एस पी मित्तल,अजमेर
होली पर्व के मौके पर 7 व 8 मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने गृह जिले जोधपुर में रहे। इस दौरान गहलोत ने बहुचर्चित संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के पीड़ितों से मुलाकात की। महिला और पुरुष पीड़ितों ने अपनी व्यथा सीएम को सुनाई। सीएम ने पीड़ितों की व्यथा का वीडियो अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया। इन वीडियोज़ को पोस्ट करने का मकसद केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत पर आरोप लगवाना है। पीड़ितों को सीएम की ओर से न्याय दिलाने का भरोसा भी दिलाया जा रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं की संजीवनी सोसायटी में लाखों निवेशकां का करोड़ों रुपया डूबा है। लेकिन सवाल उठता है कि इस घोटाले में केंद्रीय मंत्री शेखावत की कितनी भूमिका है। सीएम गहलोत का आरोप है कि संजीवनी घोटाले में शेखावत के साथ साथ उनकी पत्नी और माताजी की भी भूमिका रही है। यह बात अलग है कि अब तक जांच में शेखावत और उनके परिवार के किसी भी सदस्य का आरोपी नहीं माना गया है। यही वजह है कि विगत दिनों शेखावत ने दिल्ली की एक अदालत में सीएम गहलोत के विरुद्ध मानहानि करने का मुकदमा दायर किया है। इस मुकदमे में शेखावत के बयान दर्ज हो चुके हैं और अब अदालत की ओर से सीएम गहलोत को समन जारी हो सकते हैं। जानकारों की माने तो गहलोत ने शेखावत की माताजी और पत्नी पर जो आरोप लगाए हैं, उन्हें अदालत में साबित करना आसान नहीं होगा। यही वजह है कि अब गहलोत ने शेखावत के खिलाफ पीड़ितों को मैदान में उतार दिया है। लेकिन क्या पीड़ितों के कथन से गहलोत के आरोप सही साबित हो जाएंगे? गहलोत ने जो आरोप लगाए हैं वो उन्हीं को साबित करने हैं। गहलोत ने पीड़ितों के वीडियो जिस तरह पोस्ट किए हैं उससे प्रतीत होता है कि उन्होंने शेखावत पर आरोप लगाने में जल्दबाजी कर दी। यदि शेखावत किसी भी जांच रिपोर्ट में आरोपी होते तो गहलोत को अब पीड़ितों के वीडियो अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट करने की जरुरत नहीं होती। सीएम गहलोत की मौजूदगी में पीडि़तों ने कैमरों के सामने जो बात कही, उसमें शेखावत की ओर तो इशारा है, लेकिन किसी भी पीड़ित ने शेखावत की माताजी और पत्नी के नाम का उल्लेख नहीं किया है। दिल्ली कोर्ट में बयान दर्ज करवाने के बाद शेखावत ने कहा कि मुझे पर आरोप लगाने तक मैंने बर्दाश्त किया, लेकिन सीएम ने जब मर्यादा की सभी सीमाएं लांघकर मेरी माताजी पर आरोप लगाया है तो बर्दाश्त नहीं हुआ।
चिंता तो आदर्श के निवेशकों की भी हो:
यह अच्छी बात है कि सीएम गहलोत संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के पीड़ित निवेशकों की मदद कर रहे हैं, लेकिन अच्छा हो कि ऐसी चिंता आदर्श क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसायटी के पीड़ितों के प्रति भी जताई जाए। आदर्श सोसायटी में बीस लाख निवेशकों के करीब 14 हजार करोड़ रुपए फंसे हुए हैं। जो संजीवनी सोसायटी से बहुत ज्यादा हैं। आदर्श में भी निवेशकों में अपनी गाढ़ी कमाई जमा कराई थी। आदर्श के निवेशकों के सामने भूखों मरने की स्थिति है। यदि संजीवनी की तरह आदर्श के निवेशकों की मदद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे तो राहत मिल ही जाएगी। आदर्श और संजीवनी दोनों मल्टीस्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी है। संजीवनी की जांच भी सीबीआई के माध्यम से हो तो गुनहगारों को सजा दिलाई जा सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि निवेशकों का पैसा वापस लौटना चाहिए।