*कांग्रेस जीत सकती है 5 या 6 सीट, महू में त्रिकोणीय मुकाबले में बाजी मार सकते हैं दरबार*
*रामस्वरूप मंत्री*
*विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार का शोर थम गया है। दोनों ही प्रमुख दल अपने-अपने प्रत्याशियों को विजय बनाने के लिए जहां अंतिम रणनीति को अमली जामा पहना रहे हैं। वही जीत के भी उनके अपने-अपने दावे हैं। लेकिन जमीनी धरातल पर जो आकलन है उसके अनुसार इस बार भारतीय जनता पार्टी की जिले की 9 सीटों में से कई सीटों पर हालत पतली है । किन्ही सीटों पर जहां कड़ा मुकाबला है। वहीं कई सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पिछड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस बार प्रदेश में परिवर्तन की बयार का असर इंदौर जिले में भी दिखाई दे रहा है ।इंदौर एक में जहां भाजपा के कद्यावर नेता कैलाश विजयवर्गीय वर्तमान विधायक संजय शुक्ला से बराबरी के मुकाबले में उलझे हुए हैं वहीं राऊ सहित सभी ग्रामीण सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। वहीं शहरी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 3 और 5 में भी कांग्रेस प्रत्याशी भाजपा प्रत्याशियों पर भारी पड़ रहे हैं ।कुल मिलाकर इंदौर में कांग्रेस प्रत्याशी 5 से 6 सीटों पर जीतते नजर आ रहे हैं । जबकि भाजपा की झोली में केवल दो या तीन सीट ही जाती दिखाई दे रही है ।*
इंदौर जिले की लगभग सभी सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 और 4 जो भाजपा के गढ़ समझे जाते थे उनमें भी कांग्रेस ने दमदार उम्मीदवार और जातिगत समीकरण साधने के लिए उतारे गए उम्मीदवार के चलते चुनावी संघर्ष को कड़ा बना दिया है । वहीं विधानसभा क्षेत्र क्रमांक एक में दिग्गज भाजपा नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मैदान में जरूर उतारा है लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी और निवर्तमान विधायक संजय शुक्ला के क्षेत्र में किए गए काम उन्हें भारी पड़ रहे हैं। इस क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच अभी बराबरी का मुकाबला है । जहां गरीब अवैध और अल्पसंख्यक बस्तियों का समर्थन संजय शुक्ला के साथ है । वहीं मध्यवर्गीय और उच्च वरणीय लोगों का समर्थन कैलाश विजयवर्गीय को मिल रहा है । पहली बार इंदौर के चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी के झंडे उठाने के लिए किराए के लोगों को लगाना पड़ रहा है । इससे भारतीय जनता पार्टी की इंदौर जिले में स्थिति को समझा जा सकता है । वहीं महू की विधानसभा सीट में अंतर सिंह दरबार ने निर्दलीय खम ठोक कर लड़ाई को त्रिकोणीय बना दिया है । यदि कांग्रेस प्रत्याशी रामकिशोर शुक्ला भाजपा के शहरी वोटो में सेंध लगाने में सफल होते हैं तो इस सीट से आश्चर्यजनक नतीजे आएंगे तथा अंतर सिंह दरबार चुनाव जीत सकते हैं ।वहीं देपालपुर में कांग्रेस प्रत्याशी विशाल पटेल निश्चित रूप से जीत रहे हैं ।वहीं क्षेत्र क्रमांक 3 में दीपक जोशी पिंटू की स्थिति मजबूत है ।इस क्षेत्र में लड़ाई साधु और शैतान की हो गई है। क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा व्यापारियों से जुड़ा हुआ है और व्यापारियों का कहना है कि भाजपा ने गलत उम्मीदवार को टिकट दिया है । इसलिए मजबूरी में हमें कांग्रेस को जिताना पड़ेगा । क्षेत्र क्रमांक 5 में पिछले 2 साल से तैयारी कर रहे सत्यनारायण पटेल मजबूत हो गए हैं और वे अपनी बहुत कम वोटो से पिछले चुनाव की हार का बदला लेना चाहते हैं । इस तरह से इंदौर की कई सीटों पर कांग्रेस ने मजबूत उम्मीदवार उतार कर मुकाबला को रोचक और संघर्षपूर्ण बना दिया है इस बार इंदौर के भी सीटों के नतीजे चोंकाने वाले आने की संभावना है ।
इंदौर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 में दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय और निर्वतमान विधायक संजय शुक्ला के बीच कड़ा मुकाबला है । नाम से तो भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय भारी उम्मीदवार है लेकिन क्षेत्र के मतदाताओं में उनकी लोकप्रियता असर नहीं कर रही है । क्षेत्र का आधे से ज्यादा इलाका कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के प्रभाव का माना जाता है ।अपने पिछले कार्यकाल में संजय शुक्ला ने क्षेत्र की जल समस्या के समाधान के लिए जहां बड़ी मात्रा में बोरिंग कराए वहीं तमाम अवेध कॉलोनी में विकास कार्य कराए जाने के कारण जिसके चलते गरीब और निचली बस्तियों सहित अल्पसंख्यक कॉलोनी में उनकी लोकप्रियता का मुकाबला करना विजयवर्गीय के लिए आसान नहीं है । अभी मुकाबला बराबरी का माना जा रहा है तथा क्षेत्र से आश्चर्यजनक नतीजे आने की संभावना है । यदि कैलाश विजयवर्गीय इंदौर की इस सीट से चुनाव हार जाते हैं तो यह उनकी राजनीति का समापन भी कर सकता है और संजय शुक्ला की राजनीति का कद बढ़ा सकता है ।
इंदौर की क्षेत्र क्रमांक 2 की सीट किसी जमाने में कम्युनिस्टों का गढ़ मानी जाती थी लेकिन अब भाजपा का गढ़ बन गई है । इस सीट पर पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रमेश मेंदोला ने 95000 से ज्यादा मतों से रिकॉर्ड जीत हासिल की थी । इस बार भी वे आगे चल रहे हैं। लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी चिंटू चौकसे भी दमदारी से मैदान में है । नगर निगम के चुनाव में चिंटू चौकसे ने और उनके अभिन्न साथी राजू भदोरिया ने अपने-अपने वार्डों में चुभने वाली जीत दर्ज की थी ,तभी से वह विधानसभा के उम्मीदवार समझे जा रहे थे तथा उसी हिसाब से तैयारी कर रहे थे ।उनके क्षेत्र में जीवंत संपर्क रमेश मेंदोला के लिए कुछ कठिनाई जरूर पैदा कर रहा है लेकिन अभी भी रमेश मेंदोला भारी ही है , लेकिन इस बार उनकी जीत का मार्जिन कम हो सकता है ।
क्षेत्र क्रमांक 3 में इस बार फिर से मुकाबला साधु और शैतान का बन गया है । भाजपा प्रत्याशी गोलू शुक्ला को भले ही शुक्ला परिवार को विभाजित करने के लिए क्षेत्र – 3 में चुनाव लड़ने के लिए भेज दिया गया हो लेकिन उनकी स्थिति भी राजेंद्र शुक्ला की तरह ही बदनामी भरी है । पारिवारिक पृष्ठभूमि उन पर भारी पड़ रही है । जबकि कांग्रेस प्रत्याशी पिंटू जोशी को जहां अश्विन जोशी का पारिवारिक साथ मिला है। वहीं महेश जोशी की मित्र मंडली भी पिंटू को जीताने के लिए पूरी ताकत से प्रयासरत है । क्षेत्र के व्यापारी वर्ग का बड़ा वोट बैंक इस क्षेत्र में है और व्यापारियों का कहना है कि वह क्षेत्र को असामाजिक तत्वों के हाथ में नहीं जाने देंगे। जिससे लगता है कि कांग्रेस प्रत्याशी पिंटू जोशी की स्थिति मजबूत है।
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 4 यूं तो भारतीय जनता पार्टी का गढ़ रहा है और 1990 से लगातार इस चुनाव क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी जीत हासिल करती रही है तथा जीत का मार्जिन भी बढ़ा रहा है लेकिन पिछले कई चुनाव से भारतीय जनता पार्टी ने एक ही परिवार को टिकट देकर पार्टी के अन्य दावेदारों को और उनके समर्थकों को नाराज कर दिया है। यह नाराजी भी भाजपा प्रत्याशी के लिए भारी पड़ रही है । दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार फिर से जाति समीकरण को साधने की कोशिश की है । क्षेत्र में 45000 से ज्यादा सिंधी मतदाता है ।जो भारतीय जनता पार्टी का बड़ा वोट बैंक माना जाता है तथा हर बार भाजपा को समर्थन देता आया है । जिसके चलते भाजपा इस क्षेत्र में प्रचंड मतों से जीतती रही है ,लेकिन इस बार कांग्रेस प्रत्याशी राजा मांधवानी को मैदान में उतार कर कांग्रेस ने भाजपा के इस वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की है। कांग्रेस प्रत्याशी का सिंधी समाज में व्यापक असर है और वह जेकबाद पंचायत के अध्यक्ष भी हैं। जिसके चलते कांग्रेस की क्षेत्र में वर्षों के बाद मजबूत स्थिति बन पाई है लेकिन अभी भी भाजपा की बढ़त इस क्षेत्र में बरकरार है। संभावना है कि यदि अंतिम समय में कोई बड़ा उलट फेर नहीं होता है तो यहां से भाजपा अपनी सीट बचा लेगी ।
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 में इस बार भी दोनों पुराने प्रतिद्वंदियों में संघर्ष है । भाजपा ने विरोध के बावजूद जहां फिर से महेंद्र हार्डिया को प्रत्याशी बनाया है ,वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल पर ही विश्वास जताया है। पिछले चुनाव में पटेल 1100 वोटो से अंतिम समय में पराजित हुए थे । जिस बारे में कहा जाता है कि प्रशासनिक अमले ने पटेल को जीतते जीतते हरा दिया । इस बार भी वे पिछले 2 साल से क्षेत्र में मेहनत कर रहे है और पुरानी हार का बदला लेना चाहते हैं । पिछले चुनाव में कांग्रेस के बड़े वोट बैंक को मतदान से पूर्व भाजपा ने साजिश पूर्ण तरीके से पर्यटन का लालच देकर बाहर भेज दिया था । इस बार भी ऐसे ही कोशिश में भाजपा है, लेकिन कांग्रेस भी सावधान हैं और अपने अल्पसंख्यक वोट को समेटने के लिए पूरी तैयारी से जुटी हुई है ।महेंद्र हार्डिया को भाजपा के अन्य गुटो का विरोध भी सहना पड़ रहा है ,जिससे लगता है कि इस बार सत्यनारायण पटेल फिर से बाजी मार लेंगे ।
इंदौर जिले की ग्रामीण सीटों में जहां राऊ की विधानसभा सीट पूर्व मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता जीतू पटवारी की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है, वहीं भाजपा प्रत्याशी मधु वर्मा गत चुनाव की अपनी हार का बदला लेने के लिए पूरी मेहनत से मैदान में डटे हुए हैं । लेकिन जीतू पटवारी का किसानों और खाती समाज का समर्थन मधु वर्मा पर भारी पड़ रहा है । पूरे ग्रामीण इलाके में जीतू पटवारी के समर्थन में किसान मजबूती से खड़े हैं । वहीं अल्पसंख्यक मतदाता भी जीतू पटवारी के समर्थन में है ।शहरी क्षेत्र में जरूर जीतू पटवारी की स्थिति कमजोर है। लेकिन क्षेत्र का बड़ा इलाका ग्रामीण है जिससे लगता है कि इस बार भी जीतू पटवारी ही बाजी मारेंगे ।
सांवेर विधानसभा सीट पर शिवराज सिंह सरकार के मंत्री तुलसी सिलावट अपनी प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। कई सालों तक कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे तुलसी सिलावट ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे और सिंधिया गुट के बड़े नेता माने जाते हैं। हालांकि जैसे तैसे उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस को पराजित कर दिया ।लेकिन इस बार उनके लिए सांवेर में अपनी प्रतिष्ठा बचाना टेड़ी खीर है, क्योंकि कांग्रेस ने रीना बोरासी को प्रत्याशी बनाया है, जो पिछले दो साल से सांवेर के गांव-गांव ,गली गली घूम रही है तथा पूरी तरह से कांग्रेस को एकजूट कर चुनाव मैदान में है । इस सीट पर भी मुकाबला कड़ा है और रीना बोरासी तुलसी सिलावट को पराजित कर दे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए ।
देपालपुर विधानसभा क्षेत्र में शायद इस बार भी भारतीय जनता पार्टी को पराजय का मुंह देखना पड़े । भाजपा ने मनोज पटेल को फिर से टिकट देकर इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाल दिया है । कांग्रेस ने अपने विधायक विशाल पटेल पर फिर से विश्वास जताया है। और मनोज पटेल को उम्मीदवार बनाए जाने से पूरा कलोता समाज कांग्रेस के पक्ष में एकजूट हो गया है । इस विधानसभा क्षेत्र में कलोता समाज के 65 से 70000 वोट माने जाते हैं । मनोज पटेल द्वारा कलोता समाज की नराजी को कांग्रेस भूनाने में सफल होती दिखाई दे रही है । जिसके चलते विशाल पटेल की एकतरफा जीत हो जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए । देपालपुर विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस की सबसे मजबूत सीटों में माना जा रहा है जहां पर कांग्रेस का भी अपना वोट बैंक है और माना जाता है कि कलोता समाज जिसके पक्ष में आ जाए उसकी जीत निश्चित होती है । इस बार कलोता समाज अपने स्वजातीय प्रत्याशी विशाल पटेल के समर्थन में पूरी तरह से लामबंद है, इसलिए माना जा रहा है कि देपालपुर से फिर से विशाल पटेल ही विधायक बनेंगे ।
महू विधानसभा सीट पर अंतर सिंह दरबार ने निर्दलीय उम्मीदवार बनकर मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। पूरे जिले की नो विधानसभा सीटों में एक मात्र महू सीट ही ऐसी है जहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है ।अंतर सिंह दरबार पिछले कई चुनाव से कांग्रेस के प्रत्याशी बनते रहे हैं । एक बार उन्होंने इस सीट पर जीत भी हासिल की थी लेकिन इस बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट न देकर भाजपा से वापस कांग्रेस में आए रामकिशोर शुक्ला पर विश्वास जताया है । जबकि भारतीय जनता पार्टी ने पिछला चुनाव जीती उषा ठाकुर को ही अपना प्रत्याशी बनाया है । पिछले दो-तीन चुनाव अंतर सिंह दरबार शहरी क्षेत्र से हारते रहे हैं । इसका कारण यह बताया जाता है कि रामकिशोर शुक्ला ने हमेशा अंतर सिंह दरबार की सेंध मारी करते हुए उन्हें हराने का काम किया । गौरतलब है कि शुक्ला कांग्रेस के नेता रहे हैं और कैंटोनमेंट बोर्ड तथा महू गांव परिषद में उनका अपना दबदबा है । उनकी बगावत के चलते ही दरबार को हर बार हार का मुंह देखना पड़ा ।लेकिन इस बार लगता है कि अंतर सिंह दरबार अपने ग्रामीण वोट बैंक को साध लेंगे तथा त्रिकोणीय मुकाबले में जीत भी हासिल कर सकते हैं। क्योंकि उषा ठाकुर का उनकी ही पार्टी के कुछ जमीनी नेता विरोध कर रहे हैं । जबकि अंतर सिंह दरबार की अपनी लोकप्रियता है और वे जीवंत संपर्क वाले नेता माने जाते हैं। उनका यही जीवन्त संपर्क उन्हें विजय श्री दिला दे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
कुल मिलाकर इंदौर की नौ विधानसभा सीटों में से 5 या 6 सीट इस बार कांग्रेस को मिल सकती है ।जबकि भारतीय जनता पार्टी के खाते में जिले से केवल दो या तीन सिट ही आएगी ।एक सीट पर अंतर सिंह दरबार निर्दलीय चुनाव जीतकर फिर से इंदौर की राजनीति में बड़ा उलट फेर कर सकते हैं ।
(लेखक इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार अग्नि आलोक के संपादक और राजनीतिक विश्लेषक हैं)