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भाजपराज के भ्रष्टाचार लील गया 150 से ज्यादा जानें

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इस ब्रिज की मरम्मत का काम ओरेवा कंपनी को दिया गया था। बदले में वह अपनी लागत निकलने तक, इस ब्रिज के ऊपर लोगों से एंट्री टिकट ले सकते थे। शायद, यही कारण रहा कि दिवाली के वेकेशन में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में आनन-फानन में पूरी तरह चेक करें बिना ही यह ब्रिज खोल दिया गया…

गुजरात में डबल इंजन की सरकार का विकास सिर चढ़कर बोल रहा है। 3 दिन पहले मरम्मत के बाद लोगों के लिए खुलने वाला मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज (Cable Bridge) धराशाई हो गया। जिसमें अभी तक 150 से अधिक लोगों के मरने की खबर मिल रही है। साथ ही कई लोग अभी लापता बताए जा रहे हैं। इस ब्रिज का पिछले 6 माह से रिपेयरिंग काम चालू था। काम खत्म तो हो गया लेकिन गुणवत्ता की कोई चेकिंग नहीं हुई। इसके अलावा, कोई कार्य पूर्ण प्रमाणपत्र नही दिया गया, फिर भी दिवाली के वेकेशन में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में वह पुल बिना चेक किए ही लोगों के लिए खोल दिया गया।

यह ब्रिज 1887 में बना था। अंदाजन 765 फिट लंबा 4.6 फिट चौड़ा है इस ब्रिज की इससे पहले भी मरम्मत की गई थी और समय अंतर पर इस ब्रिज की मरम्मत होती ही रहती है। यह ब्रिज हेरिटेज ब्रिज भी है। इस बार इस ब्रिज की मरम्मत का काम ओरेवा कंपनी को दिया गया था। बदले में वह अपनी लागत निकलने तक, इस ब्रिज के ऊपर लोगों से एंट्री टिकट ले सकते थे। शायद, यही कारण रहा कि दिवाली के वेकेशन में ज्यादा पैसे कमाने की लालच में आनन-फानन में पूरी तरह चेक करें बिना ही यह ब्रिज खोल दिया गया।

ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल की सत्ता पक्ष से नज़दीकियां किसी से भी छुपी नहीं हैं। केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडवीया के साथ उनके फोटो वायरल हो रहे हैं। यह घटना 150 लोगों की जान लेने वाले सिर्फ एक Morbi के केबल ब्रिज की ही नहीं बल्कि गुजरात के कई हिस्सों में ऐसे ही कई ब्रिज टूटने की घटनाएं सामने आई है। आंणद में नवनिर्मित पुल का एक हिस्सा शुरू होने के कुछ समय में ही अचानक से भरभरा कर गिर गया था। अहमदाबाद की बात करें तो कुछ समय पहले अहमदाबाद में भी मेट्रो का निर्माणाधीन पुल का कुछ हिस्सा गिरने की घटना सामने आई थी। भुज के नजदीक भुजोड़ी ब्रिज, जिसको बनने में 12 साल लगे और उद्घाटन के दो महीनों में ही टूटना चालू हो गया।

यह सारे पुल पिछले कुछ ही समय में लोगों के लिए खोले गए थे और कुछ ही समय में उनकी हालत बद से बदतर हो गई। पूरे गुजरात में डबल इंजन की सरकार है उसमें भ्रष्टाचारियों के पौ-बारह हो गए हैं। लेकिन उन भृष्टाचरिओ के खिलाफ कोई कार्यवाही नही होती। क्योंकि, वह कॉन्ट्रेक्टर मंत्रियो की सभाओं में सारा खर्च देते हैं। गुजरात के रास्तों की बात करें, ब्रिज की बात करें या नवनिर्माणों की बात करें, हर जगह भ्रष्टाचार अपनी पैठ जमा चुका है। जिसका खामियाजा कल 150 लोगों ने अपनी जान देकर भुगता है।

हालांकि गुजरात का यह इतिहास रहा है कि, ऐसे मामलों में सच्चे आंकड़े बाहर नहीं आने पाते। चाहे वह कोविड की बात करें या कुछ समय पहले हुए लट्ठा कांड की बात करें। गुजरात सरकार हमेशा से ऐसी घटनाओं के ऊपर परदादारी करती दिखती रही है। इस घटना में भी शायद सच्चे आंकड़े ताउम्र लोगों के सामने ना आए लेकिन हकीकत यह है कि डबल इंजन की सरकार कितनी कार्य कुशल है वह इस ब्रिज की घटना से देखा जा सकता है, और 4 से 5 सौ लोगो के रेस्क्यू के लिए भी अगल बगल के 5 जिलों से सहायता बुलानी पड़ी है। इसके अलावा, NDRF, SDRF, आर्मी, नेवी, एयरफोर्स तक की सहायता लेनी पड़ती है, जो यह बताता है कि, मोरबी का जिला प्रशासन ऐसे हादसों के लिए कितना तैयार बैठा है?  

आनन-फानन में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 304/308 और 114 IPC के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। जिसमें मेंटेनेंस करने वाली कंपनी और मैनेजमेंट करने वाली कंपनी के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया है। लेकिन, इस मामले में अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध देखी जा रही है। इस पुल को खोलने की अनुमति किस अधिकारी ने दी? इस पुल के पूरे सेफ्टी मेजर्स चेक किए गए या नहीं किए गए, यह भी एक गंभीर प्रश्न खड़ा करता है? कार्य पूर्ण प्रमाणपत्र के बिना ब्रिज क्यों जनता के लिए खोला गया?  ऐसे कई प्रश्न गंभीर बेदरकारी को जन्म देते है।

यह गुजरात मॉडल की सच्चाई है कि ऐसी घटना जहां पर 400 लोग प्रभावित है उस घटना से निपटने के लिए भी अगल-बगल के 5 जिलों से सहायता बुलानी पड़ रही है। आर्मी की और नेवी की भी सहायता लेनी पड़ रही है। बड़े शहरों से एंबुलेंस और डॉक्टर भी मोरबी बुलाए जा रहे हैं। यहां गुजरात के सुशासन की पोल खोलती हुई दिख रही है। कुछ 100, 200 लोगों का इलाज करने में भी अगर एक जिला सक्षम नहीं है तो 27 साल में गुजरात में बीजेपी ने क्या विकास किया है? बीजेपी का विकास मूर्तियों में तो दिखता है, लेकिन गुजरात की सामान्य जनता को ढंग से इलाज भी नही मिल रहा। यह सवाल जनता के मन में उठ जरूर रहा है।

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