‘पूरे देश में बीजेपी सरकारें कानून और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर धर्म विशेष के नागरिकों और उनके धार्मिक स्थलों को टारगेट कर रही हैं. यह देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के खिलाफ है. इससे गरीबों, मजदूरों, शोषितों, पीड़ितों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अन्य मेहनतकशों का कल्याण नहीं हो पा रहा है.’
अपने भतीजे आकाश आनंद और समधी अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से बाहर करने के बाद भाई आनंद कुमार को बसपा को नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाकर फिर हटाने की कार्रवाई करने वाली मायावती ने आज फिर वीडियो जारी कर ये बातें कहीं. 13 मिनट के इस वीडियो में मायावती के निशाने पर काफी दिनों बाद बीजेपी आई. साथ ही कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों पर भी उन्होंने निशाना साधा. मायावती की पिछली कुछ दिनों की कार्रवाई को सिर्फ परिवार में विवाद के तौर पर देखा जा रहा था, मगर उनके आज के वीडियो बयान को सुनकर ये साफ हो गया है कि उन्होंने गंभीर सोच-विचार कर हाल के फैसले किए हैं.

‘बीजेपी की गरीब विरोधी नीति’
मायावती ने बीजेपी सरकारों को गरीब विरोधी बताते हुए बयान की शुरूआत की. इसके बाद उन्होंने बताया कि बहुजन समाज पार्टी दरअसल, ऐसे ही गरीब लोगों की पार्टी है. अपने चार बार के यूपी सरकार के कामकाज को बताते हुए उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने गरीबों की जिंदगी में सुधार के लिए काफी काम किए. फिर मायावती ने बीजेपी के डबल इंजन वाले नारे पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी के ग्रोथ इंजन के दावे फेल हो गए हैं. केंद्र और राज्य सरकार के पास धन की कमी नहीं है, मगर कांग्रेस के नक्शेकदम पर ही बीजेपी और अन्य क्षेत्रीय दलों की सरकारें काम कर रही हैं. वो बातें तो कर रहीं हैं, लेकिन गरीबों, शोषितों, पीड़ितों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, मजदूरों के लिए कुछ नहीं कर रहीं. बसपा प्रमुख ने आगे कहा कि सपा सरकार की तरह बीजेपी की राज्य सरकार ने भी डॉ. भीमराव अंबेडकर समग्र गांव विकास योजना को कमजोर कर दिया गया है. बीएसपी ने इसमें 17 बुनियादी योजनाओं को जोड़कर गांवों में काफी काम किया था.
जाति और धर्म की बात

बसपा प्रमुख मायावती ने विकास के दावों पर हमला करने के बाद बेहद सधे अंदाज में जाति और धर्म की बात कर दी. उन्होंने बीजेपी के मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री के उस बयान को याद दिलाया, जिसमें मंत्री ने लाभार्थियों को भिखारियों की फौज बताया था. मायावती ने कहा कि मंत्री के इस बयान से उनकी सोच उजागर होती है. इस बयान को एक स्टेप आगे ले जाते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ऐसे बयान पर भी कोई एक्शन नहीं लिया. बीजेपी सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर धार्मिक और जातीय उत्पीड़न कर रही है. पूरे देश में बीजेपी सरकारें कानून और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर धर्म विशेष के नागरिकों और उनके धार्मिक स्थलों को टारगेट कर रही हैं. यह देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत के खिलाफ है. इससे गरीबों, मजदूरों, शोषितों, पीड़ितों, दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों और अन्य मेहनतकशों का कल्याण नहीं हो पा रहा है. हर वर्ष केंद्र और राज्य के बजट में बड़ी बातें करती हैं, लेकिन 50 प्रतिशत भी अमल में नहीं लाते.
मायावती का कहां निशाना
मायावती और बसपा के मुख्य तौर पर वोटर गरीब, दलित, पिछड़ा और मुसलमान रहे हैं. ये वोटर 2012 के बाद धीरे-धीरे छिटकते गए. कभी उत्तर प्रदेश में 4 बार सरकार बनाने वाली बसपा का 2022 आते-आते ये हाल हो गया कि विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली. वहीं एक भी सांसद नहीं है. पार्टी अब 2027 में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए जुटी हुई है. इसी वजह से मायावती अपने परिवार के सदस्यों को हटाकर कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दे रही हैं. साथ ही गरीब, दलित और मुस्लिमों को साधने के लिए बीजेपी सरकार पर निशाना साध रही हैं. उनका मकसद बीजेपी-सपा की लड़ाई को बीजेपी-बसपा की लड़ाई बनाना है. 14 अप्रैल 1984 को अपनी स्थापना के बाद बसपा अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. पहले चुनाव में भी बसपा को 9.41 फीसदी मत मिले थे. 1991 के यूपी विधानसभा चुनाव ने बसपा ने 12 सीटें जीत ली थीं. मगर आज ये अपनी चमक खोती नजर आ रही है.