Site icon अग्नि आलोक

बनाकर अर्थव्यवस्था को लाचार, विपक्षी दलों की सरकारें reset करने में लगी मोदी सरकार-प्रो गौरव वल्लभ  

Share

कांग्रेस बोली- अर्थव्यवस्था के साथ-साथ लोकतंत्र को भी खोखला कर रही है मोदी सरकार

कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था के साथ-साथ लोकतंत्र को भी खोखला कर रही है.

भारत सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े घोषित किए और उसके पश्चात जैसा कि भारत सरकार की मोडस ऑपरेंडी होती है, उनका प्रचार विभाग देश के सामने अद्भुत आंकड़े लेकर प्रस्तुत हो गया। पर आज मैं उन आंकड़ों की और जो भारत सरकार ने आंकड़े दिए हैं, उनकी सच्चाई लेकर आपके सामने प्रस्तुत हुआ हूँ। पिछले 3 साल में, और ये सारे आंकड़े भारत सरकार के आंकड़े हैं, पिछले 3 साल में भारतीय अर्थव्यवस्था 3 प्रतिशत से कम बढ़ी है। एप्रोक्सीमेटली 3 प्रतिशत मान लें, तो 3 प्रतिशत ग्रोथ इन थ्री ईयर्स। मतलब तीन साल पहले अगर किसी व्यक्ति की आय 10 हजार रुपए थी, तो आज मोदी सरकार के इकॉनमिक मॉडल में, जहाँ पर इंफ्लेशन 7 प्रतिशत पर बना हुआ है, वहाँ पर उसकी आय 10 हजार से बढ़कर 10,300 रुपए हुई है। ये भारत की विकास दर मोदी सरकार ने दी है, 3 प्रतिशत तीन सालों में।

The Modi government’s destruction of the Indian Economy continues. सारे आंकड़े दूँगा।

‘बनाकर अर्थव्यवस्था को लाचार, विपक्षी दलों की सरकारें रीसेट करने में लग गई है मोदी सरकार’।

रीसेट करना था इकॉनमी को पर यहाँ पर रीसेटिंग हो रही है, जो विपक्षी दलों की सरकारें हैं, वहाँ पर रीसेट करने का प्रयास मोदी सरकार कर रही है।

साथियों, मोदी जी को मन की बात करने की जरुरत नहीं है अर्थव्यवस्था पर, क्योंकि अर्थव्यवस्था में 80 रुपए के पार रुपया चल रहा है, डॉलर के मुकाबले; बेरोजगारी की दर अगस्त, 2022 में सीएमआईई के अनुसार 8.28 प्रतिशत पर बनी हुई है और इससे बड़ा चौंकाने वाला आंकड़ा है कि शहरों में बेरोजगारी 9.6 प्रतिशत पर है। तो एक तरफ रुपया 80 पर, बेरोजगारी अपने एक साल के, लास्ट वन ईयर के हाईएस्ट पर, 45 साल के हाईएस्ट पर एक साल पहले पहुंच गए थे और लास्ट 1 ईयर के हाईएस्ट में अगस्त, 2022 में पहुंच गए। तो अगस्त 2022 में बेरोजगारी की दर 8.28 प्रतिशत, जो कि हाईएस्ट है उस पर बनी हुई है।

रिटेल इंफ्लेशन लगातार, खुदरा महंगाई दर लगातार, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की जो रेंज है, 6 प्रतिशत, उससे ज्यादा बना हुई है। अगर हम जुलाई 2022 का आंकड़ा देखें तो 6.71 प्रतिशत पर रिटेल महंगाई दर है। इन सबके बीच में क्वार्टर -1, मौजूदा वित्तीय वर्ष के क्वार्टर का आंकड़ा आता है और उसको हम 2019-20 से कंपेयर करते हैं तो जीडीपी विकास दर है, वो 3 प्रतिशत पर है. मतलब 3 साल में 3 प्रतिशत।

आरबीआई की मॉनिटरिंग पॉलिसी में ये कहा गया कि मौजूदा जो क्वार्टर-1 है, मौजूदा वित्तीय वर्ष का, उसमें अगर हम मोदी जी का ही आंकड़ा ले लें, तो उसमें कहा गया था कि 16 प्रतिशत की  ग्रोथ होगी। जबकि अगर हम लो बेस पर भी बात कर लें, तो वो 13.5 प्रतिशत पर है। अगर हम 2019-20 के नंबर्स से कंपेयर करें, तो 3 प्रतिशत पर हैं। अगर लो बेस पर बात करें, तो जो रिजर्व बैंक का अनुमान था 16 प्रतिशत का, वो घटकर हो गया है- 13.5 प्रतिशत और इसका नतीजा क्या हुआ कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, ये मैं नहीं कह रहा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के जो ग्रोथ के पूर्वानुमान थे, उनको घटा दिया है। पहले जो 7.5 प्रतिशत के लो बेस पर जीडीपी ग्रोथ की  बात की जा रही थी, उसको घटाकर 6.8 प्रतिशत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने कर दिया है।

अगर हम कॉन्स्टैंट प्राईसेस पर जीडीपी विकास दर देखें, तो क्वार्टर-1, 2022-23 पर 36.85 लाख करोड़ रुपया था, जीडीपी, की साइज और 2019-20 में 35.85 लाख करोड़ थी। मतलब 3 साल में 3 प्रतिशत, मतलब पिछले 3 सालों में सालाना हमारी जीडीपी विकास दर हुई है, 1 प्रतिशत। मोदी जी का विकास का मॉडल एक प्रतिशत की ग्रोथ है। अगर हम इसको सालाना विकास दर में देखें। और तो और अगर हम एक्टिविटी देखें, माइनिंग को, तो माइनिंग में पिछले 3 साल में 14 प्रतिशत की गिरावट आई है। माइनिंग का जो साइज था, जीडीपी में वो 85,423 करोड़ मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले क्वार्टर में, 2019-20 के पहले क्वार्टर में वो 98,887 करोड़ रुपए थी।

अगर हम कन्स्ट्रक्शन को देखें, जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था में, जो रोजगार का एक प्रमुख साधन है, जो कंस्ट्रक्शन की साइज मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहले क्वार्टर में 2.6 लाख करोड़ रुपए है, वो वित्तीय वर्ष 2019-20 के पहले क्वार्टर में 2.8 लाख करोड़ थी। मतलब 7 प्रतिशत की गिरावट। माइनिंग गिरी 3 साल में 14 प्रतिशत, कंस्ट्रक्शन गिरा 3 साल में 7 प्रतिशत, रियल जीडीपी 3 साल में बढ़ी 3 प्रतिशत और मैन्यूफेक्चरिंग की अगर बात कर लें, तो पिछले 7 साल मे मैन्यूफेक्चरिंग बढ़ी 7 प्रतिशत, अर्थात् प्रतिवर्ष मैन्यूफेक्चरिंग में ग्रोथ हो रही है, 2 प्रतिशत। ये मोदी जी के विकास के मॉडल हैं और इन सबका नतीजा क्या हुआ कि आज बेरोजगारी की दर 8.28 प्रतिशत पर है। शहरों में बेरोजगारी 9.6 प्रतिशत पर है। उसका नतीजा क्या हुआ, इन सबका नतीजा ये हुआ कि जो रिटेल इंफ्लेशन है, वो लगातार आरबीआई की अपर लिमिट 6 प्रतिशत से ज्यादा बनी हुई है।

साथियों, हमारे इस बावत सरकार से तीन सवाल हैं और बड़े संक्षिप्त सवाल हैं-

1. मोदी सरकार का जो एप्रोच टुवार्डस इकॉनमी है, क्या भारत के लोग प्रति वर्ष 1 प्रतिशत की ग्रोथ डिजर्व करते हैं? क्या भारत के लोग 3 साल में 3 प्रतिशत की जीडीपी ग्रोथ डिजर्व करते हैं? क्या भारत के युवा लगातार बेरोजगारी की दर जो 8 प्रतिशत से ज्यादा बनी हुई है, वो डिजर्व करते हैं? शहरों में बेरोजगारी की दर 9.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है, क्या वो डिजर्व करते हैं और मोदी सरकार इन सब पर आँखें मूंदकर क्यों बैठी हुई है?

2.  बेरोजगारी के निदान के लिए कंक्रीट मेजर्स क्या हैं? वित्त मंत्री से हम पूछ नहीं सकते, क्योंकि वो कह देंगी, मैं तो रोजगार युक्त हूँ, इसलिए मैं क्यों बेरोजगारी का जवाब दूँ, क्योंकि वो तो रोजगार युक्त हैं। क्योंकि प्याज के दाम बढ़ते हैं, तो वो कहती हैं कि मैं प्याज नहीं खाती, तो मैं क्यों जवाब दूँ? तो अभी उनको आप बेरोजगारी का सवाल पूछो, तो बोलेंगी- मेरे पास तो रोजगार है, मैं तो भारत सरकार की केन्द्रीय मंत्री हूँ, मेरे पास तो सब सुख-सुविधाएं हैं, तो मैं क्यों बेरोजगारी पर बात करूँ?

आपको जानकार आश्चर्य होगा, बेरोजगारी में अगर पहले दो स्टेट हैं, नंबर-1 और नंबर-2, वो हैं हरियाणा जो कि देश का एक जमाने में औद्योगिकरण का इंजन हुआ करता था, वो आज लगातार पिछले 3 वर्षों से बेरोजगारी में नंबर-1 बना हुआ है। दूसरा स्टेट हो गया है, बीजेपी कंट्रोल्ड जम्मू एंड कश्मीर। ये मैं नहीं कह रहा, ये सब सीएमआईई के आंकड़े हैं। अगर आप नीचे से देखोगे, जहाँ पर बेरोजगारी सबसे कम है, तो उसमें आप पाओगे, छत्तीसगढ़।

तो दूसरा हमारा स्पेसिफिक सवाल ये है कि बेरोजगारी के ऊपर आपकी क्या रणनीति है और विशेषकर जो शहरों में बेरोजगारी बढ़ रही है, उसका निदान, उसको कंट्रोल करने की क्या रणनीति है?

3. साथियों, 2022 के शुरुआत का अगस्त महीना भी खत्म हो गया, अब सिर्फ 4 महीने बचे हैं, 8 महीने हो गए, मोदी जी 5 ट्रिलियन इकॉनमी का वादा 2022 का कहाँ है? कम से कम नई डेट तो दे दो, सामने आकर कि अब नई डेट, 2022 की जगह क्या है? अब तो इस वायदे का नाम लेने वाला कोई नहीं है। मुझे याद है 2019 में बड़े-बड़े पैम्फ्लेट छपे थे और बड़े-बड़े होर्डिंग लगे थे, भारत की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन डॉलर की ओर, मगर वास्तविकता ये है कि 3 साल में 3 प्रतिशत की ग्रोथ। अगर इस गति से भी देखें, तो 2060 तक भी 5 ट्रिलियन डॉलर नहीं बन सकती। मोदी जी, नई डेट बताओ किसानों की आय डबल होने की, 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी होने की, नई डेट बताओ, देश के लोगों को पक्का मकान, जो आपने वादा किया था, 2022 तक मिल जाएगा, वो हर हिंदुस्तानी के पास पक्का मकान होगा, इन तीनों की नई डेट तो बता दो।

तो हमने तीन सवाल पूछे साथियों, कि क्या हिंदुस्तान के लोग 3 साल में 3 प्रतिशत की ग्रोथ डिजर्व करते हैं? क्या हमारे जो डेमोग्राफिक डिविडेंट थे, क्या उन डेमोग्राफिक डिविडेंट को आपने बेरोजगारी से डेमोग्राफी डिजास्टर में नहीं बदल दिया? हमने पूछा अनएम्प्लॉयमेंट को खत्म करने के लिए आपके पास क्या प्लान है? मोदी जी से पूछा ये सवाल, निर्मला जी से नहीं पूछा, क्योंकि वो तो रोजगार युक्त हैं, कह देंगी और तीसरा कि ये 5 ट्रिलियन डॉलर की इकॉनमी की नई डेट कौन सी है, वो देश के सामने रखें।

Prof. Gourav Vallabh said-

3% growth in 3 Years: The Modi Government’s Destruction of the Indian Economy

बनाकर अर्थव्यवस्था को लाचार, विपक्षी दलों की सरकारें reset करने में लगी मोदी सरकार

If there is one thing that you don’t need ‘Man ki Baat’ to tell you is the state of the Indian economy. Indian Rupee has fallen to 79.70 against the US dollar. The unemployment rate in August 2022, as per CMIE, is a whopping 8.28% highest in the last 1 year. Retail inflation continues to be above RBI’s tolerance band of 6%, sitting at 6.71% in July 2022.

It is evident now that the BJP government due to its inept handling of the economy, no focus, and cluelessness, is pushing the Indian growth story back. The Ministry of Statistics and Programme Implementation released the GDP numbers for Q1 FY 2022-23 on Wednesday this week. While the headline management machinery of the government may push specific data points, the truth lies once we dig deeper. A true understanding of our economic position can only be made once we compare it to pre-Covid levels.

• RBI, in its monetary policy meeting earlier this month, had projected the Indian economy to grow at 16% in Q1 2022-23, but the estimates put the growth at 13.5%

• Real GDP or Gross Domestic Product (GDP) at Constant (2011-12) Prices in Q1 2022-23 is estimated to attain a level of ₹ 36.85 lakh crore

• Estimates of Real GDP or Gross Domestic Product (GDP) at Constant (2011-12) Prices in Q1 2019-20 was ₹ 35.85 lakh crore

• Even if we consider the actual revised numbers of Q1 2019-20 to compare with estimates of Q1 2022-23, the country has seen ~4% growth in 3 years

• Industries such as Mining and Quarrying have contracted by 14% as compared to Q1 2019-20 whereas Manufacturing, a heavy employment generator, has grown at a snail’s pace of 7% in 3 years

Summarizing some of the key insights from the comparison of GDP estimates

Comparison of GDP Estimates

Q1 2022-23

Q1 2019-20

% Growth in 3 Years

Annual Growth

Real GDP (In Lakh Crores)

₹ 36.85

₹ 35.85

3%

1%

Mining & Quarrying(In Crores)

₹85,423

₹98,887

-14%

-5%

Manufacturing(In Crores)

₹6,05,104

₹5,68,104

7%

2%

Construction (In Crores)

₹2,62,918

₹2,81,262

-7%

-2%

These are highly worrying numbers, with prospects not looking very bright due to inaction by the Modi government. Even SBI had a downward growth forecast for FY23 from 7.5% to 6.8%. Other global banks and rating agencies have followed the same trend. The Indian economy needs a reset, as soon as possible due to changing global dynamics and India’s sluggish growth, but the finance minister didn’t blink an eye on these worrying data points. The government’s efforts are only directed towards re-set of opposition governments instead of chalking out a roadmap for the reset of the economy.

We have three questions for the Modi government, especially the Finance Minister:

1. What is the reason for the leisurely approach by the Modi government as far as the economy is concerned? Cluelessness or doesn’t fit in their priority?

2. What concrete measures is the government undertaking to generate employment opportunities for our youth when the urban unemployment rate rises to 9.6%? 

3. When does the government now expect India to become a USD 5 Trillion economy? Does it intend to go back on its promise like doubling farmers’ income by 2022, pucca houses to all eligible urban households by the year 2022

 So we want answers to this question from the Modi government. On the current states of affairs of economy on the constantly rising inflation in the economy and Congress Party is taking these issues on 4th September, because we are organizing one Halla Bol rally against the inflation at Ramlila Maidan in Delhi on September, 4.

So, we are going to constantly ask these questions. अगर आपको समझ में नहीं आ रहा, तो हम आपको सलाह भी देंगे, पर आपकी प्रायोरिटी पर तो लाइए। आपकी तो प्रायोरिटी ही नहीं है। मुझे लगता है देश के युवा तीन साल में तीन प्रतिशत की ग्रोथ डिजर्व नहीं करते। 3 साल में 3 प्रतिशत की ग्रोथ मीन्स 3 साल पहले अगर मेरी आय सालाना 10 लाख रुपए थी, तो तीन साल में अब मेरी आय 10,30,000 रुपए हो गई और पिछले 4-5 महीनों से लगातार महंगाई 7 प्रतिशत पर बनी हुई है। खाने-पीने की चीजों में महंगाई 14-15 प्रतिशत तक पहुंच गई है और हमें मिल रहा है, सालाना एक प्रतिशत का जीडीपी ग्रोथ। So we don’t deserve this kind of economy as well as the government.

On a question about the comparison of Indian economy with some countries, Prof Gourav Vallabh said- Which country we should compare? Does government wants that we should compare our self with Somalia? Is the government interested that we should compare our self with Pakistan? Is the government interested to compare our economy with Sri Lanka? I am sorry; we are not here to compare our economy with countries like Sri Lanka or Somalia or Afghanistan. If you want a comparison, compare it with the emerging economies, compare it with the economies like China, and compare it with the other developed economies. We don’t want our comparison with the economies which are having a constant down turn. We don’t want that thing.

तो आप कंपैरिजन ऐसे लोगों से करते हो, जिनकी इकॉनमी ध्वस्त हो चुकी है। I don’t like itself. मुझे इस बात से घृणा है कि कोई मेरे देश की अर्थव्यवस्था की तुलना श्री लंका से कर रहा है। अरे, श्री लंका की इकॉनमी तो खत्म हो गई, पर हमारी इकॉनमी है। जो हमने बनाई है, हमारे देश के लोगों ने बनाई है, हमारे युवाओं ने बनाई है, हमारे सर्विस सेक्टर ने बनाई है, हमारे किसानों ने बनाई है, हमारे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने बनाई है and what you are delivering to them- 3 per cent growth in 3 years; in other words, 1 per cent growth per year. Do we deserve that growth? Does our demographic dividend or the young people of our country deserve that growth that 3 per cent growth in 3 years?

So, I don’t want a comparison with government’s favorite countries like Pakistan. सरकार का फेवरिट जो देश है, वो पाकिस्तान है, पर अगर मैं अपना कंपैरिजन कराऊँगा, तो मैं डेवलप्ड इकॉनमीज़ से अपना कंपैरिजन कराऊँगा, मैं जर्मनी से अपना कंपैरिजन करूँगा, मैं स्वीडन से करूँगा, मैं फिनलैंड से करूँगा, मैं चीन से करूँगा, मैं यूनाईटेड स्टेट से करूंगा। मैं श्री लंका, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सोमालिया, इराक, इन देशों से मेरा कंपैरिजन नहीं करूँगा।

I am asking a very concrete question that in last 3 years in construction sector, there is a dip, and this is government data, there is a dip of 7 per cent in construction activity and construction is one of the most employment generating sectors of the economy. In the mining activity, there is a dip of 14 per cent. I am going to share this table with you. In manufacturing there is an increase in last 3 years of 7 per cent. Do we deserve a manufacturing growth of 2 per cent a year? क्या हमें वो ग्रोथ चाहिए थी? अरे वो मेक इन इंडिया के शेर कहाँ चले गए, जो मेक इन इंडिया का एक मैस्कट था? आप 2 प्रतिशत की ग्रोथ करके उस शेर का अपमान कर रहे हो? You are just insulting the lion?

So, if you want to compare, compare it with the emerging economies, with the developed economies. Don’t compare with the undeveloped economies. Don’t compare it with the gone economies of the world and say, we had done this, we had done this.

I am just asking a question on your behalf, if I am earning Rs. 1 lakh in the year 2019-20, 3 per cent growth means today I am earning Rs. 1,03,000. Do I deserve this? Mind it in last 3 years, the petrol prices had increased by 70 per cent, the diesel prices by 40 per cent, the LPG prices at double और आपने मेरे को कितनी ग्रोथ दी है- 1 प्रतिशत एक साल में। Do I deserve that? Do the middle income group families deserve that? Do the lower income group families deserve that? Farmer is earning Rs. 27 a day, by doing a farm activities और आपने कहा कि हमने उसे 3 प्रतिशत ग्रोथ दी। 3 प्रतिशत कितना हुआ 27 रुपए का- एक रुपया भी पूरा नहीं हुआ। it is not one rupee also full. Do the farmers of our country deserve that growth? That is a question which we are asking और आप बड़ी-बड़ी हैडलाइन कर दोगे कि 13.5 प्रतिशत ग्रोथ। अरे 13.5 प्रतिशत ग्रोथ इसलिए क्योंकि आपने पहले बिना सोचे-समझे तालाबंदी करने इकॉनमी का सत्यानाश कर दिया। So, you had a contraction in the economy. So because of contraction there is low base. Now you are generating numbers on low base that is not fair. If you want to compare the current state and size of the economy, compare it with the pre Covid level, compare it with the FY-2019-20.

So, if you compare the quarter 1 of FY-2019-20 with a quarter -1 of FY- 2022-23, there is a growth of 3 per cent or less than 3 per cent, I am generous to give 3 per cent, it is 2.8 per cent, but, I am just rounding of the number to 3  per cent. So do the young people of our country deserve 1 per cent growth? क्या हम ये डिजर्व करते हैं। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया भारत सरकार का जो पब्लिक सेक्टर बैंक है, उसने क्या कहा- ये जब डाटा आया जीडीपी का, कि जो 7.5 प्रतिशत हमें लगता था इंडियन इकॉनमी ग्रो करेगी, हम रिवाइज कर रहे हैं और इसको अब 6.8 प्रतिशत पर रख रहे हैं। क्वार्टर-1 के रिजल्ट आए हैं, आप 6.8 पर आ गए हो, और वो भी लो बेस पर। क्वार्टर -2 और 3 के आने के बाद आप कहाँ रहोगे? मैं बेरोजगारी पर जवाब नहीं दूँगा, क्योंकि मैं  बेरोजगार नहीं हूँ, This may be the expected response from the Hon’ble Finance Minister of our country, but, people of our country and especially, the youth of country deserve better answer, deserve better policies, deserve better strategies to tackle all these problems.

एक प्रश्न के उत्तर में प्रो गौरव वल्लभ ने कहा कि चुनावी जीत किसी भी पार्टी को जनता की जेब से पैसे लूटना का लाइसेंस नहीं देती। हमारे संविधान में बाबा साहेब के बनाए संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि आप चुनाव जीत जाओ तो आप बेरोजगारी को लगातार बढ़ाते रहो। ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि हरियाणा में आज बेरोजगारी 37 प्रतिशत पर है, can you imagine? 37 per cent is the unemployment rate in the state Haryana और वो वह जगह थी, जो देश का मैन्यूफेक्चरिंग औऱ सर्विस सेक्टर का हब था। तो क्या चुनावी जीत किसी भी पार्टी को बेरोजगारी बढ़ाने का लाइसेंस देती है, महंगाई को बढ़ाने का लाइसेंस देती है, जीडीपी विकास दर को 1 प्रतिशत प्रति वर्ष रहने का लाइसेंस देती है? हम भी चुनाव जीते थे, 2004 से 2014 तक देश की सेवा करने का देश के लोगों ने हमको भी मौका दिया था, पर एवरेज जीडीपी ग्रोथ रेट 7 प्रतिशत पर थी, जो आज एवरेज महंगाई दर हो चुकी है। जिस रेट पर हम ग्रो कर रहे थे, उस रेट पर मोदी सरकार महंगाई दे रही है और 1 प्रतिशत ग्रोथ दे रही है। So Chunavi Jeet is not a license to kill the economy. Chunavi Jeet is not a license to have a demonetization, to start GST without any proper preparation, to implement Talabandi and Lockdown without any proper preparation.

So, from Notebandi to Talabandi the economy had come down and I had compared that economy which had come down after Notebandi and flawed implementation of GST, from that economy also, we are growing at 1 per cent per year, 3 per cent in 3 years, is this the GDP growth we deserve?

कांग्रेस अध्यक्ष के सवाल को लेकर पूछे एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो वल्लभ ने कहा कि मैं परसों रांची गया था। वहाँ पर भी एक के बाद एक ये सुर उठ रहे थे कि सिर्फ और सिर्फ राहुल गांधी जी को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए। उन सुरों को भी तो कभी कभार सुन लिया कीजिए आप। देश के हर कोने से, हर कार्यकर्ता से अगर आप पूछो, एकांत में या पब्लिक में, चाय पीते हुए या भोजन करते हुए, वही यही कहेगा, उसकी अंतरात्मा यही कहेगी कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए हमारी इच्छा है कि श्री राहुल गांधी इस पद को संभालें। तो उन सुरों पर भी तो ध्यान दीजिए, बाकी कांग्रेस का जो इलेक्शन शेड्यूल है, हमने आपके सामने रख दिया है, वो शेड्यूल आपके सामने है और कांग्रेस के संविधान में जो भी व्यवस्थाएं हैं, मैं आपको पूरा विश्वास दिलाता हूँ, पूरी व्यवस्थाओं के अनुरूप चुनाव कराए जाएंगे नए अध्यक्ष के लिए, पर कार्यकर्ताओं का सिर्फ एक ही सुर है, और कोई सुर नहीं है और मैं भी उस सुर में अपना सुर मिला रहा हूँ, मिले मेरा सुर मेरे कार्यकर्ताओं के सुर के साथ और वो सुर ये है कि राहुल गांधी जी कांग्रेस की बागडोर संभालें।

इसी से संबंधित एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रो वल्लभ ने कहा कि ये सवाल आपने मेरे से नहीं पूछा था, एक बार किसी मित्र ने पूछा था और मैंने ये जवाब दिया था कि हमारे यहाँ ये पद्धति नहीं है कि डेढ़ जन मिलकर पाव आदमी को अपॉइंट करें। हमारे यहाँ ये पद्धति नहीं है कि डेढ़ लोग मिलकर एक पाव को अपॉइंट कर दें। हमारे यहाँ पूर्ण रुप से आंतरिक लोकतंत्र है और मैंने पहले भी कहा आज पुनः दोहराता हूँ कि कांग्रेस के प्रेसीडेंट का इलेक्शन शेड्यूल आपके सामने है। कांग्रेस का संविधान देश के सामने आज से नहीं वर्षों से है, उस संविधान के अनुरुप जो इलेक्शन शेड्यूल आपको बताया गया, उसके अनुरूप कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा और आप 2-3 सुर तो सुनते हो, पर 3 करोड़ दूसरे जो कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं, उनका सुर सुनते नहीं हो। तो 3 के साथ में उन 30 करोड़ लोगों का भी सुर सुनिए, जो ये कह रहे हैं कि राहुल गांधी जी कांग्रेस अध्यक्ष बनकर कांग्रेस की बागडोर संभालें, क्योंकि उनमें ही वह साहस है कि मोदी से पूछ सकें कि भारत मां की भूमि के अंदर चीन अतिक्रमण करके क्यों बैठा है? उनमें ही वह साहस है जो पूछ सकें कि इस महंगाई में रसोई गैस के जो सिलेंडर हैं, उसके दाम पिछले 8 साल में ढाई गुना क्यों हो गए हैं? उनमें ही वह साहस है कि पूछ सकें कि पेट्रोल और डीजल के दाम, अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें कम होने के बावजूद हमारे देश में डीजल के दाम 2014 की तुलना में 75 प्रतिशत ज्यादा और पेट्रोल के दाम 40 प्रतिशत ज्यादा क्यों हैं?उनमें ही वह साहस है कि पूछ सकें कि ऐसा कौन सा इकॉनमिक मॉडल है, जो ये कहता है कि आटे पर जीएसटी लगाने से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है? उनमें ही वह साहस है कि 3,700 किलोमीटर पैदल कन्याकुमारी से शुरु करके भारत को जोड़ने की यात्रा निकाल सकें, इसलिए हमारे सुर पर भी कभी ध्यान दे दिया कीजिए।

   Sd/-

Secretary

Communication Deptt.

AICC

Exit mobile version