इंदौर
शहर में पुलिस कमिश्नरी के सामने आठ बड़ी चुनौतियां है। सेवानिवृत्त अफसरों व विशेषज्ञों से इस बारे में पड़ताल कराई तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आईं। सबसे बड़ी आंकड़ों की बाजीगरी। हद यह है कि रोज 4-5 चेन स्नेचिंग के मामले आते हैं, लेकिन रिकॉर्ड में 3 साल में सिर्फ 65 मामले दर्ज हैं। 70% अमले को साइबर क्राइम हैंडल करना नहीं आते।
विशेष रिपोर्ट- चेन स्नेचिंग के रोज 4-5 केस, रिकॉर्ड में तीन साल में सिर्फ 65 दर्ज
- चेन लूट- 25 हजार से ज्यादा चेन स्नेचर तो पुलिस रिकॉर्ड में है। फिर भी चेन स्नेचिंग के तीन साल में सिर्फ 65 केस दर्ज किए।
- वाहन चोरी- 3 साल में 9 हजार 250 से ज्यादा वाहन चोरी के केस दर्ज हुए। 3 हजार से ज्यादा आवेदन में ही अटके हैं।
- आउटर सुरक्षा- 250 कॉलोनियां बाहरी क्षेत्र में हैं। बीट के जवानों पर 18 कॉलोनियों का भार है। 3 साल में 1805 घरों में सेंध लगी।
- साइबर क्राइम- 70% बल साइबर अपराध से परिचित नहीं। 2 लाख तक की ठगी के शिकार थानों के चक्कर लगाते रहते हैं।
- ड्रग्स- ड्रग्स रैकेट तेजी से पकड़ बना रहे। मुंबई-दिल्ली में सक्रिय नाइजीरियन ड्रग्स तस्करों के एजेंट इंदौर को टारगेट किए हुए हैं।
- देह व्यापार- मुंबई व सूरत के रास्ते 10 हजार से ज्यादा युवतियों को अवैध तरीके से बॉर्डर पार कराकर मप्र ला चुके हैं।
- जमीन घोटाले- 50% थाना क्षेत्रों में अवैध कॉलोनियां हैं। इनमें भूमाफिया फर्जी नोटरी, दस्तावेजों से लोगों को ठग रहे हैं।
- बदहाल ट्रैफिक- 35 लाख आबादी व 22 लाख वाहनों के लिए कम से कम 10 ट्रैफिक थाने शहर को चाहिए, लेकिन सिर्फ दो थाने हैं।