एक दौर था जब ज्यादातर लोग साइकिल से आना-जाना करते थे. मोटरसाइकिल खरीदना हर किसी के बस की बात नहीं थी, कार तो फिर भी दूर की कौड़ी थी. काम पर जाना हो या शहर से सामान लाना हो, लोगों के लिए साइकिल ही सहारा थी. उस समय इंडिया में एक ऐसा टू-व्हीलर एंट्री लेने वाला था, जो साइकिल से बेहतर था. 1972 में पूणे के काइनेटिक ग्रुप ने ‘लूना’ को 2,000 रुपये में लॉन्च किया. ये भारत की पहली मोपेड थी, जो साइकिल और बाइक के बीच अपनी जगह बनाने आई थी.
इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता Kinetic Green अपने लोकप्रिय मोपेड मॉडल Luna को नए इलेक्ट्रिक अवतार – ई-लूना के रूप में फिर से पेश करने की तैयारी कर रही है। यह मल्टी-यूटिलिटी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर फरवरी 2024 की शुरुआत में सड़कों पर दिखने वाला है। कंपनी इसकी बुकिंग आधिकारिक तौर पर आज गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी से शुरू कर रही है । ग्राहक काइनेटिक ग्रीन की वेबसाइट पर 500 रुपये में प्री-बुकिंग करके अपनी ई-लूना सुरक्षित कर सकते हैं
हालांकि, शुरुआत में इसे देखकर हैरानी हो सकती थी, क्योंकि ये बाइक की तरह खुद चलती थी. वहीं, इसमें पैडल भी थे जो साइकिल के जैसे थे. कुल मिलाकर लूना को मोटरसाइकिल और साइकिल दोनों की तरह चलाया जा सकता था. इसमें एक मोटर थी जिससे ये मोपेड चलती थी. लूना बहुत जल्द इंडिया में बड़ी पहचान बनने वाली थी.
भारत की पहली मोपेड
इंडिया की पहली मोपेड काइनेटिक ग्रुप के चेयरमैन अरुण फिरोदिया की देन थी. वो एक ऐसे भारत के सपने को सच करना चाहते थे जो साइकिल और मोटरसाइकिल के बीच का ऑप्शन चाहता था. लूना के रूप में इंडिया को वो ऑप्शन मिला और लोगों ने इस मोपेड को भरपूर प्यार दिया. लेकिन क्या यह सब इतना आसान था?