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BJP विधायक केदारनाथ शुक्ला ने 19 एकड़ जमीन हड़पी-आदिवासियों का आरोप

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सीधी

सीधी से 20 किलोमीटर दूर हड़बड़ो गांव। आबादी 5 हजार से ज्यादा। इनमें 4 हजार लोग आदिवासी हैं। इन्हीं आदिवासी परिवारों में 25 लोगों का एक परिवार ऐसा भी है जो अपने क्षेत्रीय विधायक पर जमीन हड़पने का आरोप लगा रहा है। उनका आरोप है कि विंध्य के कद्दावर भाजपा नेता और विधायक केदारनाथ शुक्ला ने उनकी 19 एकड़ से ज्यादा पुश्तैनी जमीन पर कब्जा कर लिया है।

इस कब्जे का बाद उनके पास 6-7 एकड़ जमीन बची थी, जिसमें उनका कच्चा घर बना था। मौजूदा विधायक ने साल 1995 में अपने पॉलिटिकल पावर का इस्तेमाल कर वो जमीन भी अपने नाम करा ली है।

विधायक के दादा यहां डेरा डालने आए थे, हमने पनाह दी

रामसाह सिंह ने बताया कि आज हमारी उम्र 75 साल है। जब हम छोटे थे तब विधायक के पिताजी यहां डेरा डालने आए थे। उनके पास रहने के लिए भी जगह नहीं थी। उनके पिताजी अवधशरण को हमारे बाबा (दादा) ने अपने यहां पनाह दी थी। उनका यहां कुछ भी नहीं था।

हमने उनको अपनी जमीन दी, घर बनवाया और फिर वो यहीं रहने लगे। उनका कच्चा घर आज भी यहां बना हुआ है। उनके पिताजी के 2 बेटे थे। केदारनाथ और मार्कण्डेय। दोनों यहीं पढ़े-लिखे, राजनीति में आ गए फिर हमारी पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया। हम बिना पढ़े-लिखे, साधारण लोग हैं। हमने दिमाग नहीं लगाया, न ही समझ पाए।

1956 से 1961 तक हमारे दादा के नाम पर थी जमीन

पुराना नक्शा दिखाते हुए गुलाब सिंह ने बताया कि हम हड़बड़ो गांव में रहते हैं। यहां पुराने बंदोबस्ती खसरा क्रमांक 246 रकबा 19.41 एकड़ जमीन, हमारी थी। 1956 से लेकर 1961 तक के खसरे में जमीन हमारे दादा महकम सिंह पिता अहीवरण सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड थी। वो इस जमीन के मालिक थे, बाद में हमारी इस खसरे नंबर 246 रकबा 19.41 एकड़ जमीन को टुकड़ों में बांट दिया गया। उस जमीन का खसरा नंबर 246/1, 246/2, 246/3 हो गया।

फिर साल 1972 के अधिकार अभिलेख के दौरान मौजूदा विधायक ने राजस्व कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर बिना किसी सक्षम अधिकारी के खसरा नंबर 246/2 वाली जमीन का नंबर 373 करवा लिया और 2.41 एकड़ जमीन अपने नाम पर करा ली।

इसके अलावा खसरा नंबर 246/3 को 374 करा लिया। उस खसरे की 15 एकड़ जमीन अपने भाई मार्कण्डेय शुक्ला के नाम पर करा ली। जब हमें इस बात की जानकारी लगी तो हमने अपनी गोपद बनास तहसील जा कर शिकायती आवेदन दिया।

गुलाब सिंह ने आगे बताया कि ये गोपद बनास तहसील कार्यालय जिला कलेक्ट्रेट सीधी के कार्यालय परिसर में ही है। एसडीएम, तहसीलदार यहीं बैठते हैं। हमने इनको धारा 170 (ख) मध्य प्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के तहत आवेदन दिया कि हमारी कब्जाई जमीन वापस दिलाई जाए।

हमारी शिकायत न्यायालय के अनुविभागीय अधिकारी मालवीय साहब, रजावत साहब और नीलांबर मिश्रा साहब कर रहे थे। विधायक केदारनाथ शुक्ला ने अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल किया। अपने दूर के रिश्तेदार नीलेश शर्मा का ट्रांसफर करा कर न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी, गोपद बनास तहसील का पीठासीन अधिकारी बनवा दिया।

नीलेश शर्मा ने आते ही तहसीलदार से मौके की स्थिति के विपरीत जांच प्रतिवेदन मंगवाया। हमें साक्ष्य और दस्तावेज प्रस्तुत करने का समय दिए बिना 3 मार्च 2023 को आवेदन पत्र को निरस्त कर दिया गया। इस तरह विधायक ने हमारी 17.41 एकड़ जमीन को हड़प लिया। हम जानना चाहते हैं कि 1972 के राजस्व अभिलेखों में हम आदिवासियों की जमीन गैरआदिवासी के नाम पर कैसे हो गई।

जमीन पर हमारे परिवार के 30 से ज्यादा लोगों का हिस्सा था

गुलाब सिंह ने आगे बताया कि ये पूरी जमीन हमारे दादा के नाम पर थी। अब ये जमीन उनकी संतानों के नाम पर आएगी। दादा के दो बेटे थे। रामस्नेही और रामसाह सिंह। रामस्नेही का निधन हो गया है। मैं और मेरे 2 भाई उन्हीं के बेटे हैं। दादा के दूसरे बेटे रामसाह सिंह जी अभी जिंदा हैं। उम्र करीब 75 साल है। उनके भी चार बेटे हैं। हम सबकी पत्नियां हैं। सबके बच्चे भी हैं। कुछ बच्चों की भी शादियां हो गई हैं। हमारा 30 से ज्यादा लोगों का परिवार है। हमारे पास जमीन नहीं रहेगी तो हम कहां जाएंगे।

बेटे ने कहा- बाह्मण विधायक ने आदिवासी बनकर नाम कराई जमीन

गुलाब सिंह के बेटे 21 साल के राहुल सिंह ने जमीन के कुछ पुराने कागज दिखाते हुए कहा कि ये देखिए कागजों में पहले विधायक का नाम केदारनाथ राम लिखा है। उनके भाई का नाम मार्कण्डेय राम लिखा है। बाद ये नाम बदलकर राम की जगह शुक्ल हो गए। गुलाब सिंह ने कहा कि हमारा घर और उनका कच्चा घर आजू-बाजू ही बना हुआ है। साल 1995 में उन्होंने हमारे घर वाली 5 से 7 एकड़ जमीन भी अपने नाम करा ली है। इसकी जानकारी हमें हाल ही लगी है। अब वो किसी भी दिन हमें बेघर कर सकते हैं। हम गरीब लोग इतना बड़ा परिवार लेकर कहां जाएंगे।

दस्तखत नहीं करने पर सब्बल से मारने की धमकी देते थे

घर के सबसे बुजुर्ग सदस्य 75 साल के रामसाह सिंह ने बताया कि हमारे दादा ने इनके दादा को पनाह दी। शुरुआत में उन्होंने हमारे घर डेरा डाला था, फिर हमने उन्हें घर बनाने के लिए जमीन दी, खाने को नाज दिया। वो यहीं रहने लगे। उनके बच्चे पढ़ लिख गए। हम जानवर चराते थे, क्योंकि हमारा वही पेशा था।

केदारनाथ शुक्ला पढ़-लिखकर वकालत करने लगे। अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते उन्होंने हमारी जमीन अपने नाम करा ली। पहले उन्होंने डरा-धमकाकर जमीन अपने नाम करने की कोशिश की थी। वो हमें सब्बल से मारने की धमकी तक दिया करते थे, लेकिन हमने दस्तखत नहीं किए। फिर उन्होंने षड्यंत्र से हमारी जमीन छीन ली।

रामसाह के भतीजे पटेल सिंह ने कहते हैं कि अब हम कहां जाएं? विधायक ने हमारा पुराना घर भी ले लिया, नया घर भी अपने नाम करा लिया। हमारी पुश्तैनी जमीन छीन ली। एसडीएम कोर्ट में आपत्ति लगाई थी। फैसला उनके पक्ष में सुना दिया। अब हमारी पेशी भी बंद हो गई है।

तहसीलदार ने कहा- 1922 से फाइलों को खंगाला, जिसका जितना था दे दिया

गोपद बनास तहसील के तहसीलदार सौरभ मिश्रा ने बताया कि मामला सामने आने के बाद हमने 2021-22 में इसकी जांच शुरू की थी। जांच मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 धारा 170 ख के तहत शुरू की थी। इस धारा के तहत कब्जाई जमीन दिलवाई जाती है। जांच के लिए हमने 1922 तक के रिकॉर्ड खंगाले थे, तब ये जमीन रीवा रियासत की थीं। रीवा रियासत की जमीन में अगर ये आदिवासी पट्टे के हकदार होते तो उस वक्त के रिकॉर्ड में गैर हकदार कृषक लिखा होता। ये 1922 के रिकॉर्ड्स में उस जमीन के गैर हकदार कृषक नहीं थे। ये सिकमी कृषक थे।

1957 के सरकारी रिकॉर्ड मे हेरफेर की गई थी। उसमें स्याही से काटकर आदिवासी पक्ष की जमीन को ज्यादा दिखाया गया था। सिकमी कृषक को काटकर गै.ह. यानी गैर हकदार कृषक किया गया था। ये पूरा रिकॉर्ड के हेरफेर का मामला है। हमने अपने पास रखे पैरेलल रिकॉर्ड्स को खंगाला तो उसमें इन आदिवासियों के नाम पर ढाई से तीन एकड़ जमीन थी।

भू-राजस्व अधिनियम की धारा 158 D 3 के तहत तहसीलदारों को लोगों के पजेशन वाली जमीन का पट्टा जारी करने का अधिकार दिया गया। तहसीलदार ने विधायक केदारनाथ शुक्ला के पजेशन वाली जमीन पर उनके नाम का पट्टा जारी कर दिया। ये जमीन करीब 17 एकड़ थी। आदिवासियों के पजेशन वाली जमीन को आदिवासियों के नाम कर दिया गया। ये करीब 3 एकड़ जमीन है। इसी साल 2023 को एसडीएम कोर्ट से मामले का फैसला कर दिया गया है। तहसीलदार ने आगे कहा कि हम इस बारे में आपको कैमरे पर कोई बाइट नहीं दे सकते हैं।

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