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3 जनवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के गणगौरी बाजार स्थित राजकीय बालिका विद्यालय में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए वैक्सीनेशन की शुरुआत की। सीएम गहलोत की उपस्थिति में पांच छात्राओं को टीके लगाए गए। इस अवसर पर आयोजित समारोह में चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा, स्कूली शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला और जलदाय मंत्री महेश जोशी ने एक स्वर से कहा कि बच्चों को कोरोना का टीका लगवाने के लिए हमारे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। पत्र के असर के कारण ही केंद्र सरकार को बच्चों को टीका लगाने का निर्णय लेना पड़ा। चिकित्सा मंत्री मीणा ने तो एक कदम और आगे बढ़ते हुए कहा कि जिस दिन मुख्यमंत्री गहलोत प्रधानमंत्री को पत्र लिख देंगे उसी दिन सभी लोगों को बूस्टर डोज लगाने का निर्णय ले लिया जाएगा। मंत्रियों का कहना रहा कि सीएम गहलोत जो पत्र लिखते हैं उनका प्रधानमंत्री पर असर पड़ता है। तीन मंत्रियों की यह बात राजनीतिक दृष्टि से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सीएम अशोक गहलोत अपने हर भाषण में कहते हैं कि पीएम मोदी मुख्यमंत्रियों के पत्रों का जवाब तक नहीं देते हैं। गहलोत यह भी बताते हैं कि किन किन मुद्दों पर प्रधानमंत्री को कितने पत्र लिखे। लेकिन पीएम की ओर से एक भी पत्र का जवाब नहीं मिला है। सीएम गहलोत का कहना होता है कि नरेंद्र मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो मुख्यमंत्रियों के पत्रों को तवज्जो नहीं देते हैं। सवाल उठता है कि जब सीएम गहलोत के पत्रों का पीएम मोदी जवाब तक नहीं देते हैं तो फिर तीन-तीन मंत्री बच्चों को वैक्सीन लगवाने का श्रेय अशोक गहलोत को क्यों दे रहे हैं?
1 करोड़ लोगों नहीं लगी दूसरी डोज:
बच्चों के वैक्सीनेशन के शुभारंभ पर आयोजित समारोह में सीएम गहलोत ने कहा कि राजस्थान में अब तक चार करोड़ 63 लाख लोगों को पहली तथा 3 करोड़ 54 लाख लोगों को दूसरी डोज लग चुकी है। यानी राजस्थान में 1 करोड़ 10 लाख लोगों को दूसरी डोज नहीं लगी है। वैक्सीनेशन की इस स्थिति को अच्छा नहीं माना जा सकता। जब सीएम गहलोत केंद्र सरकार पर सभी लोगों को बूस्टर डोज लगाने का दबाव डाल रहे हैं, तब राजस्थान में एक करोड़ 10 लाख लोगों को दूसरी डोज नहीं लगना बेहद चिंताजनक है। अब जब कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है, तब दूसरी डोज नहीं लगने का मामला और गंभीर हो जाता है। कोरोना की वैक्सीन का कितना महत्व है, इसका अंदाजा सीएम गहलोत के कथन से ही लगाया जा सकता है। 3 जनवरी को भी अपने भाषण में सीएम ने कहा कि मुझे कोरोना की दोनों डोज लग चुकी थी, इसलिए मैं बच गया। मालूम हो कि दोनों डोज लगने के बाद भी जब सीएम गहलोत का स्वास्थ्य खराब हुआ तो गत सितंबर माह में उनके हार्ट की एंजियोप्लास्टी करवानी पड़ी। सीएम अपने आपको भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग गई थी। यह सही है कि कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन बहुत जरूरी है। लेकिन यदि किसी प्रदेश में 1 करोड़ 10 लाख लोग वैक्सीन की दूसरी डोज न लगवाएं तो यह चिंताजनक बात है। सीएम गहलोत और चिकित्सा मंत्री मीणा की यह जिम्मेदारी है कि वे अभियान चला कर उन लोगों की तलाश करें जिन्होंने पहली डोज के बाद दूसरी डोज नहीं लगवाई है। जहां तक 15 से 18 साल के बच्चों को टीका लगाने का सवाल है तो इस मामले में भी सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए। प्रदेश में इस उम्र के 53 लाख बच्चे हैं जिन्हें वैक्सीन लगाना अनिवार्य है। राजस्थान में वैक्सीनेशन की स्थिति कमजोर होने के कारण ही सरकार ने अब वैक्सीन लगाने का अनिवार्य घोषित कर दिया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि 31 जनवरी तक सभी लोगों को वैक्सीन की डोज लगवाना जरूरी है। यदि 31 जनवरी तक लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाई तो उन पर जुर्माना लगाया जाएगा तथा उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाएगा।