केंद्र सरकार बासमती चावल के न्यूनतम निर्यात शुल्क (एमईपी) को कम करने पर विचार कर रही है. इसके लिए कई राउण्डस की बातचीत भी हो चुकी है. सरकार को उम्मीद है कि एमईपी में कटौती से भारतीय बासमती चावल की प्रतिस्पर्धा वैश्विक बाजार में बढ़ेगी और निर्यात में तेजी आएगी.
वर्तमान में बासमती चावल का एमईपी 950 डॉलर प्रति टन है जबकि कई किस्मों की कीमतें एमईपी से कम हो गई हैं, जिससे व्यापारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है.
मंडी में गिरावट और उत्पादन में बढ़ोतरी
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बासमती चावल के निर्यात में गिरावट आई है, जिससे इसका स्टॉक बढ़ गया है और मंडी में रेट गिर गए हैं. 1509 बासमती धान का मंडी रेट 2500 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि पिछले साल यह 3000 रुपये प्रति क्विंटल था. इसके अलावा, पूसा 1121 की नई उपज के आने की संभावना है, जिससे इसकी कीमतें पिछले साल के स्तर से नीचे गिर सकती हैं. इस साल पंजाब में बासमती धान के रकबे में 12 फीसदी की वृद्धि हुई है, जिससे उत्पादन 70 लाख टन से 10 फीसदी अधिक होने का अनुमान है.
एमईपी में कटौती का प्रभाव
पिछले साल अक्टूबर में एमईपी को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन किया गया था. निर्यातकों का कहना है कि अधिक एमईपी घरेलू कीमतों के लिए नुकसानदेह हो सकता है, जिससे बासमती चावल की कीमतों में गिरावट आ सकती है. पिछले साल 70 लाख टन बासमती चावल में से केवल 20 लाख टन घरेलू स्तर पर खपत हुई थी, जिससे कीमतों में और बढ़ोतरी हो रही है
.निर्यात में 15 फीसदी वृद्धि
चमन लाल सेतिया एक्सपोर्ट्स के प्रबंध निदेशक विजय सेतिया ने बताया कि पिछले साल 5.83 बिलियन डॉलर मूल्य के 50 लाख टन से अधिक सुगंधित चावल का निर्यात किया गया. 2024-25 की अप्रैल-मई अवधि के दौरान 9 लाख टन से अधिक बासमती चावल का निर्यात हुआ, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 15 फीसदी अधिक है.
भारत की बासमती चावल की खेती प्रमुख रूप से पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर तथा उत्तराखंड के 70 से अधिक जिलों में होती है. भारत की वैश्विक सुगंधित चावल बाजार में 75 से 80 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि पाकिस्तान की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत है.