों को दिया है। वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लि. ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 220 करोड़, SPEC Power ने 40 करोड़ जबकि Evey Trans Private Ltd ने 6 करोड़ रुपये चंदा दिया। इस तरह कुल मिलाकर देखें तो MEIL ने 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे।
मेघा इंजीनियरिंग की शुरुआत कैसे और किसने की
मेघा इंजीनियरिंग एंटरप्राइजेज की शुरुआत 1989 में पीपी रेड्डी ने 1989 में की थी। 1991 में उनके भतीजे पीवी कृष्णा रेड्डी ने उनके साथ कंपनी में काम करना शुरू किया और अब वह इस कंपनी को चलाते हैं। खास बात है कि पीपी रेड्डी के परिवार के बिजनेस से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था और उनके पिता एक किसान थे। Forbes की रिपोर्ट के मुताबिक, मेघा ने सूखाग्रस्त तेलंगाना में 14 बिलियन डॉलर की सबसे बड़ी सिंचाई परियोजनाओं में से एक का निर्माण किया। यह प्रोजेक्ट 2019 में चालू हो गया। 2023 में पीपी रेड्डी को फोर्ब्स की लिस्ट में 54वें सबसे धनी भारतीय के तौर पर जगह मिली। अगस्त 2018 में MEIL ने टीवी न्यूज वेंचर में एंट्री की और एक TV नेटवर्क में बड़ी हिस्सेदारी खरीद ली। MEIL की सिस्टर कंपनी SEPC ने नवंबर 2023 में 40 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। खास बात है कि ये बॉन्ड तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की शाम को खरीदे गए।
2019 में MEIL पर पड़ी IT रेड
इन सभी प्रोजेक्ट के मिलने से पहले 2019 में कंपनी पर अक्टूबर 2019 में इनकम टैक्स (IT) की रेड पड़ी। IT डिपार्टमेंट ने रेड्डी के दफ्तर, घर और गेस्ट हाउस समेत हैदराबाद में कुल 15 जगहों पर छापामारी की। दिल्ली व मुंबई में भी कंपनी की प्रॉपर्टी पर ईडी की रेड पड़ी। इसी साल MEIL को कालेश्वरम प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन का कॉन्ट्रैक्ट भी मिला। यह दुनिया के सबसे बड़े इरिगेशन प्रोजेक्ट में से एक है। कंपनी ने आंध्र प्रदेश में पट्टीसीमा इरिगेशन प्रोजेक्ट को रिकॉर्ड टाइम में पूरा किया। MEIL के पास झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में कई बड़ पावर प्रोजेक्ट है। MEIL ने एमपी में खारगोन लिफ्ट इरिगेशन प्रोजेक्ट भी बनाया है। तेलंगाना में TRS सरकार के करीबी होने के आरोप भी विपक्ष ने MEIL पर लगाए। 2023 में ही मेघा इंजीनियरिंग पर Kaleshwaram Lift Irrigation Scheme में फ्रॉड के आरोप भी लगे। जनवरी में डेक्कन क्रॉनिकल ने रिपोर्ट किया कि मेघा इंजीनियरिंग ने इस स्कीम में आम जनता के हजारों करोड़ रुपये मार लिए। कंप्ट्रोलर एंड ऑडिट जनरल (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट के चलते MEIL को चार पैकेज में ₹5,188.43 करोड़ रुपये चुकाने पड़े। रिपोर्ट में बताया गया कि हो सकता है कि यह अमाउंट और भी बड़ा हो क्योंकि ऐसे 17 और पैकेज थे।
मेघा को मिले एक के बाद एक बड़े प्रोजेक्ट
मेघा इंजीनियरिंग को एक और महत्वाकांक्षी 4509 करोड़ रुपये वाला हिमालय के पास जोजिला टनल (Zojila Tunnel) बनाने का प्रोजेक्ट हासिल हुआ। मेघा ने 18 किलोमीटर ऑल-वेदर ज़ोजिला टनल के 5 किलोमीटर लंबे टनल वर्क को जनवरी 2022 में पूरा कर लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आपको बता दें कि ज़ोजिला प्रोजेक्ट एशिया की सबसे लंबी बाय-डायरेक्शनल सुरंग है जिससे श्रीनगर और लद्दाख के बीच बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। खास है कि पिछले साल (2023) में MEIL को रक्षा मंत्रालय से 5000 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला। अप्रैल 2023 में MEIL ने मुंबई में थाने-बोरिवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट के लिए दो सेप्रेट पैकेज जीते और दिग्गज इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी लार्सन एंड टूब्रो को मात दी। यही नहीं, मेघा की सब्सिडियरी कंपनी Olectra Greentech की बात करें तो इसके पास 3000 से ज्यादा इलेक्ट्रिक बस उपलब्ध कराने का ऑर्डर है। इस कंपनी ने चीन की BYD से टेक्नोलॉजी ली है।
नितिन गडकरी ने की थी संसद में MEIL की तारीफ
मार्च 2022 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने संसद में MEIL की तारीफ की थी। उन्होंने हिमालय के पहाड़ों में ज़ोजिला टनल बनाने के लिए MEIL पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था, ‘टनल को बनाने की अनुमानित लागत करीब 12000 करोड़ रुपये थी। और मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि जिस कंपनी ने यह प्रोजेक्ट जीता…वही हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग कंपनी है और इसके जरिए हमारी सरकार ने 5000 करोड़ रुपये बचाए हैं।’
मेघा ने एक दिन में खरीदे सबसे ज्यादा 100 करोड़ के बॉन्ड
11 अप्रैल 2023 को मेघा इंजीनियरिंग ने एक दिन में 100 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। और इसके बाद एक महीने के अंदर ही कंपनी को महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार से 14,400 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया। हालांकि, एसबीआई द्वारा जारी किए गए डेटा में यह पता नहीं चला है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया। लेकिन यह अंदाजा लगाना डोनर और पार्टी के संबंध से अंदाजा लगाना आसान है। लेकिन अधिकतर इलेक्टोरल बॉन्ड को एक खास पार्टी को दिए जाने के संकेत जरूर मिले हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ‘लो-प्रोफाइल मेघा इंजीनियरिंग ने इन्फ्रा में दिग्गज Goliaths को पीछ छोड़ा और पांच साल यानी 2014 से 2019 के बीच कंपनी का रेवेन्यू लगभग दोगुना हो गया और इसके नेट प्रॉफिट में 6 गुना का उछाल आया। इसके साथ ही Larsen & Toubro के बाद यह देश की दूसरी सबसे बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी बन गई।’
दागी कंपनी Rithwik Projects ने एक ही दिन में खरीदे 40 करोड़ के बॉन्ड, मालिक लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव
Rithwik Projects का स्वामित्व बीजेपी सांसद (राज्यसभा) सीएम रमेश (Chintakunta Munuswamy Ramesh) के पास है। अक्टूबर 2018 में आयकर विभाग ने कंपनी और रमेश से जुड़े परिसरों पर छापा मारा था। तब रमेश टीडीपी सांसद हुआ करते थे। आयकर विभाग ने आरोप लगाया कि कंपनी ने 100 करोड़ रुपये का गबन किया है।
भाजपा ने की थी सदस्यता रद्द करने की मांग
नवंबर, 2018 में बीजेपी सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने राज्यसभा की सदाचार समिति को रमेश के लिए चिट्ठी लिखी थी और बड़ी वित्तीय धांधली के मामले में उचित कार्रवाई करते हुए सदस्यता रद्द करने की मांग की थी। लेकिन, जून, 2019 में रमेश भाजपा में शामिल हो गए। वर्तमान में वह भाजपा से राज्यसभा सांसद हैं और उनकी पुरानी पार्टी टीडीपी एनडीए में भाजपा की सहयोगी है। रमेश इस बार विशाखापट्टनम से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। बीते मंगलवार 12 मार्च को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रमेश ने कहा कि तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी), जन सेना पार्टी (जेएसपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच गठबंधन ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को झटका दिया है। सत्तारूढ़ दल के नेता गठबंधन के गठन को पचा नहीं पा रहे हैं, क्योंकि गठबंधन के सरकार बनाने के बाद उनके सभी अत्याचार सामने आ जाएंगे। रमेश के मुताबिक, उन्होंने चुनाव लडने के लिए भाजपा हाईकमान से अनुरोध किया है। अप्रैल 2024 में रमेश के राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। खबर मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित।