मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने 27 अगस्त 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सम्बोधित करते हुए एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने मध्य प्रदेश में ऑर्गेनिक कॉटन घोटाले की जांच कराने का आग्रह किया था। जिसका जवाब उन्हें केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने दिया है। उन्होंने जवाबी पत्र में कहा कि जैविक कपास प्रमाणीकरण में गंभीर उल्लंघन पर कार्रवाई जारी है। मध्यप्रदेश में जैविक कपास घोटाले पर प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को जवाब आया है। देश के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जवाबी पत्र में कहा है जैविक कपास प्रमाणीकरण में गंभीर उल्लंघन पर कार्रवाई जारी है।
ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह
दिग्विजय सिंह नेप्रधानमंत्री को लिखा था कि मध्य प्रदेश के निमाड़ अंचल में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाए गए हैं और इन समूहों में ऐसे गांवों के किसानों के नाम भी शामिल किए गए हैं जो न तो ऑर्गेनिक कॉटन का और न ही साधारण बीटी कॉटन का उत्पादन करते हैं। साथ ही पूर्व सीएम ने लिखा था कि कंट्रोल यूनियन नामक सर्टिफिकेशन बॉडी द्वारा बगैर भौतिक सत्यापन के एपिडा और व्यापारियों की मिलीभगत से ऑर्गेनिक उत्पादन के सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। उन्होंने आग्रह किया था कि प्रधानमंत्री जी इस मामले की जांच कराएं और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करें।
देश भर में फैंली हैं इसकी जड़ें
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्पष्ट तौर से आग्रह किया था कि यह घोटाला भले ही मध्य प्रदेश से उजागर हुआ हो, लेकिन इसकी जड़ें पूरे देश में फैली हुई हैं। प्रधानमंत्री जी देश भर में ऑर्गेनिक उत्पादों को प्रमाणपत्र देने का काम कर रही सभी सर्टिफिकेशन बॉडीज द्वारा जारी सर्टिफिकेट की निष्पक्ष जांच करवाएं।
मामले में की गई कार्रवाई
दिग्विजय सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे गए उक्त पत्र के जवाब में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जवाबी पत्र में कहा है कि जैविक कपास प्रमाणीकरण में अनियमितता के मामले में कार्रवाई की गई है। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि इस सम्बन्ध में जुलाई और अगस्त 2024 में जांच की गई और राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) विनियमन के प्रमाणन प्रक्रिया में गंभीर उल्लंघन पाया गया।
निकाय को एक वर्ष के लिए किया निलंबित
केंद्रीय मंत्री गोयल ने कहा है कि एक प्रमाणन निकाय को एक वर्ष की अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया है और कुछ अन्य प्रमाणन निकायों पर कार्यवाही जारी है। उन्होंने कहा है कि संबंधित उत्पादक समूह को एनपीओपी के तहत पंजीकरण से रद्द कर दिया गया है। पियूष गोयल ने कहा है कि इस मामले को इंदौर के पुलिस आयुक्त और धार, मध्य प्रदेश के पुलिस अधीक्षक के समक्ष भी उठाया गया है और मामले का संज्ञान लेने और कानून के अनुसार प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है। साथ ही उन्होंने कहा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय इस मामले पर उचित कार्रवाई जारी रखेगा।
किसानों की तरफ से उत्पादित आर्गेनिक कॉटन का प्रमाणीकरण सरकारी एजेंसी APEDA द्वारा अधिकृत सर्टिफिकेशन बॉडी (CB) द्वारा किया जाता है। देश में ऐसी अनेक सर्टिफिकेशन बॉडीज है जो ऑर्गेनिक उत्पादों को प्रमाणित करती है। मध्यप्रदेश में कंट्रोल यूनियन नाम की एक सर्टिफिकेशन बॉडी को APEDA द्वारा अधिकृत किया गया है। मेरी जानकारी में यह नही है कि इसके अलावा और कितनी सर्टिफिकेशन बॉडीस मध्यप्रदेश और देश में काम कर रही है।
ऑर्गेनिक उत्पाद के उत्पादकों के लिए गाइडलाइन के अध्याय 5 के पैरा (5.1), (5.2) एवं (5.3) में आई.सी.एस. (Internal Control System) बनाने का प्रावधान है। इसी के तहत ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के समूह का गठन किया जाता है। इन समूहों में न्यूनतम 25 और अधिकतम 500 किसान हो सकते है।
सरकारी वेबसाइट investindia.gov.in पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत सरकार द्वारा ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिये किसान को प्रति हेक्टेयर तीन वर्षों के लिए रू. 50,000 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। 16 नवंबर 2022 को PKVY के तहत, 32,384 क्लस्टर्स, कुल 6.4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र और 16.1 लाख किसानों को शामिल किया गया है। वर्ष 2022-23 तक योजना के तहत रू. 1854.01 करोड़ की राशि जारी की गई है।
मध्यप्रदेश के निमाड़ अंचल में ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के फर्जी समूह बनाए गए हैं। इन समूहों में ऐसे गांवों के किसानों के नाम भी शामिल किए गए है जो न तो ऑर्गेनिक कॉटन का और न ही या साधारण बी.टी. कॉटन का उत्पादन करते हैं और न पहले कभी उन्होंने किया है। धार जिले के भीलकुंडा और उसके आसपास के गांवों के किसान इसके ज्वलंत उदाहरण है।
ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादकों के समूह में इस गांव और इसके आसपास के अनेक किसानों के नाम फर्जी तरीके से शामिल किए गए हैं और उन्हें ऑर्गेनिक कॉटन उत्पादक बताकर उनसे कॉटन क्रय करना, दर्शाया गया है। कंट्रोल यूनियन नाम की सर्टिफिकेशन बॉडी द्वारा बगैर भौतिक सत्यापन के एपिडा और व्यापारियों की मिलीभगत से ऑर्गेनिक उत्पादन के सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं, जिसका खुलासा एक व्हिसल ब्लोअर द्वारा आयुक्त, वाणिज्यिक कर इंदौर को की गई शिकायत से होता है। इस शिकायत में करोड़ों रुपए की जीएसटी चोरी की बातें भी सामने आई है।
विदेशों में सप्लाई की गई
व्यापारियों द्वारा साधारण बीटी कॉटन को बाहर से खरीदकर फर्जी तरीके से किसानों द्वारा उत्पादित ऑर्गेनिक कॉटन बताकर कंट्रोल यूनियन नामक सर्टिफिकेशन बॉडी से सर्टिफिकेट प्राप्त किया जा रहा है। उस कॉटन का विदेशों में निर्यात जा रहा है। ऐसी स्थिति में प्रश्न यह भी उठता है कि जिन किसानों द्वारा जैविक कपास का उत्पादन ही नहीं किया जा रहा है, उन्हें सरकारी योजना PKVY के तहत जैविक उत्पादन पर मिलने वाली सहायता कौन ले रहा है और यह कितना बड़ा भ्रष्टाचार है?
निष्पक्ष जांच की मांग
दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह घोटाला भले ही मध्यप्रदेश से उजागर हुआ हो लेकिन ऐसा लगता है कि इसकी जड़ें पूरे देश में फैली हुई है। वर्तमान में देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान है जो मध्यप्रदेश के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे है। यह मामला मध्यप्रदेश से ही उजागर हुआ है इसलिए कृषि मंत्री और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते इस मामले की जांच कराने का सरकार का दायित्व और अधिक बढ़ जाता है।