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भोपाल एक बार फिर पासपोर्ट के मामले में चर्चा में…नाम में अंतर के बाद भी बन गया पासपोर्ट

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भोपाल फर्जी पासपोर्ट बनाने के मामले में  विवादों में रहने वाला राजधानी भोपाल एक बार फिर एक पासपोर्ट के मामले में चर्चा में है। दरअसल, डॉक्यूमेंट्स और पासपोर्ट में दर्ज नाम में अंतर होने के बाद भी पासपोर्ट बना दिया गया। उस पासपोर्ट पर वह व्यक्ति दो विदेश यात्राएं भी कर आया, लेकिन अब जब वह पासपोर्ट रिनुअल कराने पहुंचा तो अफसरों ने उसके डॉक्यूमेंट्स को नकार दिया।
गौरतलब है कि भोपाल के रहने वाले आशीष सोलंकी ने 10 साल पहले पासपोर्ट बनवाया था। वह इसी पासपोर्ट के आधार पर मकाऊ और हांगकांग की यात्रा कर चुके हैं। यह पासपोर्ट दो साल पहले एक्सपायर हो गया। हाल में उन्होंने रिन्युअल के लिए आवेदन किया। इसे पासपोर्ट ऑफिसर ने रीशेड्यूल कर दिया है। पूछने पर बताया- पासपोर्ट और दस्तावेजों में दर्ज नाम अलग- अलग हैं। दोनों दस्तावेजों में दर्ज नाम के अंतर को ठीक कराने के लिए पासपोर्ट ऑफिसर को आवेदन किया। उन्होंने पहचान संबंधी दस्तावेजों में दर्ज नाम पासपोर्ट रिकॉर्ड में दर्ज करने के बजाय, गलत नाम को ही दस्तावेजों में दर्ज कराने की सलाह दी है।
डॉक्यूमेंट्स सुधारने की सलाह
पासपोर्ट रिनुअल कराने पहुंचे आशीष को अफसरों ने कहा- डॉक्यूमेंट्स और पासपोर्ट में दर्ज नाम में अंतर है। अब अफसरों ने पासपोर्ट में करेक्शन करने के बजाय डॉक्यूमेंट्स सुधारने की सलाह दी है। इस मामले में रीजनल पासपोर्ट ऑफिसर (आरपीओ) शीतांशु चौरसिया का कहना है कि यह पासपोर्ट गुजरात से इश्यू हुआ है। हमारे सिस्टम में हर तरह के मामलों के लिए समाधान के लिए कई चैनल हैं। आशीष सोलंकी ने बताया कि साल 2010 में उन्होंने गुजरात में पासपोर्ट बनवाया था। इस दौरान आशीष सोलंकी के नाम की डॉक्यूमेंट्स सबमिट किए थे। जब पासपोर्ट आया, तो उसमें नाम आशीष सम्मान सिंह सोलंकी दर्ज था। लगा कि पासपोर्ट में पिता का नाम साथ में आता होगा, क्योंकि मुझे इस बारे में जानकारी नहीं थी। दूसरी तरफ गुजरात में बच्चों के नाम साथ पिता का नाम लिखा भी जाता था, इसलिए आपत्ति भी नहीं ली। आशीष कहते हैं कि साल 2010 में मकाऊ और हांगकांग की विदेश यात्रा मैंने की है। तब इसी पासपोर्ट और इन्हीं डाक्यूमेंट्स को वैध माना गया। अब जब पासपोर्ट रिन्यू कराने का आवेदन किया, तो पासपोर्ट दफ्तर के अफसरों ने दस्तावेजों में और पासपोर्ट में नाम अलग-अलग बताकर फॉर्म को री-शेड्यूल कर दिया। यही नहीं, अब अफसर पासपोर्ट पर दर्ज नाम को ही दस्तावेजों में दर्ज कराने की सलाह दे रहे हैं। आशीष ने बताया कि वह निजी कंपनी में काम करते हैं। कंपनी के काम की वजह से उन्हें विदेश भी भेजा जा सकता है। अभी तो उन्हें नेपाल भेजा रहा है, क्योंकि वहां पासपोर्ट नहीं लगता है। यहां तो जा सकता हूं। मगर, आगे कंपनी कहीं और जाने का कहेगी तो मैं क्या करूंगा, क्योंकि मेरा पासपोर्ट एक्सपायर हो चुका है। अधिकारी इसको रिन्यु करने के लिए एक अनोखा प्रोसिजर बता रहे हैं। आशीष बताते हैं कि पासपोर्ट बनवाने के लिए मैंने 10 साल पहले एजेंट से अप्लाई करवाया था।

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