एस पी मित्तल,अजमेर
अजमेर के नगर आर्य समाज के हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार स्थित परिसर में भव्य यज्ञशाला का निर्माण कराया जाएगा। स्वामी नित्यानंद की स्मृति में जोधपुर के पत्थरों से बनने वाली इस यज्ञ शाला पर करीब पच्चीस लाख रुपए की लागत आएगी। 9 अप्रैल को वैदिक विधि विधान से शिलान्यास हुआ। शिलान्यास शाहपुरा के पूर्व राजपरिवार के जयसिंह ने किया। करीब सौ साल पुराने नगर आर्य समाज का हाल तक अपना भवन नहीं था। साप्ताहिक सत्संग और अन्य गतिविधियां केसरगंज स्थित दयानंद आश्रम में होती थीं। प्रख्यात वैदिक विद्वान डॉक्टर धर्मवीर संस्था के प्रधान बने तो उन्होंने भवन का काम हाथ में लिया। उनके असामयिक निधन के कारण यह पूरा नहीं हो पाया। समाज से जुड़े श्रद्धालुओं ने गत वर्ष इसे पूरा कराया। उनकी स्मृति में इसका नामकरण आचार्य डॉक्टर धर्मवीर भवन किया गया है।
अजमेर नगर आर्य समाज के हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार स्थित परिसर में भव्य यज्ञशाला का निर्माण कराया जाएगा। स्वामी नित्यानंद की स्मृति में जोधपुर के पत्थरों से बनने वाली इस यज्ञ शाला पर करीब पच्चीस लाख रुपये की लागत आएगी। आजवैदिक विधि विधान से इसका शिलान्यास हुआ। शिलान्यास शाहपुरा के पूर्व राज परिवार के जयसिंह ने किया।
ससमारोह में मौजूद अतिथि
करीब सौ साल पुराने नगर आर्य समाज का हाल तक अपना भवन नहीं था। साप्ताहिक सत्संग और अन्य गतिविधियां केसरगंज स्थित दयानंद आश्रम में होती थीं। प्रख्यात वैदिक विद्वान डॉक्टर धर्मवीर संस्था के प्रधान बने तो उन्होंने भवन का काम हाथ में लिया। उनके असामयिक निधन के कारण यह पूरा नहीं हो पाया। समाज से जुड़े श्रद्धालुओं ने गत वर्ष इसे पूरा कराया। उनकी स्मृति में इसका नामकरण आचार्य डॉक्टर धर्मवीर भवन किया गया है। हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार में स्थित इस परिसर में एक बड़ा सभागार और कुछ कक्ष हैं। सभागार में करीब पांच सौ लोग बैठ सकते हैं। पंडित गणपति शर्मा शास्त्रार्थ महारथी पुस्तकालय है। इसमें वेद, उपनिषद आदि ग्रंथों के साथ इतिहास एवं अन्य विषयों की करीब पंद्रह सौ पुस्तकें हैं।संस्था के मंत्री डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा के अनुसार श्रद्धालुओं के आग्रह पर अब यज्ञशाला बनाने का काम हाथ में लिया गया है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित संस्कारविधि में विहित विधि अनुसार यह यज्ञशाला 12 खम्भों वाली होगी । प्रत्येक ख्म्भे पर दो दो हाथी विराजमान होंगे । इस यज्ञशाला की उंचाई 24 फीट होगी।इस की लम्बाई व चौडाई साढ़े चौदह फीट तय की गई है । यह सम चोरस यज्ञशाला है । आर्य समाज के संरक्षक ओम मुनि ने बताया कि यज्ञशाला के शिखर पर ताम्र कलश व ताम्र स्तम्भ स्थापित किया जाएगा।जिस पर ओम् पताका शोभायमान रहेगी। इसके निर्माण में केवल जोधपुरी पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे इसकी छटा देखने लायक होगी। प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला के अनुसार ही इस यज्ञशाला का निर्माण होगा। उन्होंने बताया कि स्वामी नित्यानंद सरस्वती वैदिक धर्म के महान प्रचारक थे। शाहपुरा और कश्मीर आदि राज परिवारों से उनकी काफी नजदीकी रही और यहां वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार किया।यज्ञशाला का शिलान्यास रविवार को प्रात: हुआ ।शिलान्यास पूर्व शाहपुरा राज परिवार के जयसिंह ने किया। इस अवसर पर।राजस्थान के पूर्व लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी , पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी व मुंबई के वरिष्ठ सी ए श्रुतिशील झंवर सहित बड़ी संख्या में आर्यजन उपस्थित थे। बाद में पूर्व लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी अध्यक्षता में आयोजित समारोह में कई अतिथियों के उद्बोधन हुए।इस अवसर पर आयोजित विशेष यज्ञ कन्या गुरुकुल शिवगंज की आचार्या और प्रख्यात विदुषी सूर्या देवी चतुर्वेदा ने संपन्न कराया।
हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार में स्थित इस परिसर में एक बड़ा सभागार और कुछ कक्ष हैं। सभागार में करीब पांच सौ लोग बैठ सकते हैं। पंडित गणपति शर्मा शास्त्रार्थ महारथी पुस्तकालय है। इसमें वेद उपनिषद आदि ग्रंथों के साथ इतिहास एवं अन्य विषयों की करीब पंद्रह सौ पुस्तकें हैं। संस्था के मंत्री डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा के अनुसार श्रद्धालुओं के आग्रह पर अब यज्ञशाला बनाने का काम हाथ में लिया गया है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित संस्कारविधि में विहित विधि अनुसार यह यज्ञशाला 12 खंभों वाली होगी । प्रत्येक खंभे पर दो-दो हाथी विराजमान होंगे। इस यज्ञशाला की ऊंचाई 24 फीट होगी। इस की लम्बाई व चौडाई साढ़े चौदह फीट तय की गई है । यह सम चौरस यज्ञशाला है। आर्य समाज के संरक्षक ओम मुनि ने बताया कि यज्ञशाला के शिखर पर ताम्र कलश व ताम्र स्तम्भ स्थापित किया जाएगा जिस पर ओ३म् पताका शोभायमान रहेगी। इसके निर्माण में केवल जोधपुरी पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे इसकी छटा देखने लायक होगी। प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला के अनुसार ही इस यज्ञशाला का निर्माण होगा। उन्होंने बताया कि स्वामी नित्यानंद सरस्वती वैदिक धर्म के महान प्रचारक थे। शाहपुरा और कश्मीर आदि राज परिवारों से उनकी काफी नजदीकी रही और यहां वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार किया। यज्ञशाला का शिलान्यास पूर्व शाहपुरा राज परिवार के जयसिंह ने किया। इस अवसर पर राजस्थान के पूर्व लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी व मुंबई के वरिष्ठ सीए श्रुतिशील झंवर सहित बड़ी संख्या में आर्यजन उपस्थित थे। बाद में पूर्व लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी अध्यक्षता में आयोजित समारोह में कई अतिथियों के उद्बोधन हुए। इस अवसर पर आयोजित विशेष यज्ञ कन्या गुरुकुल शिवगंज की आचार्या और प्रख्यात विदुषी सूर्या देवी चतुर्वेदी ने संपन्न कराया।