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सर्व सेवा संघ भवन को ढहाने बुलडोजर पहुंचा: दिग्विजय ने कहा-देश के लिए ये शर्म की बात

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वाराणसी

वाराणसी में सर्व सेवा संघ भवन को ढहाने के लिए शनिवार को पुलिस-प्रशासन की टीम पहुंची। बुलडोजर के साथ पुलिस को देखकर संघ कार्यकर्ताओं ने विरोध-प्रदर्शन शुरू किया। अधिकारियों ने परिसर को 3 घंटे में खाली करा लिया। अब पुस्तकालय में रखी किताबों को हटवाया जा रहा है।

पुलिस ने मुख्य गेट पर लॉक लगा दिया है। महिलाओं के साथ तीखी नोकझोंक हुई है।

प्रशासन की परिसर खाली कराने की चेतावनी के बाद संघ कार्यकर्ता की पुलिस से नोक-झोंक हुई। मुख्य गेट पर लॉक लगा दिया गया। विरोध कर रहे लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेजा है। ADM सिटी के मुताबिक, परिसर खाली होने के बाद ही ढहाने की प्रक्रिया शुरू होगी। विरोध को देखते हुए वाराणसी के 12 थानों की फोर्स मौके पर पहुंच चुकी है। इस मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा-प्रशासन की कार्रवाई देश के लिए शर्म की बात।

‘हम बुलडोजर के आगे लेट जाएंगे, लेकिन भवन टूटने नहीं देंगे’
वाराणसी में जेपी और गांधी समेत कई महापुरुषों की विरासत पर बुलडोजर चलाया जा सकता है। इसके बाद जेपी और विनोबा भावे से जुड़ा भवन अब इतिहास बन जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस पंकज मित्तल की ओर से संघ की याचिका खारिज करने के बाद प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है।

परिसर खाली कराने की चेतावनी के बाद संघ कार्यकर्ता गेट पर बैठकर धरना देने लगे। पुलिस को अंदर जाने से रोकने लगे। इस दौरान कार्यकर्ताओं की पुलिस से नोकझोंक भी हुई। उनका कहना था कि बुलडोजर के आगे लेट जाएंगे लेकिन गांधी और जेपी की विरासत गिरने नहीं देंगे। ध्वस्तीकरण की जानकारी के बाद कई दलों के राजनेता भी सर्व सेवा संघ भवन की ओर रवाना हो गए।

आपको पूरा विवाद समझाते हैं…
सर्व सेवा संघ और उत्तर रेलवे के बीच जमीन के मालिकाना हक पर चल रहे विवाद में जिलाधिकारी एस. राजलिंगम ने सुनवाई के बाद रेलवे के हक में फैसला दिया है। उन्होंने सर्व सेवा संघ का निर्माण अवैध करार देते हुए जमीन को उत्तर रेलवे की संपत्ति माना है। सर्व सेवा संघ भवन को ध्वस्त करने के लिए उत्तर रेलवे प्रशासन ने 30 जून 2023 की तिथि नियत की, लेकिन इस फैसले का विरोध शुरू हो गया। सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों ने प्रशासन के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।

कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर थाने भेजा गया है। अभी गेट पर लॉक लगा दिया गया है।

1948 में संघ बना, 1961 में भवन तैयार
गांधी विचार के राष्ट्रीय संगठन सर्व सेवा संघ की स्थापना मार्च 1948 में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की अध्यक्षता में हुई थी। विनोबा भावे के मार्गदर्शन में करीब 62 साल पहले सर्व सेवा संघ भवन की नींव रखी गई। इसका मकसद महात्मा गांधी के विचारों का प्रचार-प्रसार करना था। सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय मंत्री डा. आनंद किशोर ने बताया कि वर्ष 1960 में इस जमीन पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना के प्रयास शुरू हुए। भवन का पहला हिस्सा 1961 में बना था। 1962 में जय प्रकाश नारायण खुद यहां रहे थे।

परिसर के अंदर किसी को जाने नहीं दिया जा रहा है। संघ कार्यकर्ता ही अंदर है। परिसर को खाली कर रहे हैं।

11 साल में 3 बार में खरीदी गई जमीनें
अध्यक्ष चंदन पाल के अनुसार, आचार्य विनोबा भावे की पहल पर ये जमीनें सर्व सेवा संघ ने 1960, 1961 एवं 1970 में रेलवे से खरीदी हैं। डिवीज़नल इंजीनियर नार्दन रेलवे, लखनऊ द्वारा हस्ताक्षरित तीन रजिस्टर्ड सेल डीड हैं। यह भवन 3 बार में पूरा बन सका था। जैसे-जैसे जमीनें खरीदी जाती रही, वैसे-वैसे भवन बनता चला गया। करीब 1971 तक यहां निर्माण 3 बार में पूरे हुआ। दावा है कि यह भवन गांधी स्मारक निधि और जयप्रकाश नारायण द्वारा किए गए दान-संग्रह से बनवाया गया था।

मुख्य गेट पर सत्याग्रह का बैनर टांगा गया है। कोर्ट के आदेश के बाद भी यहां विरोध-प्रदर्शन जारी था।

पूर्वी द्वार को आने-जाने के लिए रोका गया

शाम के पांच बजे तक सर्व सेवा संघ परिसर के पूर्वी द्वार पर बड़ी संख्या में लोग और पुलिस बल मौजूद है। परिसर क्षेत्र के आसपास के अन्य मकानों को भी रेलवे के अधिकारियों की ओर से देखा जा रहा है। सूचना मिल रही है कि उस क्षेत्र में रेलवे की जितनी भी जमीनी हैं और अगर वहां कब्जा है उसे भी खाली कराया जाएगा।

2007 में शुरू हुआ विवाद, भवन पर पड़ा ताला
इसके बाद 2007 तक यहां सब कुछ ठीक रहा। इसी दरम्यान रेलवे ने अपने कुछ प्रोजेक्ट के लिए जमीन तलाशना शुरू किया। पुराने दस्तावेजों में, जिस जमीन पर सर्व सेवा संघ बना था, वो जमीन रेलवे के मालिकाना हक में दर्ज मिली। इसके बाद रेलवे ने इन जमीनों पर क्लेम किया। इसके बाद मार्च 2007 में इस भवन पर ताला पड़ गया। डा. आनंद किशोर के अनुसार ये विवाद जिला न्यायालय (ADJ 10) की कोर्ट में चला गया। 28 मई 2007 को कोर्ट ने वाराणसी के कमिश्नर की अध्यक्षता में एक संचालक मंडल बना दिया। कोर्ट ने कहा कि यही संचालक मंडल इस विवाद में निर्णय देगा। वर्ष 2007 से 14 मई 2023 तक संस्थान पर जिला प्रशासन का ताला बंद रहा, संचालन नहीं किया गया। इसके बाद सर्व सेवा संघ की ओर से लिखित रूप से निवेदन किया गया कि संस्थान की लाइब्रेरी अमूल्य है, किताबें नष्ट हो रही हैं। इसकी जिम्मेदारी सर्व सेवा संघ को दे दी जाए। प्रशासन ने इस भवन के ध्वस्तीकरण की नोटिस चस्पा की है जिस कार्रवाई को कोर्ट ने फिलहाल रोक दिया है।

​​​​​​काशी स्टेशन डेवलप में फिर जमीन विवाद गहराया
वर्ष 2020 में काशी रेलवे स्टेशन का डेवलपमेंट होना था। ये जमीन स्टेशन के पास स्थित है। इसलिए इस जमीन का विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया। जमीन के मालिकाना हक पर चल रहा विवाद जिलाधिकारी एस. राजलिंगम की कोर्ट में आया। यहां सुनवाई के बाद रेलवे के हक में फैसला दिया गया। उन्होंने सर्व सेवा संघ का निर्माण अवैध करार देते हुए जमीन को उत्तर रेलवे की संपत्ति माना है। सर्व सेवा संघ भवन को ध्वस्त करने के लिए उत्तर रेलवे प्रशासन ने 30 जून 2023 की तिथि नियत कर दी गई है।

संघ ने बताया कार्रवाई को प्रायोजित पहल
अध्यक्ष चंदन पाल के अनुसार, 11 अप्रैल 2023 को उत्तर रेलवे लखनऊ ने सर्व सेवा संघ के ऊपर एक मुकदमा किया। मुकदमे के अनुसार सर्व सेवा संघ द्वारा रेलवे से 1960, 1961 एवं 1970 में खरीदी गयी सभी जमीनों का दस्तावेज कूट रचित तरीके से तैयार किया गया है।उन्होंने कहा कि इन दस्तावेजों को कूट रचित कहना आचार्य विनोबा भावे, राधाकृष्ण बजाज, जयप्रकाश नारायण, लाल बहादुर शास्त्री, जगजीवन राम एवं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे व्यक्तित्वों पर सवाल उठाने जैसा है।

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