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ट्रांसफर-पोस्टिंग तक नहीं कर सकते; फिर किस फॉर्मूले पर तैयार हुए डीके शिवकुमार?

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पिछले 4 दिनों से कर्नाटक के सीएम पद के लिए अड़े डीके शिवकुमार अब पिघल गए हैं। सिद्धारमैया को सीएम और डीके को डिप्टी सीएम बनाना तय हुआ है। राजनीतिक संतुलन के लिहाज से इस फैसले को भले ही मास्टरस्ट्रोक कहा जा रहा हो, लेकिन पावर बैलेंसिंग में CM के सामने डिप्टी CM कहीं नहीं ठहरता।

डिप्टी CM पद होता क्या है? पहले डिप्टी CM कौन थे और डिप्टी CM के अधिकार, सैलरी और भत्ते क्या होते हैं…

किस्सा देश के पहले डिप्टी सीएम का
बात 1 अक्टूबर 1953 की है। तब की मद्रास प्रेसिडेंसी से तेलुगु भाषी इलाकों को काटकर आंध्र स्टेट बनाया गया। टी. प्रकाशम इस नए राज्य के पहले CM बने। उन्होंने नीलम संजीव रेड्डी को अपना डिप्टी CM बनाया। देश में डिप्टी CM बनाने का ये पहला मामला था।

आंध्र प्रदेश बना तो रेड्डी ने नहीं बनाया डिप्टी CM
1 नवंबर 1956 को हैदराबाद के एक बड़े हिस्से और आंध्र राज्य को मिलाकर नया राज्य आंध्र प्रदेश बना, CM बने नीलम संजीव रेड्डी। रेड्डी ने अपनी शपथ से ऐन पहले डिप्टी CM बनाने से इनकार कर दिया। वो बोले-डिप्टी CM का पद एकदम गैरजरूरी पोस्ट है। तब रेड्डी ने अपने अनुभव के आधार पर यह कमेंट किया था, लेकिन आज भी यही सच है।

1956 में देश के पहले डिप्टी CM आंध्र स्टेट में नीलम संजीव रेड्डी बने थे। बाद में वे आंध्र प्रदेश के CM और देश के राष्ट्रपति भी बने।

संविधान में तो डिप्टी CM जैसी कोई पोस्ट ही नहीं
हमारे संविधान में डिप्टी CM जैसी किसी पोस्ट की व्यवस्था नहीं है। वो शपथ भी राज्य के मंत्री के रूप में लेता है। संविधान का अनुच्छेद-164 CM और उनके मंत्रियों की नियुक्ति की बात करता है, लेकिन उसमें डिप्टी CM जैसे पद का जिक्र नहीं है।

कोई डिप्टी CM कितना ताकतवर होगा, यह उसे दिए गए विभागों से तय होता है। हां, इतना जरूर है कि वह कैबिनेट मिनिस्टर होता है, इसलिए कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा लेता है। हालांकि अगर सरकार बनाने के समय तय फॉर्मूले में काम का बंटवारा तय होता है तो डिप्टी सीएम के पास अधिकार होते हैं। जैसे- कई राज्यों में गृह मंत्रालय डिप्टी सीएम को दे दिया जाता है। इसी तरह ट्रांसफर और पोस्टिंग की जिम्मेदारी भी कई बार डिप्टी सीएम को दे दी जाती है।

कर्नाटक में सरकार बनाने के फॉर्मूले में डीके को साफ बताया गया है कि कर्नाटक में कोई भी डिसीजन उनकी सहमति के बिना नहीं लिया जाएगा। सिद्धारमैया को भले ही सीएम बनाया जा रहा है, लेकिन उन्हें हर निर्णय में डिप्टी सीएम से सहमति लेनी ही होगी।

10 पॉइंट्स में जानिए डिप्टी सीएम के अधिकार…

1. डिप्टी CM उतना ही ताकतवर होता है, जितने ताकतवर डिपार्टमेंट उसे CM सौंपता है।

2. आमतौर पर CM होम और विजिलेंस जैसे खास डिपार्टमेंट अपने पास ही रखते हैं।

3. होम डिपार्टमेंट के जरिए CM राज्य की पुलिस और कानून व्यवस्था के मामले और विजिलेंस के जरिए भ्रष्टाचार के मामलों को सीधे अपने काबू में रखते हैं।

4. राज्य में क्लास वन अफसरों की ट्रांसफर और पोस्टिंग का एकमात्र अधिकार मुख्यमंत्री का होता है। इस मामले में डिप्टी CM का कोई अधिकार नहीं है।

5. डिप्टी CM को सरकार के कैबिनेट स्तर के बाकी मंत्रियों के बराबर तनख्वाह और भत्ते मिलते हैं।

6. प्रशासनिक मामलों में भी डिप्टी CM के पास CM को मार्क की गई फाइलों को देखने का अधिकार नहीं होता।

7. सच तो यह है कि डिप्टी CM को भी बाकी मंत्रियों की तरह उसके दिए गए विभागों से जुड़ी फाइलों को पास कराने के लिए CM को भेजनी होती हैं।

8. डिप्टी CM कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता नहीं कर सकता है। डिप्टी CM किसी विशेष परिस्थिति में सीएम के लिखित निर्देश पर ही कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता कर सकता है। CM ऐसा निर्देश किसी दूसरे मंत्री के लिए भी दे सकता है।

9. डिप्टी CM अपने डिपार्टमेंट्स के अलावा दूसरे डिपार्टमेंट्स को कोई निर्देश नहीं दे सकता है।

10. दूसरे मंत्रियों की तरह डिप्टी CM को भी अपने डिपार्टमेंट में बजट से ज्यादा खर्च के लिए CM की अनुमति लेनी होती है।

पॉलिटिकल बैलेंसिंग का एक अहम टूल बना डिप्टी CM
सबसे बड़ा सवाल है कि जब संविधान में डिप्टी CM जैसी कोई पोस्ट नहीं है तो फिर इस पद को पार्टियां आज के समय में रेवड़ियों की तरह क्यों बांटती हैं।

इसे दो उदाहरण से समझ सकते हैं। जब कोई सिंगल पार्टी सरकार बनाती है तो वह अलग-अलग जातियों और क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देने के नाम पर उस जाति या क्षेत्र के नेता को डिप्टी CM बनाती है।

वहीं, जब किसी राज्य में गठबंधन की सरकार बनती है तो दूसरे प्रमुख सहयोगी दलों को बराबर का प्रतिनिधित्व देने के नाम पर उस दल के बड़े नेता को डिप्टी CM बनाया जाता है। आज के वक्त में डिप्टी CM पॉलिटिकल बैलेंसिंग का एक अहम टूल बन गया है। यानी यह पद सिर्फ राजनैतिक जरूरतों को पूरा करता है।

देश के 10 राज्यों में 17 डिप्टी सीएम, हर एक के पीछे राजनीतिक वजह
देश में इस समय 10 राज्यों में कुल मिलाकर 17 डिप्टी CM हैं। आंध्र प्रदेश में 5 डिप्टी CM हैं, जबकि उत्तर प्रदेश में 2 और बिहार में 1 डिप्टी CM हैं। सुशील मोदी के नाम पर सबसे लंबे समय तक डिप्टी CM रहने का रिकॉर्ड है, वो 11 वर्षों तक बिहार के डिप्टी CM रहे।

देखा जाए तो हर डिप्टी CM की नियुक्ति के पीछे एक राजनीतिक वजह है। हम देश के कुछ प्रमुख राज्यों के दिलचस्प उदाहरण से डिप्टी सीएम बनाए जाने की राजनीतिक वजहों को बताएंगे…

आंध्र प्रदेश : 5 क्षेत्रों को साधने के लिए 5 डिप्टी CM

आंध्र प्रदेश में देश में सर्वाधिक 5 डिप्टी CM हैं। इनकी नियुक्ति का मकसद आंध्र प्रदेश के 5 प्रमुख क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देना है। इसी वजह से आंध्र प्रदेश के CM वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने आंध्र प्रदेश की 5 राजधानियां बनाने की भी कोशिश की थी।

उत्तर प्रदेश : 2 प्रमुख जातियों को साधने के लिए 2 डिप्टी CM

यूपी में मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने जातीय समीकरण साधने के लिए 2 डिप्टी CM बनाए थे। डिप्टी CM केशव प्रसाद मौर्य OBC से आते हैं, जबकि डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ब्राह्मण हैं।

उत्तर प्रदेश में दो डिप्टी सीएम-केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक हैं। इन दोनों की नियुक्ति के राजनीतिक मायने हैं। दरअसल, केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ी जाति से आते हैं, जबकि ब्रजेश पाठक ब्राह्मण हैं।

केशव प्रसाद मौर्य यूपी में बीजेपी का OBC चेहरा हैं। यूपी में OBC की आबादी 43.13% है। यही वजह है कि विधानसभा चुनाव 2022 में हार के बावजूद केशव प्रसाद मौर्य को योगी सरकार में फिर से डिप्टी CM बनाया गया।

वहीं दूसरे डिप्टी CM ब्रजेश पाठक ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। दरअसल, यूपी में ब्राह्मण वोटर्स करीब 10% हैं और वे राज्य की करीब 115 सीटों के भाग्य का फैसला करते हैं।

महाराष्ट्र : सरकार में भागीदारी और पकड़ के लिए फडणवीस बने डिप्टी CM

महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे को सीएम के रूप में समर्थन देते हुए बीजेपी ने देवेंद्र फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया है। माना जा रहा है कि बीजेपी ने फडणवीस को डिप्टी CM अप्रत्यक्ष रूप से शिंदे सरकार पर मजबूत पकड़ के लिए बनाया है।

इससे बीजेपी ब्यूरोकेसी पर नियंत्रण के साथ ही सरकार की प्रमुख योजनाओं में अपनी रायशुमारी भी बेहतर तरीके से कर पाएगी। साथ ही फडणवीस को डिप्टी CM बनाकर बीजेपी ने सरकार में भागीदारी करते हुए पार्टी के विधायकों को भी खुश रखा है।

बिहार : साथी दल को रिप्रेजेंटेशन देने के लिए तेजस्वी को डिप्टी CM

बिहार में डिप्टी CM- तेजस्वी यादव हैं और ये राष्ट्रीय जनता दल यानी राजद से आते हैं। नीतीश सरकार में पहले भी बीजेपी के नेता डिप्टी सीएम रहे थे। माना जाता है कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी जदयू के साथ गठबंधन करने वाले दल को डिप्टी CM पद देते रहे हैं। सुशील कुमार मोदी तो 11 साल डिप्टी CM रहे और एक समय ‘नीतीश कुमार और सुशील मोदी’ की जोड़ी राम-लक्ष्मण की जोड़ी के रूप में चर्चित रही थी।

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