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 हिसार से भाजपा सांसद ब्रजेंद्र सिंह कांग्रेस के हुए

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राजनीतिक जानकारों ने ब्रजेंद्र सिंह के पाला बदलने के पीछे तीन बड़े कारण बताए हैं। पहला, इस बार उन्हें खुद की टिकट का भरोसा नहीं था। दूसरा, उचाना कलां विधानसभा सीट, जहां पर 2019 के चुनाव में दुष्यंत चौटाला ने ब्रजेंद्र सिंह की मां प्रेमलता को हराया था, इस बार चौधरी परिवार को उस सीट की दावेदारी की गारंटी भी नहीं मिली थी। तीसरा, चौ. बीरेंद्र सिंह, आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा और जजपा गठबंधन के खिलाफ थे।लोकसभा चुनाव की दहलीज पर हरियाणा की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार लोकसभा सीट से भाजपा सांसद ब्रजेंद्र सिंह ने रविवार को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली है। उनके पिता चौ. बीरेंद्र सिंह कई दशक तक कांग्रेस में रहे थे।

2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जजपा को अपने वोट नहीं मिलने वाले हैं। अगर भाजपा और जजपा का गठबंधन जारी रहा तो बीरेंद्र सिंह नहीं रहेगा, ये बात साफ है। उक्त परिस्थितियों में उन्होंने ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ का सहारा लिया, लेकिन जब यह भी काम नहीं आई तो ब्रजेंद्र सिंह, कांग्रेस के हो गए। 

बता दें कि गत वर्ष से ही भाजपा में चौ. बीरेंद्र सिंह की पटरी नहीं बैठ रही थी। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कई ऐसे बयान दे दिए थे, जिससे भाजपा असहज स्थिति में आ गई थी। गत वर्ष चौ. बीरेंद्र सिंह ने जजपा पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही उन्होंने यह कहते हुए भाजपा को भी चेता दिया, अगर भाजपा यह सोचती है कि विधानसभा चुनाव में जजपा के साथ हुआ गठबंधन उसे राजनीतिक फायदा दिलाएगा तो यह गलत है। 

चौ. बीरेंद्र सिंह ने कहा, जजपा के एक बड़े नेता ने हरियाणा की जनता को बड़ा धोखा दिया है। उतना धोखा तो हरियाणा के किसी अन्य नेता ने नहीं दिया। उनके बयानों से ऐसे संकेत मिल रहे थे कि वे आगामी लोकसभा या विधानसभा से पहले भाजपा का साथ छोड़ सकते हैं। इसी कड़ी में उनके सांसद बेटे ने मल्लिकार्जुन खरगे की मौजूदगी में भाजपा से त्यागपत्र देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया। 

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार ब्रजेंद्र सिंह को भाजपा का टिकट मिलने की संभावना नजर नहीं आ रही थी। वजह, कुलदीप बिश्नोई ने 2022 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा ज्वाइन कर ली थी। हरियाणा की एक राज्यसभा सीट पर हुए खेल में कुलदीप बिश्नोई, प्रमुख सूत्रधार रहे थे। बहुमत होते हुए भी कांग्रेस पार्टी को राज्यसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा। भाजपा व जजपा समर्थित उम्मीदवार ने जीत हासिल की। 

इसके बाद आदमपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उनके बेटे भव्य बिश्नोई को भाजपा का टिकट दिया गया। भव्य बिश्नोई ने जीत दर्ज कराई। 2019 के लोकसभा चुनाव में भव्य बिश्नोई ने कांग्रेस की टिकट पर हिसार से ताल ठोकी थी। उन्हें 1 लाख 84 हजार वोट मिले थे। वे तीसरे स्थान पर रहे। भाजपा प्रत्याशी बृजेंद्र सिंह ने जीत दर्ज कराई। 

इस बार कुलदीप बिश्नोई चाहते हैं कि उन्हें खुद हिसार लोकसभा सीट से टिकट मिल जाए। भाजपा के लिए यह दुविधा वाली स्थिति थी। उसे बृजेंद्र सिंह और कुलदीप बिश्नोई में से एक को चुनना पड़ेगा। अगर एक परिवार, एक सीट का फार्मूला बनता है तो इन दोनों परिवारों को नुकसान संभावित है, क्योंकि कुलदीप बिश्नोई के पुत्र विधायक हैं तो चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे सांसद हैं। भाजपा ने अब इन दोनों में से बिश्नोई परिवार को चुना है। 

संभव है कि हिसार लोकसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई परिवार के किसी सदस्य को भाजपा का टिकट मिल जाए। भाजपा की केंद्रीय इकाई से जुड़े सूत्रों का कहना है, ब्रजेंद्र सिंह के जाने से पार्टी को कोई नुकसान नहीं होगा। ब्रजेंद्र सिंह या उनके पिता चौ. बीरेंद्र सिंह का हिसार में अपना कोई वजूद नहीं है। वे भाजपा के चिन्ह पर चुनाव जीते थे।

उचाना कलां विधानसभा सीट, जहां से चौ. बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता चुनाव लड़ने की इच्छुक है, वहां पर भी भाजपा और जजपा की बढ़त बताई जा रही है। यह तय है कि इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा और जजपा का गठबंधन होता है तो डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ही उचाना कलां सीट से चुनाव लड़ेंगे। 

चौ. बीरेंद्र सिंह परिवार ने लोकसभा चुनाव से पहले ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’ शुरू की थी। वे चाहते थे कि हिसार सीट से उनके बेटे ब्रजेंद्र सिंह को ही टिकट मिले और उचाना कलां से प्रेमलता को टिकट दिया जाए। मौजूदा सियासत में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व, प्रदेश की सभी दस लोकसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ने का इच्छुक है। लोकसभा चुनाव के लिए दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। 

दूसरी ओर, इस बार हिसार सहित कई लोकसभा सीटों पर भाजपा नए उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतार सकती है। हालांकि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में जजपा के साथ गठबंधन करने का मन बनाया है। 

उचाना कलां से जजपा विधायक और प्रदेश के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने गत वर्ष कहा था, वे उचाना कलां से ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। चौटाला ने वह बात इसलिए कही थी, क्योंकि हरियाणा के भाजपा प्रभारी बिप्लब देब ने पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता को उचाना कलां का अगला विधायक बताया था। 

चौटाला के बयान पर बिप्लब देब ने भी पलटवार किया था। उन्होंने कहा था कि अगर जजपा ने हमारी सरकार को समर्थन दिया है तो कोई अहसान नहीं किया। इसके बदले में उन्हें मंत्रिपद दिए गए हैं। बिप्लब देब और दुष्यंत चौटाला के बीच हुई बयानबाजी के बाद ऐसे कयास लगाए जाने लगे थे कि प्रदेश में भाजपा-जजपा गठबंधन में दरार आ सकती है। निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह और सोमवीर सांगवान ने दिल्ली में बिप्लब देब के साथ मुलाकात की थी। हलोपा विधायक गोपाल कांडा पहले से ही भाजपा के करीब हैं। भाजपा ने वह प्लान तैयार कर लिया था कि जजपा के साथ पार्टी का गठबंधन टूटता है तो उस स्थिति में सरकार को कोई खतरा नहीं होगा। निर्दलीय विधायकों की मदद से खट्टर सरकार चलती रहेगी। हालांकि, इस बीच जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दुष्यंत चौटाला ने मुलाकात की तो दोनों दलों में चल रहा गतिरोध दूर हो गया था।

गत वर्ष मार्च में भी चौ. बीरेंद्र सिंह ने कहा था, अगर भाजपा, जजपा से गठबंधन करने की सोचेगी तो मेरा यह मानना है कि पार्टी खुद को अभी भी उतना सक्षम नहीं समझ रही है। प्रदेश में अपने 10 साल के शासनकाल में भाजपा ने खुद को काफी मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है। भाजपा को अकेले अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ना चाहिए। अगर भाजपा, गठबंधन में चुनाव लड़ती है तो जनता में संशय की भावना आ जाएगी। रविवार को कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद ब्रजेंद्र सिंह ने कहा, दो अक्टूबर को जींद की रैली में एक मुद्दा उठाया गया था। हरियाणा में भाजपा-जजपा के गठबंधन को लेकर एक फैसला लिया गया था। वह भी मेरे भाजपा छोड़ने का एक कारण है। बृजेंद्र सिंह, संसद की लोक लेखा समिति और रक्षा संबंधी स्थायी समिति के सदस्य हैं। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी रहे हैं।

  

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