नई दिल्ली. हेट स्पीच माम में समाजवादी विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान को उत्तर प्रदेश के रामपुरकी एमपीएमएलए की विशेष अदालत ने 3 साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माने की सजा सुनाई है. लेकिन उनके पास अभी भी कुछ विकल्प बचे हैं. अपनी स्पीच में आजम खान ने न सिर्फ पीएम नरेन्द्र मोदी पर बल्कि रामपुर के तत्कालीन डीएम पर भी बेहद अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया था. आजम खान को सजा सुनाए जाने के बाद रामपुर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.
कानून के जानकारों ने बताया कि आजम खान, इस फैसले को लेकर निचली कोर्ट की शरण ले सकते हैं. इसके लिए उन्हें एक जमानत याचिका दाखिल करनी होगी. यदि निचली अदालत इस याचिका को स्वीकार कर लेती है तो आजम खान के जेल से बाहर निकलने का रास्ता साफ हो सकता है. इसके अलावा यदि कोर्ट उनकी जमानत याचिका खारिज कर देता है, तो फिर आजम खान हाई कोर्ट का रुख कर सकेंगे. हालांकि आजम खान 60-90 दिनों में इस फैसले को चुनौती दे सकते हैं. अगर कोर्ट के इस फैसले पर स्टे नहीं लगाती है तो आजम खान को कोई राहत नहीं मिलेगी.
कानून के जानकारों के मुताबिक, चूंकि कोर्ट ने आजम खान को तीन साल की सजा सुनाई है, ऐसे में उनकी विधायकी रद्द हो सकती है. इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. 10 बार के विधायक और 2 बार के सांसद आजम खान के सियासी करियर पर अब प्रश्न चिन्ह खड़े हो गए हैं. सजा सुनाये जाने के बाद आजम खान अब चुनाव नहीं लड़ पाएंगे और उनकी विधानसभा सदस्यता भी खत्म हो जाएगी. जनप्रतिनिधियों के लिए बने कानून के मुताबिक यदि किसी विधायक को दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई जाती है तो फिर उसकी सदस्यता चली जाती है. इससे पहले अयोध्या की गोसाईगंज विधानसभा से भाजपा के विधायक खब्बू तिवारी को अपनी विधायकी गवानी पड़ी थी क्योंकि उन्हें कोर्ट ने दो साल से ज्यादा की सजा सुनाई थी.