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इंदौर के मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट पर हिमाचल और गुजरात की 9 कम्पनियों के इंजेक्शनों के इस्तेमाल पर रोक

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इंदौर । पिछले दिनों देश में बने अधिकांश कफ सीरप अमेरिका सहित विदेशों में प्रतिबंधित किए गए, तो उसी तरह घटिया दवाइयों के मामले सामने आते रहे हैं। कुछ दिनों पूर्व इंदौर के सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में इस्तेमाल के लिए आए कुछ इंजेक्शनों की जब जांच कराई तो वे भी घटिया पाए गए। एंटी बायोटिक और ब्लड प्रेशर ठीक करने के लिए इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल किया जाता है। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट पर 9 कम्पनियों के इंजेक्शनों के इस्तेमाल पर रोक लगाई है। मध्यप्रदेश पब्लिक हेल्थ सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने इन इंजेक्शनों पर प्रतिबंध लगाए जाने की जानकारी दी है। अब इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल इंदौर सहित प्रदेश के किसी भी अस्पताल में नहीं किया जा सकेगा।

दरअसल 12 ड्रग की क्वलिटी पर संदेह होने पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने भोपाल स्थित स्टेट लैब को रिपोर्ट भेजी थी, जिनमें से 9 इंजेक्शनों की रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिनकी गुणवत्ता घटिया पाई गई। ज्यादातर हिमाचल और गुजरात की फार्मा कम्पनियों के ये इंजेक्शन हैं। इनमें रुशन फार्मा लिमिटेड, अल्पा लेबोरेट्रिज, भारत पेरेंट्रल्स लिमिटेड, अपैक्स फार्मास्यूटिकल्स, नंदनी मेडिकल लेबोरेट्रिज प्रा.लि., स्विस पेरेंट्रल्स, थैमिस मेडिकेयर लिमिटेड, समर्थ लाइफ साइंस प्रा.लि. और अलविस हेल्थ केयर प्रा.लि. के ये 9 इंजेक्शनों को प्रतिबंधित किया गया है और इन सप्लायर कम्पनियों के बैच नम्बर भी जारी किए गए हैं, ताकि मेडिकल स्टोर पर भी ये इंजेक्शन नहीं बिक सकें। अमूमन इन इंजेक्शनों का इस्तेमाल एंटी बायोटिक और ब्लड प्रेशर को ठीक करने में किया जाता है। एमपी पब्लिक हेल्थ कॉर्पोरेशन ने प्रतिबंध के साथ ही सभी जिलों के डीन,सीएमएचओ सहित अन्य को पत्र जारी कर दिए हैं, जिसमें आगामी आदेश तक इंजेक्शनों के इन लॉट का इस्तेमाल नहीं करने को कहा गया है। दरअसल, मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट मिलने के बाद इन इंजेक्शनों को सेंट्रल लैब कलकत्ता भी भेजा गया था, जहां से ये रिपोर्ट प्राप्त हुई। अभी तीन ड्रग्स की जांच रिपोर्ट और आना बाकी है।

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