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सागर में दिखी बीजेपी की बड़ी कलह! मंच से नाम पुकारते रहे मुख्यमंत्री,कार्यक्रम छोड़कर चले गएगोपाल भार्गव और भूपेन्द्र सिंह

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मध्य प्रदेश बीजेपी के सीनियर नेता गोपाल भार्गव और भूपेन्द्र सिंह मंच छोड़कर चले गए। मंच में सीएम मोहन यादव भी मौजूद थे। दोनों नेता एक ही गाड़ी से रवाना हुए। बताया जा रहा है कि मंच में दोनों नेताओं को बैठने के लिए उचित स्थान नहीं मिला था जिसके बाद से वह नाराज होकर चले गए। इस मामले को लेकर सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है।

मप्र के मुखिया डॉ मोहन यादव की सरकार द्वारा सागर में चौथा रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव कराया गया। इसमें बीजेपी के नेताओं में कलह दिखाई दी। मप्र के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री और सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव और बुंदेलखंड में कभी सेकंड CM कहलाने वाले पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह उपेक्षित रहे। उन्हें मंच पर उचित स्थान भी नहीं दिया गया। बता दें कि दोनों नेताओं को सीएम के दाएं-बाएं 9वें नंबर की कुर्सियों पर बैठाया गया था। हालांकि उनसे काफी जूनियर विधायकों को कार्यक्रम में ज्यादा तब्बजों दी गई।

सीएम डॉ मोहन यादव जब मंच पर बोलने आए तो दोनों जा चुके थे। सीएम ने खुद मंच से वरिष्ठ नेताओं के मौजूद न होने की बात कही थी। दरअसल उचित सम्मान और उपेक्षा से आहत होकर दोनों सीनियर विधायक गोपाल भार्गव और खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह मंच से उठकर बाहर निकल गए थे। वे कॉन्क्लेव स्थल से एक ही गाड़ी में सवार होकर गए थे, जिसमें गोपाल भार्गव आगे की सीट पर तो भूपेंद्र सिंह पीछे की सीट पर बैठे थे। यही फोटो देर शाम राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई थी।

गोविंद राजपूत और विधायक शैलेंद्र जैन ही आसपास नजर आए

बुंदेलखंड रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आगमन के साथ ही सागर जिले से इकलौते मंत्री गोविंद सिंह राजपूत व सागर विधायक शैलेंद्र जैन ही उनके साथ साथ नजर आए। पूरे कार्यक्रम में सीएम के साथ यही केंद्र में रहे। जबकि बुंदेलखंड से आने वाले अन्य मंत्री जिनमें लखन पटेल, धमेंद्र लोधी और दिलीप अहिरवार को मंच पर जगह तो मिली, लेकिन वे सीएम के ज्यादा नजदीक नहीं दिखे।

CM ने भूपेंद्र-गोपाल को कई बार बुलाया

हालांकि कार्यक्रम में सीएम ने कई दफा सीनियर विधायक गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को बुलाकर आगे किया। दीप प्रज्जवलन के समय भी उन्होंने गोपाल भार्गव को हाथ पकड़कर आगे किया था, तो जब सम्मान—पत्र बांटे जा रहे थे, उस दौरान उन्होंने गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और लता वानखेड़े को अपने पास बुलाकर बाजू में खड़ा कर सम्मान दिया था।

चर्चा में क्यों आए दोनों नेता

दरअसल पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते बुंदेलखंड में उस समय मंत्री भूपेंद्र सिंह की तूती बोलती थी। सत्ता का वे केंद्र थे। शिवराज के खास मंत्रियों में वे शुमार थे। उनके फैसलों को सत्ता और संगठन ने कभी नकारा नहीं है। इसी प्रकार गोपाल भार्गव प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक हैं। बतौर मंत्री वे प्रदेश में काफी कद्दावर माने जाते रहे हैं।

इसलिए नाराज हुए दोनों सीनियर
प्रदेश में सीएम डॉ मोहन यादव की सरकार में इन दोंनों को मंत्री नहीं बनाया गया। इस कारण दोनों नेता खुद को काफी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी भी माने जाते रहे हैं। इनके बीच अबोला बना रहता था, लेकिन जब शुक्रवार को दोनों एक साथ एक गाड़ी में नजर आए तो भाजपा और सत्ता में इनकी चर्चा होना लाजिमी है कि दोनों धुर—विरोधी एक ही नाव पर सवार कैसे हो गए?

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