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दल‍ितों पैठ बढ़ाने की बीजेपी की कवायद… सोशल जस्टिस वीक

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नई दिल्‍ली: भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सारे जातीय समीकरण ध्‍वस्‍त करने का ‘महाप्‍लान’ बना लिया है। इस महाप्‍लान की बुनियाद में है सोशल जस्टिस वीक (Social Justice Week)। इसे दलितों में पैठ बढ़ाने की बीजेपी की बड़ी कवायद के तौर पर देखा जा सकता है। मायावती जैसे बड़े दिग्‍गज नेताओं के हाशिए पर जाने से दलित वर्ग विकल्‍प की तलाश में है। बीजेपी इस वर्ग को वह ऑप्‍शन देना चाहती है। इसके लिए वह पूरी ताकत झोंकने वाली है। पार्टी के देश में फैलते कदमों का एक बड़ा कारण लाभार्थियों का वोट रहा है। तमाम अध्‍ययन इस बात की ओर इशारा करते हैं कि केंद्र की स्‍कीमों का फायदा पाने वाले इन लाभार्थियों में बड़ी संख्‍या दलित वर्ग की है। यानी बीजेपी पहले ही वह सॉफ्ट कॉर्नर बना चुकी है। अब वह दलित महापुरुषों की जयंती के मौकों पर बड़े आयोजनों के जरिये उस सॉफ्ट कॉर्नर को पैठ बनाने में इस्‍तेमाल कर लेना चाहती है। इसके लिए बीजेपी ने पिछले कई सालों से एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है। उसे इसका फायदा भी हुआ है। छह अप्रैल को बीजेपी 43 साल की हो जाएगी। इस दिन उसका स्थापना दिवस है। पार्टी ने प्‍लान बनाया है कि छह अप्रैल यानी स्‍थापना दिवस से 14 अप्रैल तक वह सामाजिक न्याय सप्ताह के तौर पर मनाएगी। 14 अप्रैल को बाबा साहब आंबेडकर की जयंती है।

बीजेपी ने कर ली है पूरी तैयारी…
छह अप्रैल से लेकर 14 अप्रैल तक के ल‍िए बीजेपी की जोरदार तैयारियां हैं। इस दौरान फोकस में दलित और पिछड़ा वर्ग होगा। उनके कल्याण के लिए उठाए गए कदमों को हाईलाइट किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थापना दिवस पर देशभर के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। कार्यकर्ताओं को स्थापना दिवस को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाने का निर्देश मिला है। उनसे कहा गया है कि वे इस दौरान पार्टी का झंडा फहराएं। मिठाई और फल बांटें। हरेक बूथ पर प्रधानमंत्री का भाषण सुनने का बंदोबस्‍त किया जाएगा। हर बूथ अध्यक्ष के घर पार्टी का झंडा लगाने के निर्देश मिले हैं। आंबेडकर जयंती पर सभी बूथ, मंडल, जिला और प्रदेश कार्यालयों पर बाबा साहब की फोटो पर पुष्पांजलि अर्पित करने को कहा गया है। आसपास स्वच्छता अभियान चलाने के लिए निर्देश दिए गए हैं। 11 अप्रैल को महान समाज सुधारक ज्योति बा फुले जयंती पर उनकी तस्‍वीर पर भी पुष्पांजलि अर्पित करने को कहा गया है। कुल मिलाकर पूरा हफ्ता ऐक्‍शन वाला रहेगा।

पूरी कवायद के केंद्र में दल‍ित और प‍िछड़ा समाज…
इस पूरी कवायद के केंद्र में दलित और पिछड़ा वर्ग है। बीजेपी इस वर्ग को मजबूती के साथ अपने पाले में खड़ा कर लेना चाहती है। वह लगातार इसके प्रयास कर भी रही है। अगर वह इसमें कामयाब होती है तो पहले की दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी बीजेपी और अधिक मजबूत हो जाएगी। यह कवायद सारे जातीय समीकरणों को चित करने वाली होगी। जाति के नाम पर राजनीति करने वालों के लिए यह बड़ा झटका होगा।

दल‍ितों को अपने पाले में ले आना चाहती है बीजेपी
दलित वोटर बीजेपी की ओर मूव कर रहे हैं। वोटिंग पैटर्न से भी इस बात को समझा जा सकता है। उदाहरण के लिए यूपी में हुए 2022 के विधानसभा चुनाव को ले सकते हैं। इनमें एक बात साफ हो गई थी। बीएसपी प्रमुख मायावती राजनीतिक रूप से हाशिए पर जा चुकी हैं। दलितों का एक वर्ग उनके पाले से खिसक चुका है। केंद्र की स्‍कीमों के बेनिफिशिएरीज में दलितों और पिछड़ों की संख्‍या अच्‍छी खासी है। इस वर्ग में बीजेपी को पसंद किया जा रहा है। बीजेपी अब उन्‍हें कंसोलिडेट करना चाहती है। दलित महापुरुषों की जयंती के मौकों पर भव्‍य आयोजनों के जरिये उन्‍हें सम्‍मान देकर वह इस पैठ को बढ़ सकती है। लाजिमी है कि किसी को सम्‍मान देने से कोई रोक भी नहीं सकता है। पहले से बीजेपी इस मुहिम पर कदम बढ़ा चुकी है। पार्टी में कई शीर्ष पदाधिकारी दलित और पिछड़े वर्गों से हैं।

ये सभी बातें बीजेपी को दलित वर्ग का स्‍वाभाविक विकल्‍प बना रहे हैं। प‍िछले कुछ सालों का वोट‍िंंग पैटर्न भी देखें तो पता चलता है क‍ि प‍िछड़े और दल‍ित समाज के एक बड़े वर्ग ने बीजेपी के ल‍िए वोट क‍िया है। देश में बीजेपी के बढ़ते कदमों में इनकी ह‍िस्‍सेदारी अहम रही है। इस दिशा में बीजेपी भी लगातार कोश‍िश करती रही है। वह अपने साथ इन्‍हें जोड़ पाने में काफी हद तक कामयाब रही है। बीजेपी इसके सहारे जातीय समीकरणों को तोड़ना चाहती है। इससे उन क्षेत्रीय दलों को सबसे ज्‍यादा नुकसान हो सकता है जो जाति आधार‍ित राजनीत‍ि करते हैं।

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