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मप्र मेडिकल साईंस युनिवर्सिटी में 1 अरब 20 करोड़ की एफडी का मामला सुर्खियों में

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सीएस ने पीएस हैल्थ एज्युकेशन से 15 दिनों में रिपोर्ट की तलब
जबलपुर। मप्र मेडिकल साईंस युनिवर्सिटी (एमपीएमएसयू) में 1 अरब 20 करोड़ की एफडी का मामला सुर्खियों में आने के बाद प्रदेश के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जल्द से जल्द जांच और कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मप्र शासन की मुख्य सचिव (सीएस) श्रीमति वीरा राणा ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव (पीएस) मोहम्मद सुलेमान को पत्र जारी कर 15 दिनों के भीतर मामले में जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। एक तरफ जहां प्रदेश के शीर्ष प्रशासनिक अफसर मामले की तह तक जाकर आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने पूरा जोर लगा रहे हैं वहीं इस बड़ी आर्थिक अनियमितता के मामले में एमपीएमएसयू प्रबंधन के जिन शीर्ष अधिकारियों का नाम आ रहा है वह तिकड़ी इतनी निश्चिंत बैठी है मानों उन्हें किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई का भय न हो। एमपीएमएसयू सूत्रों की मानें तो इस कुख्यात तिकड़ी ने हाल ही में बैठक की, जिसमें तिकड़ी के सरगना ने एक अधीनस्थ और एक पूर्व में अधीनस्थ रहे अधिकारी को सांत्वना देते हुए कहा कि फंसते वो लोग हैं जो 10-20 करोड़ जैसी छोटी राशि की गड़बड़ी करते हैं हमने 1 अरब 20 करोड़ की गड़बड़ी की है इसलिए डरो मत। उन्होंने कहा कि जैसे अब तक ईओडब्ल्यु जांच और अन्य मामलों से सभी को अपने विशेषाधिकार का प्रयोग कर बचाते आए हैं वैसे ही आगे भी बचाएंगे। कोई जांच उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकती फिर चाहे जांच संस्कारधानी से हो या राजधानी से। सूत्रों की माने तो तिकड़ी सरगना की इस बात से पूरी तरह से किसी भी जांच और कार्रवाई की बात से निश्चिंत होकर बैठ गई हैं।

-वीसी ने एफसी ही नहीं रजिस्ट्रार को भी बचाया
एमपीएमएसयु के 1 अरब 20 करोड़ की एफडी मामले कुलपति(वीसी) डॉ. अशोक खंडेलवाल ने मामले में गलती को माफीनामा लिखकर स्वीकार करने वाले फायनेंस कंट्रोलर (एफसी) रविशंकर डेकाटे का ही नहीं किया कुलसचिव (रजिस्ट्रार) डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल का भी पूरी तरह बचाव किया। शासन स्तर पर ईओडब्ल्यु को मिली शिकायतों के बाद जब चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त द्वारा जांच गठित की गई तो वीसी ने एमपीएमएसयू के नियम परिनियमों का हवाला देकर न सिर्फ जांच में अड़ंगा लगाया बल्कि उल्टे उनसे ही जवाब तलब किया कि आखिर किस अधिकार से उन्होंने जांच की। यही नहीं मामले में जांच समाप्त करने की भी बात वीसी द्वारा प्रेषित पत्र में कही गई। विगत वर्ष 8 नवंबर 2023 को आयुक्त चिकित्सा शिक्षा द्वारा पीएस चिकित्सा शिक्षा को प्रेषित पत्र इस बात की बानगी दे रहा हैं।

-ईओडब्ल्यु को मिली थी 5 गंभीर शिकायतें
हुआ यह कि तत्कालीन डिप्टी रजिस्ट्रार और वर्तमान में रजिस्ट्रार पुष्पराज सिंह बघेल के खिलाफ मप्र छात्र संगठन के अभिषेक पाण्डे, आरटीआई एक्टिविस्ट एस के सीतलवाड़ एवं एस के मालवीय, आरटीआई कार्यकर्ता एस के भलावी द्वारा 5 शिकायतें आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यु) को सौंपी थी। जिन पर रजिस्ट्रार डॉ. बघेल के खिलाफ ईओडब्ल्यु से शासन स्तर पर शिकायतें चिकित्सा शिक्षा संचालनालय को प्राप्त हुईं। इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त ने विभाग के पीएस को प्रेषित पत्र में कहा कि चिकित्सा शिक्षा विभाग के 4 मई 2023 को प्रेषित पत्र आयुक्त चिकित्सा शिक्षा से जांच अधिकारी नियुक्त कर जांच कराने के निर्देश प्राप्त हुए। उक्त निर्देशों के अनुक्रम में संचालनालय के 23 अगस्त 2023 को प्राप्त आदेश क्रमांक 1556/सतर्कता/5/2023 द्वारा जांच समिति गठित की। जांच समिति द्वारा जांच प्रारंभ कर 6 अक्टूबर 2023 को रजिस्ट्रार डॉ. बघेल को अपना पक्ष रखने के लिए मय दस्तावेज 3 अक्टूबर एवं 10 अक्टूबर 2023 को संचालनालय, चिकित्सा शिक्षा में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए। सूत्रों के अनुसार इसी दौरान वीसी डॉ. खंडेलवाल न सिर्फ जांच में अड़ंगा डाल कर अपने चहेते रजिस्ट्रार को बचाया बल्कि जांच समाप्त करने की भी वकालत की। बताते हैं इस पत्र के जवाब में वीसी डॉ. खंडेलवाल ने 6 अक्टूबर 2023 को पीएस चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान को एक अर्ध शासकीय पत्र क्रमांक 102 लिखकर कहा कि एमपीएमएसयू, मप्र आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2011 से प्रशासित स्वायत्त निकाय है जिसके तहत आपात उपबंधों को छोड़कर शेष परिस्थितियों में विश्वविद्यालय के समस्त क्रियाकलापों एवं प्रशासन हेतु समस्त शक्तियां कार्यपरिषद तथा कुलपति में निहित हैं तथा कुलाधिपति (राज्यपाल) इसके सर्वोच्च प्रधान हैं। इस अधिनियम में सृजित विभिन्न परिनियमों का हवाला देते हुए वीसी एमपीएमएसयू में पदस्थ अधिकारियों कर्मचारियों की शर्ते एवं नियंत्रण तथा जांच इत्यादि प्रावधान एवं अधिकार वर्णित हैं। वीसी ने कहा कि संचालनक चिकित्सा शिक्षा जो एमपीएमएसयू के कार्यपरिषद सदस्य भी है, उनके द्वारा ईओडब्ल्यू से प्राप्त प्रकरणों में एमपीएमएसयू से प्रतिवेदन प्राप्त किए बगैर स्वयं की अध्यक्षता में जांच समिति गठित कर एमपीएमएसयू के अधिकारी को स्वयं के समक्ष उपस्थित होने के लिए निर्देश दिए गए हैं जो विश्वविद्यालय अधिनियम तथा परिनियमों में दिए गए प्रावधानों के विपरीत हैं। यही नहीं वीसी ने मप्र शासन के चिकित्सा शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव से अनुरोध किया कि संचालनालय चिकित्सा शिक्षा विभाग को निर्देशित करें कि विश्वविद्यालय संंबंधी प्रकरणों में अग्रिम कार्रवाई/जांच/प्रतिवेदन के लिए संचालनालय को प्राप्त समस्त प्रकरण एमपीएमएसयू को अग्रेषित किए जाएं। वीसी से प्राप्त इस अर्ध शासकीय पत्र में दिए गए अभिमत के अनुसार संचालनालय स्तर पर जांच समाप्त करने के संबंध में शासन स्तर से निर्णय लेकर एमपीएमएसयू को अवगत कराने की बात भी बात कही गई।

-वीसी ने अधिकारियों को अंधेरे में रखा या सब था सुनियोजित!


सूत्रों के मुताबिक एमपीएमएसयू के वीसी डॉ. खंडेलवाल 6 अक्टूबर 2023 को पीएस चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान जो पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कार्यपरिषद का जिक्र तो किया लेकिन 28 मार्च 2023 की बैठक का जिक्र जानबूझकर न करते हुए उन्हें अंधेरे में रखा, या फिर ये भी संभव हैं कि एफसी और रजिस्ट्रार को बचाने के लिए सभी जांच और शासकीय, अर्धशासकीय पत्र पूर्वनियोजित थे। ज्ञात हो कि इस कार्यपरिषद की इस बैठक में जहाँ एमपीएमएसयू के वित्त नियंत्रक (एफसी) रविशंकर डेकाटे विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में जबकि कुलसचिव (रजिस्ट्रार) डॉ. पुष्पराज सिंह बघेल ही नहीं संचालक चिकित्सा शिक्षा के प्रतिनिधि के रूप में डॉ. परवेज अहमद सिद्दिकी भी बैठक में शामिल हुए थे। इस बैठक के मिनिट्स के अनुसार 7 वे बिंदू में कहा गया कि समय पर एवं उचित दरों/उचित स्थान पर एफडीआर न होने के कारण एमपीएमएसयू को वार्षिक ऑडिट एवं रीकंसाइलेशन न होने से वित्तीय हानि हुई हैं। इस संबंध में कार्यपरिषद सदस्यों द्वारा बहुमत से वीसी से विश्वविद्यालय के नियम/परिनियम के अनुसार कार्रवाई की अनुशंसा की गई। कार्यपरिषद सदस्य डॉ सुनील राठौड़ एवं डॉ पवन स्थापक द्वारा ईओडब्लयु को नियमानुसार प्रकरण देने एवं जांच में दोषी पाए जाने पर संंबंधित अधिकारी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की वीसी से अनुशंसा की। जिन्हें, वीसी ने आवश्यक कार्रवाई करने की प्रक्रिया प्रारंभ करने का झुनझुना थमा कर टाल दिया।पहले स्थानीय निधि संपरीक्षा की रिपोर्ट को, फिर प्रदर्शन करियों, आरटीआई एक्टिविस्टो, कार्य परिषद सदस्यों को ही नहीं प्रदेश शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग के आयुक्त को भी एमपीएमएसयू प्रबंधन ने हल्के में लिया। पूरे घटनाक्रम की क्रोनोलॉजी देख कर ऐसा प्रतीत होता है की या तो आर्थिक अपराध को सभी ने अनदेखा किया या फिर 1 अरब 20 करोड़ की होली नीचे से ऊपर तक तिलक चंदन कर खेली गई।

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