पार्टी का फरमान जिन्हें टिकट नहीं मिलेगी वह स्वयं यह घोषणा करेंगे कि उन्हें नहीं लड़ना है चुनाव*
आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी अपनी पूरी तैयारियां कर चुकी है, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं राजस्थान मे एक साथ अक्टूबर-नवंबर माह में चुनाव होने हैं, इसी बात को मद्देनजर रखते हुए बीजेपी अपनी रणनीति में किसी तरह की कोई कमी नहीं रखना चाहती है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी और शिवराज सरकार फिर से सत्ता में काबिज होना चाहती है, यह बात उस समय उभर कर सामने आई, जब भारतीय जनता पार्टी द्वारा पिछले महीने राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में प्रेजेंटेशन दिया गया, राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में जिस तरह से बातें साफ हुई हैं उससे यह साफ हो चला है की भारतीय जनता पार्टी अब अपना विशेष फोकस महिला वोटर्स तथा जनजातीय वर्ग पर कर रही है, शिवराज सरकार की “लाडली बहना, इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है, ऐसा माना जा रहा है कि शिवराज सरकार के लिए यह चाल गेम चेंजर और तुरुप का पत्ता साबित हो सकती है, मध्यप्रदेश की ओर से राष्ट्रीय कार्यसमिति में दिए गए प्रजेंटेशन तथा पार्टी के सीनियर नेताओं से जो चर्चा हुई है उससे यह बात साफ है कि 2023 विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी अपनी पूरी रणनीति तैयार कर चुकी है, पार्टी अब अपने अगले रोडमैप की तैयारी में जुट गई है,
*भारतीय जनता पार्टी की 2023 के चुनाव में असली चुनौती क्या है ?*
बीजेपी के लिए उम्मीदवार चयन सबसे बड़ी चुनौती मानी जा रही है। इसीलिए पार्टी ने शुरू में ही एक इंटरनल सर्वे कराया है, जिसमें 30% सीटों पर बीजेपी की स्थिति अत्यंत मजबूत मानी जा रही है। इसी बात को आधार बनाकर पार्टी टिकट प्लान तंय करने जा रही है, इसके साथ ही मतदाताओं को रिझाने पर भी पार्टी अपनी पूरी ताकत झोंक रही है, भाजपा “लाडली बहन, के साथ-साथ नए तरीके से यूथ को जोड़ने का विशेष अभियान चला रही है, जिसका परिणाम आगे जमीन पर भी दिखेगा, भारतीय जनता पार्टी के यूथ कनेक्टिंग अभियान मे 18 वर्ष से लेकर 39 साल तक के युवाओं को जोड़ने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है।
*प्रदेश संगठन के शीर्ष नेताओं को भाजपा विधायक व मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की जिम्मेदारी*
चुनाव से पहले भाजपा कोई रिस्क लेना नहीं चाह रही हैं इसी कड़ी में अपने मंत्रियों एवं विधायकों का पार्टी रिपोर्ट कार्ड तैयार करा रही है रिपोर्ट कार्ड तैयार करने की जिम्मेदारी भाजपा प्रदेश संगठन के बड़े पदाधिकारियों को सौंपेगी, जिनके द्वारा प्रदेश भर में प्रत्येक जिलों का दौरा किया जा रहा है, जिनके द्वारा पार्टी के मौजूदा विधायक और मंत्रियों की क्षेत्र में स्थिति और सक्रियता के साथ-साथ जनता के बीच में इनकी छवि पर विशेष फोकस है, इसके अलावा बूथ लेवल पर डिजिटलाइजेशन एवं त्रिदेव की वर्किंग कमेटी तैयार कर शिवराज सरकार की कार्य योजनाओं पर भी कार्यकर्ताओं के मध्य फीडबैक तैयार किया जाएगा। पार्टी अपने स्तर पर जमीनी तथ्यों का सर्वे करा कर चुनाव रिपोर्ट तैयार करने की अहम जिम्मेदारी पार्टी के प्रदेश प्रभारी, सह प्रभारी, एवं प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही प्रदेश संगठन महामंत्री को देगी, जो लगातार सभी जिलों का दौरा कर रहे हैं। और उनके द्वारा मार्च के अंत तक रिपोर्ट कार्ड भी तैयार कर लिया जाएगा।
*अब नेताओं की दावेदारी पर नहीं, बल्कि जमीनी हकीकत के आधार पर तय होगा टिकट*
भारतीय जनता पार्टी का सख्त फरमान है कि यदि कोई भी नेता विधानसभा सीट से टिकट का दावा करता है, और कहता है की उसे 51% से अधिक वोट मिलने ही है, तब भी इस बात का परीक्षण पार्टी स्वयं कराएगी और जमीनी हकीकत जानने के बाद ही पार्टी निर्णय लेगी, यह कार्य मैदान मे मैदानी पदाधिकारी करेंगे। पार्टी के कार्यकर्ता बूथ से लेकर मंडल स्तर पर सक्रिय वोट प्रतिशत बढ़ाने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। इन्हीं के द्वारा टिकट का दावा करने वाले नेता की जमीनी हकीकत शीर्ष संगठन को बताई जाएगी, इसी रिपोर्ट के आधार पर संबंधित नेता की साख और दावेदारी पर निर्णय लिया जाएगा, प्राप्त जानकारी के मुताबिक हाल ही में प्रदेश प्रभारी पी. मुरलीधर राव और प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा द्वारा नर्मदापुरम, जबलपुर के साथ अन्य जिलों का दौरा किया गया । जिसमें टिकट के दावेदारों ने अपनी अपनी दावेदारी भी पेश की, इस दौरान पदाधिकारियों ने दावेदारों से यह भी पूछा कि उन्हें पिछले चुनाव में कितने प्रतिशत वोट मिले थे,और अब इस चुनाव में क्या 51% वोट वह पा सकते हैं ? यदि हां है तभी दावेदारी पेश करें वर्ना नहीं। इस कार्य को बूथ लेवल की कमेटियां पूरा करेंगी जो गांव लेवल से रेंडम फीडबैक तैयार करेंगी।
*गुजरात फॉर्मूले पर मध्य प्रदेश में भी पार्टी का पूरा जोर, तीन बार के विधायकों पर संकट के बादल*
पार्टी सूत्रों की माने तो भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में मध्यप्रदेश की स्थिति को लेकर मंथन कर चुकी है, जिसे देखते हुए ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी मध्यप्रदेश में गुजरात फॉर्मूले पर आगे बढ़ने वाली है, पार्टी के पास प्रारंभिक सर्वे में जो रिजल्ट आए है, उसी के आधार पर पार्टी प्रदेश के कई बड़े विधायकों और मंत्रियों का टिकट काटने वाली है, ऐसा माना जा रहा है कि इसका सबसे ज्यादा प्रभाव तीन बार से ज्यादा विधानसभा का चुनाव लड़ चुके नेताओं पर होगा। क्योंकि सबसे ज्यादा नकारात्मक फीडबैक तीन बार के विधायकों पर ही आया है।आपको बता दें कि भाजपा के मौजूदा विधायकों में से तीन बार चुनाव जीतने वाले विधायकों की संख्या 28 है। बैठक में गुजरात के उस फॉर्मूले पर विशेष चर्चा हुई, जिसके दम पर भारतीय जनता पार्टी ने अब तक के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करते हुए बड़ी जीत हासिल की है, राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में गुजरात के प्रदेशाध्यक्ष सीआर पाटिल द्वारा प्रजेंटेशन देते हुए दो टूक कहा गया था, कि अगर चुनाव जीतने का सिलसिला आगे बढ़ाना है, तो हमें कठोर फैसले लेने होंगे। ऐसा करने से जहां जनता की नाराजगी कम होगी वही चुनाव जीतने में भी आसानी होगी, इधर इसके बाद से मध्यप्रदेश में चुनाव जीतने को लेकर लगातार होमवर्क भी किया रहा है।